"दसवीं के बाद मेरे घर वालों ने मुझे स्कूल भेजने से मना कर दिया जबकि मेरे भाई पढ़ने जाते थे। मुझसे और मेरी बहनों से कहा गया कि हम आखिर पढ़कर क्या कर लेंगी।"
जिन सामाजिक बुराइयों के साथ जीने की लोगों ने आदत डाल ली हो, ऐसे मुद्दों पर लोगों को झकझोर कर जगाने, जागरूक करने और समाज सुधार की लड़ाई के इस नए लड़ाकों का स्वागत किया जाना चाहिए।