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किसान के बेटे ने कबाड़ से बनाई इलेक्ट्रिक बाइक, जिसमें 1 या 2 नहीं, 6 लोग हो सकते हैं सवार

By प्रीति टौंक

मिलिए, आजमगढ़ के असद अब्दुल्लाह से, जिन्होंने कबाड़ के सामान से एक ऐसी छह सीटर इलेक्ट्रिक बाइक बना दी है, जिसमें दो दोस्त ही नहीं पूरा परिवार सवार होकर घूम सकता है। वह भी बिना पेट्रोल की चिंता किए।

भारतीयों द्वारा किए गए 10 किफायती इनोवेशन्स, जिन्होंने दिया बड़ी समस्याओं का सरल समाधान

By अर्चना दूबे

बाढ़ग्रस्त नदियों को पार करने वाली साइकिल से लेकर, कम लागत वाले 'बेड एसी' तक, पढ़ें अनोखे आविष्कारों और उन्हें बनाने वालों की बेहतरीन कहानियां।

Electric Tractor जो करेगा 25% पैसों की बचत, लाखों टन जहरीली गैसों पर भी लगेगी लगाम

पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों और प्रदूषण की समस्या को देखते हुए चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा E-Tractor बनाया है, जिससे न सिर्फ 25 फीसदी पैसों की बचत हो सकती है, बल्कि लाखों टन जहरीले गैसों का उत्सर्जन भी कम होगा।

21 वर्षीय कैफ अली ने डिज़ाइन किया ऐसा चलता-फिरता घर, जिसमें नहीं होगा किसी वायरस का खतरा

दिल्ली में रहने वाले कैफ अली को अपने 'स्पेस इरा प्रोजेक्ट' के लिए डायना अवॉर्ड, अर्न्स्ट एंड यंग अवॉर्ड, कॉमनवेल्थ मिशन द्वारा सस्टेनेबल डेवलपमेंट अवार्ड जैसे कई पुरस्कार मिल चुके हैं। जानिए क्या है यह प्रोजेक्ट।

पकौड़े वाले ने बनाई ऐसी मशीन, 10 मिनट में बन जाती हैं एक किलो भजिया

By निशा डागर

छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव के गुठला में अपना मुंगोड़ी सेंटर चलाने वाले बसंत कुमार ने एक मुंगोड़ी/भजिया मेकिंग मशीन बनाई है।

गाड़ी चलाते हुए अब नहीं आएगी नींद की झपकी, यह ऐप पहले ही कर देगा अलर्ट

विशाखापट्टनम के तीन दोस्तों ने मिलकर एक ऐसा एआई पावर्ड डिवाइस बनाया है, जो गाड़ी चलाते समय झपकी आते ही आपको अलर्ट कर देगा।

भारतीय वैज्ञानिक ने किया असंभव को संभव, दो हफ़्तों में बनाया 'पॉकेट साइज़ माइक्रोस्कोप'

By पूजा दास

भारतीय वैज्ञानिक, डॉ. रामेंद्र लाल मुखर्जी ने 1998 में ‘माइक्रो माइक्रोस्कोप’ का आविष्कार किया था, जिसे दुनियाभर के वैज्ञानिक असंभव मानते थे।

हरियाणा का वह छात्र जिसने 16 साल की उम्र में कर दिया साँसों से बोलने वाली मशीन का आविष्कार

हरियाणा के पानीपत के रहने वाले अर्श शाह दिलबगी ने महज 16 साल की उम्र में ‘टॉक’ नाम से एक ऐसे यंत्र को बना डाला था, जो एमियोट्रॉफ़िक लैटरल स्कलिरॉसिस और पार्किंसन रोग जैसी बीमारियों की वजह से अपनी आवाज खो बैठे लोगों को साँसों के जरिए बोलने में मदद कर सकती है।