बाबू भाई परमार अहमदाबाद की सड़कों पर रहनेवाले बच्चों को पढ़ाने का काम कर रहे हैं। आपको जानकार आश्चर्य होगा कि नौ साल की उम्र में उन्होंने अपने दोनों हाथ खो दिए थे, लेकिन पढ़ने के अपने शौक के कारण, उन्होंने अपने आप को तो शिक्षित किया ही अब दूसरों को भी पढ़ा रहे हैं।