Powered by

Latest Stories

HomeTags List Independence

Independence

रानी गाइदिन्ल्यू: 17 साल की उम्र में हुई थी जेल, आज़ादी के बाद ही मिली रिहाई

By निशा डागर

रानी गाइदिन्ल्यू, एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में ब्रिटिश सरकार और उनकी नीतियों के विरुद्ध अभियान चलाया था और अपनी क्रांति के लिए 14 साल तक कारावास में भी रहीं।

ओडिशा: पिछले 7 दशकों से अपने गाँव के बच्चों को मुफ्त में पढ़ा रहे हैं 102 वर्षीय नंदा सर

By निशा डागर

ओडिशा ने 102 वर्षीय नंदा प्रुस्टी पिछले 7 दशकों से मुफ्त में पढ़ा रहे हैं, उन्होंने अब तक गाँव की तीन पीढ़ियों को शिक्षित किया है!

Independence Day 2020: इस स्वतंत्रता दिवस को खास बना रहे हैं ये 5 ऑनलाइन इवेंट्स

By निशा डागर

पहली बार सुचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने स्वतंत्रता दिवस के जश्न में एक ऑनलाइन फिल्म फेस्टिवल को शामिल किया है।

कनाई लाल दत्त: खुदीराम बोस के बाद देश के लिए फांसी पर चढ़ने वाला आज़ादी का दूसरा सिपाही!

By निशा डागर

कनाई की फांसी के बाद जेल के वार्डन ने उनके प्रोफेसर से कहा था कि यदि कनाई जैसे 100 वीर भी आपके पास हों तो आपको आज़ादी पाने से कोई नहीं रोक सकता!

दुर्गा भाभी की सहेली और भगत सिंह की क्रांतिकारी 'दीदी', सुशीला की अनसुनी कहानी!

By निशा डागर

अंग्रेजी सेना में नौकरी करने वाले सुशीला दीदी के पिता ने उन्हें रोकना चाहा था लेकिन उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि घर छूटे तो छूटे लेकिन देश को आज़ादी दिलाए बिना उनके कदम नहीं रुकेंगे!

अंग्रेजों को मात देने के लिए इस सेनानी ने काट दिया था अपना ही हाथ!

By निशा डागर

हाथ काटने के बाद भी 80 वर्षीय वीर कुंवर का संग्राम नहीं रुका। उन्हें आराम करने की हिदायत मिली लेकिन फिर भी उन्होंने अंग्रेजों से अपनी मातृभूमि के लिए युद्ध किया!

घूंघट छोड़कर आज़ादी की लड़ाई से जुड़ने के लिए प्रेरित करने वाली राधाबाई की कहानी!

By निशा डागर

रायपुर में स्वाधीनता की क्रांति को घर-घर पहुंचाने का काम डॉ. राधाबाई ने ही किया था। उनकी प्रेरणा से ही यहाँ की महिलाएं स्वतंत्रता आंदोलनों से जुड़ीं!

इस महिला गुप्तचर ने बीमार हालत में काटी कारावास की सजा, ताकि देश को मिले आज़ादी!

By निशा डागर

सांस की बीमारी के बावजूद लड़तीं रहीं ब्रिटिश शासन के खिलाफ, सज़ा होने पर भी पीछे नहीं हटाए कदम!

एक महिला सेनानी का विरोध-प्रदर्शन बन गया था ब्रिटिश सरकार का सिरदर्द!

By निशा डागर

अंग्रेजों द्वारा शराब की दुकान खोलने और अफीम उगाने के विरोध में बसंतलता और उनकी महिला साथियों ने मोर्चा खोला था। ये 'स्वदेशी आंदोलन' इस कदर बढ़ा कि अंग्रेजों को इसे रोकने के लिए सर्कुलर निकालना पड़ा!

मंगल पांडेय से 33 साल पहले इस सेनानी ने शुरू की थी अज़ादी की जंग!

By निशा डागर

बिंदी तिवारी की शहादत के बाद अंग्रेजी हुकूमत की न सिर्फ भारत में बल्कि इंग्लैंड में भी निंदा हुई, और तो और बहुत से भारतीय अफसरों और सैनिकों ने ब्रिटिश सेना छोड़ दी!