डॉ. अनिल राजवंशी ने बीते चार दशकों में तकनीक के जरिए गांवों के विकास को एक नई ऊंचाई दी है। उनके उल्लेखनीय योगदानों के लिए सरकार ने उन्हें हाल ही में पद्म श्री पुरस्कार से भी सम्मानित किया है। पढ़िए उनकी प्रेरक कहानी!
असम के धेमाजी में रहने वाले नबजीत भराली ने जरूरतमंदों व दिव्यांगजनों के लिए कई ज़रूरी आविष्कार किए हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
गुजरात के जूनागढ़ में पिखोर गाँव के रहने वाले, अमृत भाई अग्रावत (75) किसानों के लिए कई तरह के आविष्कार करके, उनकी समस्याओं को हल करते हैं। अपने इन्हीं कार्यों के लिए, उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं और उनके एक आविष्कार को पेटेंट भी मिला है।
"15 साल की उम्र तक तो मैं अपनी माँ की पीठ पर ही बैठकर सब जगह जाया करता था। लेकिन मुझे यह अच्छा नहीं लगता था कि मैं हर काम के लिए किसी और पर निर्भर रहूं। इसलिए मैंने खुद को आत्मनिर्भर बनाया।"
परेश को उनके इन आविष्कारों के लिए देश के चार राष्ट्रपति, एपीजे अब्दुल कलाम, प्रतिभा पाटिल, प्रणव मुखर्जी और रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित किया जा चुका है!