नीला के टैरेस गार्डन की सबसे खास बात यह है कि यहाँ पौधे उगाने के लिए वह मिट्टी की बजाय घर पर तैयार की गई कंपोस्ट का इस्तेमाल करती हैं। यह कंपोस्ट सूखे पत्ते, रसोई का कचरा और गोबर के मिश्रण से बनाया जाता है।
डॉ. शिवानी कालरा आज अपने घर की छत पर थैलियों में तरबूज़ और अन्य सब्जियाँ उगा रही हैं, लेकिन कालरा कहती हैं कि यहाँ तक पहुँचना आसान नहीं था। पहले उन्होंने टमाटर उगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहीं। बाद में आलू बोए लेकिन वहाँ भी सफलता हाथ नहीं लगी।
इकोलॉजी में पीएचडी की डिग्री हासिल कर चुकी एकता कहती हैं, "रिसर्च वर्क अपने-आप में एक बेहद थका देने वाला काम होता है, पर दिन के अंत में मेरा बगीचा मुझे काफी सुकून देता था।”