बीमारी में अपने पति को खोने के बाद असम की कनिका तालुकदार के ऊपर अचानक से चार महीने की बेटी की जिम्मेदारी आ गई। ऐसे मुश्किल समय में वह घर में रहकर ही काम करना चाहती थीं। जानिए कैसे एक छोटी सी ट्रेनिंग और अपने जज़्बे के दम पर उन्होंने खुद की जिंदगी ही बदल दी।
मिलिए राजस्थान के रहने वाले राजेश ओझा से, जिन्होंने शहरी जीवन छोड़कर गांव में रहकर ही खड़ा किया शानदार रोजगार। जिसके ज़रिए आज वह कचरे में जा रहे फलों को बचाने के साथ-साथ गांव की 1200 महिलाओं को रोजगार भी दे पा रहे हैं।