उत्तराखंड सिविल सेवा से जुड़े रजनीश सच्चिदानंद यशवस्थी ने पहाड़ों में बसने वाले किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहले किसानों को कीवी की खेती सिखाई और अब मिट्टी के कुमाऊंनी घर को एग्रो टूरिज्म सेंटर बना दिया है।
राजस्थान के दो दोस्त इंद्र राज जाठ और सीमा सैनी ने खेती को सस्टेनेबल बनाने के लिए बेहतरीन मॉडल तैयार किया है, जिसमें वे पशुपालन और एग्रो टूरिज्म के जरिए लाखों की कमाई कर रहे हैं।
हरियाणा में फतेहाबाद के रहने वाले शिक्षक प्रमोद गोदारा और उनकी पत्नी, ASI चंद्र कांता पिछले ढाई-तीन सालों से जैविक खेती कर रहे हैं और अपने खेतों पर 'एग्रो-टूरिज्म' को विकसित कर रहे हैं।
पिछले 15 सालों से किसानी कर रहे नवीन कृष्णन खेती के साथ-साथ पर्यावरण और जंगली जानवरों को भी बचा रहे हैं। उन्होंने अब तक 700 साँपों का बचाव किया है और लगभग 50 हज़ार से भी ज्यादा पेड़ लगाए हैं!