मंजू हरि केरल के पठानमथिट्टा की रहने वाली हैं। लॉकडाउन के दौरान उनके पति की नौकरी चली गई। इसके बाद, मंजू को अपने छोटे से बगीचे से एक नई उम्मीद मिली। जहाँ वह Moss Rose की खेती करती हैं। आज उनके पौधों की माँग पूरे देश में है।
केरल के कोक्कवड गाँव के रहने वाले जोशी मैथ्यूज के पास 0.25 एकड़ जमीन है, जहाँ उन्होंने जैविक खेती और मछली पालन से लेकर मधुमक्खी पालन की सुविधा भी विकसित कर ली है।
उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिला के बवाइन गाँव के रहने वाले रविंद्र प्रताप सिंह ने 2006 में शिक्षक की नौकरी शुरू की थी लेकिन 2017 में उन्होंने यह नौकरी छोड़ दी और बागवानी की शुरुआत कर दी।
नई दिल्ली में रहने वाले अमित चौधरी करीब 3 साल पहले फैशन डिजाइनिंग में ग्रेजुएशन करने के बाद किसी वजह से डिप्रेशन में चले गए थे। इस वजह से वह तय नहीं कर पा रहे थे कि उन्हें जिंदगी में करना क्या है। इसके बाद उन्होंने बागवानी शुरू करने का फैसला किया, जो बचपन से ही उनका शौक था।
बरसात का मौसम पेड़-पौधे लगाने के लिए सबसे अच्छा होता है लेकिन अपने साथ यह काफी परेशानियां भी लेकर आता है। एक्सपर्ट से जानिए इनसे अपने पौधों को बचाने के उपाय।
28 वर्षीया ज्योति ने 8 महीनों में लगभग 45 किलोग्राम सब्ज़ियाँ अनाथ-आश्रमों को पहुंचाई हैं। लॉकडाउन के दौरान भी उन्होंने बहुत से ज़रूरतमंदों को अपनी उगाई हुई सब्जियाँ बांटी!
डॉ. शिवानी कालरा आज अपने घर की छत पर थैलियों में तरबूज़ और अन्य सब्जियाँ उगा रही हैं, लेकिन कालरा कहती हैं कि यहाँ तक पहुँचना आसान नहीं था। पहले उन्होंने टमाटर उगाने की कोशिश की लेकिन असफल रहीं। बाद में आलू बोए लेकिन वहाँ भी सफलता हाथ नहीं लगी।
एक बार लोकल ट्रेन से सफर करते वक़्त डॉ. विनी ने कुछ लोगों को रेलवे लाइन से पालक तोड़ते हुए देखा और बाद में, उन्हें पता चला कि यही पालक बाज़ार में आता है। इसके बाद उन्होंने खुद अपनी सब्ज़ियाँ उगाने की ठान ली!