केले के पत्ते, इमली के बीज, भूसी और मूंगफली के छिलकों से बायोडिग्रेडेबल कटलरी बनाकर कोयम्बटूर के कल्याण कुमार अच्छी कमाई करने के साथ पर्यावरण भी बचा रहे हैं।
केरल के एर्नाकुलम में रहने वाले विनय कुमार बालाकृष्णन ने सीएसआईआर- नैशनल इंस्टिट्यूट फॉर इंटरडिसिप्लिनरी साइंस एंड टेक्नोलॉजी (NIIST) के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं के चोकर से बायोडिग्रेडेबल सिंगल यूज क्रॉकरी बनाई है।