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खुद सातवीं के बाद नहीं जा पाए थे स्कूल, अब 6500 बच्चों को शिक्षित कर रहें मामून

By प्रीति टौंक

कभी खुद आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ने वाले मामून, आज 6500 बच्चों की जिंदगी में शिक्षा की लौ जला रहे हैं।

22 सालों से खुद के खर्च पर अर्पण कर रहे सैकड़ों बेसहारों की सेवा

By प्रीति टौंक

भागदौड़ से भरी जिंदगी में जहां लोग अपनों के लिए भी वक्त मुश्किल से निकाल पाते हैं। वहां पश्चिम बंगाल के अर्पण बनर्जी ने अपनी पूरी जिंदगी दुसरों के नाम कर दी है, वह पिछले 22 सालों से अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा बेसहारा लोगों की जिंदगी को बेहतर करने में और उनके चेहरे पर मुस्कान लाने में लगा रहे हैं।

एक टिफिन से 150 ज़रूरतमंद बच्चों की जिम्मेदारी उठाने तक

By प्रीति टौंक

कोलकाता की गीता राउत TEARS (To Educate And Regain Smile) नाम से एक NGO चलाती हैं, जिसका मकसद उन बच्चों की रोशनी बनना है जिनके जीवन में न शिक्षा की लौ है, न परिवार का प्यार।

गाँव में अस्पताल बनाकर बेटे ने किया सब्जी-बेचनेवाली माँ का सपना पूरा

By प्रीति टौंक

1971 में डॉ. अजय मिस्त्री महज चार साल के थे, जब उन्होंने स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में अपने पिता को खो दिया था। तब से उनकी माँ ने बस एक ही सपना देखा कि गांव में एक अस्पताल बने ताकि हर किसी का समय पर इलाज हो पाए। उनकी माँ सुभासिनी मिश्रा ने सब्जियां बेचकर न सिर्फ अपने बेटे को डॉक्टर बनाया बल्कि अपने सपने को पूरा करके कईयों की मदद का जरिया भी बनीं।