महबूब के रुमान को तो हम सबने महसूस किया ही है, लेकिन सब नहीं जानते कि इन्क़िलाब का रुमान भी बहुत सुरीला होता है, दिलकश होता है। फ़ैज़ साहब इन दोनों रुमानों में ताउम्र डूबे रहे तो इनसे जलना लाज़मी तो है न ?
आज की शनिवार की चाय का मकसद आपके साथ इब्ने इंशा के लिए उमड़े प्यार को साझा करना है. 'मीठी बातें - सुन्दर लोगों' में अपने आपको गिन लेने वाले इंशा जी को पढ़ना-सुनना आपके मन में सुनहला, सुगन्धित, नशीला धुआँ भर देता है.
मैं उस ख़त को लेकर मुंडेर पर जा कर बैठ गया सुबह की चाय के साथ. वो बरसात का मौसम था. मुझे कहीं जाना नहीं था तो मैं बैठा ही रहा. बरसात बीती तो शिशिर आया. फिर शरद, बसंत, हेमंत, ग्रीष्म और फिर से वर्षा.
जब एक आदमी और औरत स्वेच्छा से किसी को चुनते हैं तो वे फ़रिश्ते प्रतीत होते हैं. लेकिन संबंधों पर काम न करने की वजह से बोझिलता आ जाती है जिसे वे अपना प्रारब्ध मान बैठते हैं.
मानव कौल एक अभिनेता होने के साथ-साथ, एक परिपक्व नाटककार भी हैं. हिन्दी कविता प्रोजेक्ट में आरम्भ से ही जुड़े थे. आज के वीडियो में उनके एक नाटक 'इल्हाम' से एक कविता 'रेखाएँ' आप के लिए प्रस्तुत है