गाँधी जी हमेशा स्वदेशी और ईको-फ्रेंडली वस्तुओं के इस्तेमाल पर जोर देते थे, उन्होंने इसी विचार के साथ, अहमदाबाद गाँधी आश्रम में चरखा से सूत बनाने और हैंडमेड पेपर बनाने जैसे काम की शुरुआत की। आगे चलकर यह हैंडमेड पेपर उद्योग कलमखुश बना और आज तक चल रहा है।
CBSE ने 2 अक्टूबर यानी गाँधी जयंती के दिन Non-Violent Communication पर एक ऑनलाइन कोर्स शुरू किया है। इस कोर्स में शिक्षकों और छात्रों के अलावा अभिभावक भी हिस्सा ले सकते हैं।