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बेकार पड़े डिब्बों में 4-5 पौधे लगाकर शुरू की थी बागवानी, आज 3000 पौधों की करते हैं देखभाल

"मैं मौसमी पौधों के बजाय कई वर्षों तक जीवित रहने वाले पौधों को प्राथमिकता देता हूँ। मेरा विचार है कि जब तक मैं हूँ, मेरे पौधे भी रहें।" -दीपांशु

हाउसवाइफ ने टेरेस से शुरू की थी फूलों की खेती, अब हर महीने कमा रहीं हैं 3 लाख रुपये

By पूजा दास

सबीरा की नर्सरी में करीब 500 प्रकार की ऑर्किड फूलों की किस्में हैं जिन्हें वह केरल के अलग-अलग हिस्सों में भेजती हैं।

घर के गार्डन में उगाते हैं 34 किस्म की बोगनविलिया फूल, हर महीने कमा रहे हैं 2 लाख रूपये

By पूजा दास

बागवानी के टिप्स साझा करने के लिए केरल के इस कपल का एक यूट्यूब चैनल भी है जिसके करीब 60 हज़ार से अधिक सब्सक्राइबर हैं।

...और ऐसे सीखा मैंने घर पर सब्जियाँ उगाना, शुक्रिया 'द बेटर इंडिया'!

By पूजा दास

मेरे दिमाग में बचपन से एक बात घर कर गई थी कि बागवानी के लिए बहुत बड़ी जगह और बहुत सारी मेहनत की ज़रूरत होती है। लेकिन ‘द बेटर इंडिया’ ने न केवल मेरा यह भ्रम दूर कर दिया बल्कि कोरोना के इस तनावपूर्ण माहौल में बागवानी करने के लिए प्रेरित भी किया है।

कॉल सेंटर की नौकरी छोड़ उगाये वॉटर लिली और लोटस, शौक पूरा होने के साथ शुरू हुई कमाई!

वाटर लिली और लोटस प्राकृतिक रूप से तालाब में खिलते हैं और इन्हें घर की छत पर उगाने के लिए अभिषेक ने छोटे-छोटे टब में पानी भर कर लगाया हुआ है।

आटे के थैले और चाय के पैकेट में लगा रहीं पौधे, हर महीने यूट्यूब पर देखते हैं लाखों लोग!

“एक समय मेरे घर के आगे एक तालाब हुआ करता था, जिसमें लोग कूड़ा-कचड़ा फेंक देते थे। इसके बाद मेरे पिता जी ने उसमें मिट्टी भर कुछ फलदार पेड़ लगाए, धीरे-धीरे यह सिलसिला बढ़ता गया। आज हम आम, अमरूद, अनार जैसे फलदार पेड़ों से लेकर गिलोय, कालाबांसा, थोर जैसे कई औषधीय पौधों की भी खेती करते हैं। -अप्रती सोलंकी

अपनी छत पर कपड़े के बैग में उगातीं हैं तरबूज, पढ़िए मेरठ की डेंटिस्ट का यह कमाल का आइडिया!

By पूजा दास

डॉ. शिवानी कालरा आज अपने घर की छत पर थैलियों में तरबूज़ और अन्य सब्जियाँ उगा रही हैं, लेकिन कालरा कहती हैं कि यहाँ तक पहुँचना आसान नहीं था। पहले उन्होंने टमाटर उगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहीं। बाद में आलू बोए लेकिन वहाँ भी सफलता हाथ नहीं लगी।

पुराने जूते से लेकर टायरों तक को गमले की तरह करतीं हैं इस्तेमाल, मिलें 11 पुरस्कार!

By पूजा दास

कलियागिरी में रहने वाली हशमथ फातिमा, करीब 26 साल पहले मैसूरु में अपने घर में रहने आईं थीं और तब से ही उन्होंने गंभीरता से बागवानी शुरू की।