"मैं अपने विदेशी दोस्त को गंगा किनारे घुमाने ले गया। वहाँ नदी फूलों के कचरे की वजह से दूषित थी। दोस्त ने सवाल किया, आप कुछ करते क्यों नहीं? इसके बाद से ही मैं इस विषय पर सोचने लगा और इस फूलों के कचरे के इस्तेमाल का एक स्टार्ट अप शुरू किया।" - अंकित अग्रवाल