बेंगलुरु के रहने वाले सत्य प्रकाश वाराणशी अपनी फर्म सत्य कंसल्टेंट्स के तहत, पिछले करीब 28 वर्षों से आर्किटेक्चर के क्षेत्र में इको-फ्रेंडली संरचनाओं को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत हैं। इस दौरान उन्होंने 500 से अधिक परियोजनाओं को अंजाम दिया है।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, आर्किटेक्ट अनघा जोशी और मधुरा जोशी ने आम लोगों की आर्किटेक्चर से संबंधित परेशानियों को हल करने के लिए, अपनी कंपनी Lab A+U की शुरुआत की। जिसके तहत वे अभी तक करीब 60 परियोजनाओं पर काम कर चुके हैं।
बेंगलुरू के रहने वाले रंजन और रेवा मलिक के घर को माहिजा डिजाइन कंसल्टेंसी फर्म द्वारा बनाया गया है। इसकी पेरेंट कंपनी, मृणमयी है। इस कंपनी को 1988 में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के छात्र रह चुके डॉ. योगानंद द्वारा शुरू किया गया था।
अंडमान निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जोरावर पुरोहित ने साल 2017 में, अपने तीन दोस्तों अखिल वर्मा, आदित्य वर्मा और रोहित पाठक के साथ मिलकर आउटबैक हैवलॉक को शुरू किया। यह पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल है। इस द्वीप पर बेकार पड़े 5 लाख बोतलों को रीसायकल कर बनाया गया है।
महाराष्ट्र के नासिक में 100 साल पुराना एक स्कूल है। स्कूल प्रबंधन की इच्छा थी कि स्कूल भवन को तोड़कर फिर से बनाया जाए, लेकिन आर्किटेक्ट धनंजय ने इस स्कूल को न केवल टूटने से बचा लिया, बल्कि इसे फिर से एक नया जीवन भी दिया है।
दिल्ली स्थित जेडईडी लैब के निदेशक सचिन रस्तोगी का मानना है सचिन के विचारों में, जीवन की गुणवत्ता में तभी सुधार होता है, जब सभी हितधारकों के साथ-साथ पर्यावरण को भी लाभ हो। उनका यह विचार, उनके आवासीय परियोजनाओं से लेकर व्यावसायिक परियोजनाओं में दिख जाता है।
बेंगलुरू स्थित आर्किटेक्चर फर्म ‘मेसन्स इंक’ के संस्थापक रोजी पॉल और श्रीदेवी चंगाली, अपनी संस्था के तहत हेरिटेज कंजर्वेशन, अर्थेन स्ट्रक्चर और सस्टेनेबिलिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ सामान्य लोगों को इसके महत्व को लेकर जागरूक की दिशा में वर्षों से प्रयासरत हैं।
रीसाइकल्ड प्लास्टिक से बनाए इस घर में एक बड़ा कमरा होने के साथ ही, एक स्टोर रूम, बाथरूम, रसोई, और आँगन भी हैं। इसे बनाने में करीब 1,500 किलोग्राम प्लास्टिक का उपयोग किया गया है।