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"अपने बेटे के लिए कुछ करना है," 350 बच्चों को मुफ़्त शिक्षा दे रहीं हैं शहीद की माँ!

By निशा डागर

6 अक्टूबर 2017 को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में एमआई-17 हेलीकॉप्टर हादसे में स्क्वाड्रन लीडर शिशिर तिवारी शहीद हो गए थे।

20 लाख+ महिलाओं का किया हेल्थ चेक अप, ब्रेस्ट कैंसर को फर्स्ट स्टेज में ही रोकने की है मुहिम!

By निशा डागर

डॉ. ध्रुव कक्क्ड़ एक अच्छे अस्पताल में कार्यरत थे और डॉ. प्रियांजलि उनके यहां इंटर्नशिप कर रही थीं। वे चाहते तो बड़े अस्पतालों में काम करते हुए आराम की ज़िंदगी गुजारते। लेकिन उनका जूनून स्वास्थ्य सुविधाओं को घर-घर तक पहुँचाना है!

प्लास्टिक की बोतलों को फेंके नहीं इन्हें दें; 9000 बेकार बोतलों से एक टॉयलेट बना देते हैं ये!

By निशा डागर

इन युरिनल्स को एक ‘पी-कार्टरिज’ से जोड़ा गया है, जहां पर यूरिन को प्रोसेस करके इससे यूरिया अलग किया जाता है, जिसे खेतों में फ़र्टिलाइज़र के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।

तेज़ बुखार में दी UPSC की परीक्षा और पहली ही बार में हासिल की 9वीं रैंक!

By निशा डागर

"ब्रेक टाइम में मुझे कार में ही आईवी ड्रिप दी गयी," यह कहना है सौम्या शर्मा का। सुनने की क्षमता न होते हुए भी उन्होंने परीक्षा में किसी तरह का आरक्षण नहीं लिया!

इन पाँच शहरों में रहते हैं, तो ज़रूर जुड़िये इन स्वच्छता हीरोज़ से!

By निशा डागर

इको-संडे की शुरुआत बेंगलुरु के दो ग्रेजुएशन छात्रों ने की है, तो वहीं दृष्टि फाउंडेशन की शुरुआत अहमदाबाद में एक पिता ने अपनी बेटी से प्रेरित होकर की!

भारत का पहला सर्टिफाइड 'ग्रीन होम', सोलर उर्जा से लेकर रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम तक है मौजूद!

भारत का पहला प्रमाणित ‘ग्रीन होम’ South Delhi के बीचों-बीच H-1456, चित्तरंजन पार्क में स्थित है। ‘ग्रीन वन’ नाम का यह चार मंज़िला घर 2,842 वर्ग फीट के दायरे में फैला हुआ है। प्रसंतो रॉय के 25 साल पुराने घर को तोड़ कर यह ‘ग्रीन होम’ बनाया गया।

चंडीगढ़ पुलिस का सिपाही बन गया हरियाणा का 'ट्री-मैन,' लगवाए डेढ़ लाख से भी ज़्यादा पेड़-पौधे!

By निशा डागर

चंडीगढ़ पुलिस में कोंस्टेबल के पद पर कार्यरत देवेंदर सूरा को 'हरियाणा का ट्री-मैन' कहा जाता है। पिछले 7 सालों में उन्होंने अपने वेतन खर्च कर लगभग 182 गांवों और कुछ अन्य शहरों में 1, 54, 000 पेड़ लगवाए हैं और लगभग 2, 72, 000 पेड़ स्कूल, शादी समारोह, रेलवे स्टेशन, मंदिर आदि में जा-जाकर बांटे हैं।

मिलिए दिल्ली की पहली महिला डाकिया, इंद्रावती से!

By निशा डागर

"मुझे अपने पढ़े-लिखे होने की खुशी उस वक्त सबसे ज्यादा हुई जब मैंने लोगों को चिट्ठियां पढ़कर सुनाईं। कई लोग खासकर बुजुर्ग पढ़ नहीं पाते थे। जब मैं उनकी चिट्ठी पढ़ती तो वो खुश होकर मुझे आशीर्वाद देते।"