Powered by

Latest Stories

HomeTags List स्वतंत्रता सेनानी

स्वतंत्रता सेनानी

बाघा जतिन, जिनकी 'जुगांतर पार्टी' से तंग आकर अंग्रेज़ों ने बदल दी अपनी राजधानी!

By निशा डागर

जतिंद्रनाथ मुख़र्जी का जन्म बंगाल के कायाग्राम, कुष्टिया जिला (जो अब बांग्लादेश में है) में 7 दिसंबर 1879 को हुआ था। उन्हें सब 'बाघा जतिन' पुकारते थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। उन्होंने ही 'जुगांतर पार्टी' का नेतृत्व किया। अंग्रेज भी बाघा जतिन से खौफ खाते थे।

अंग्रेज़ों को चकमा दे, जेल से फ़रार हुए इस क्रांतिकारी को कभी नहीं पकड़ पाई थी ब्रिटिश पुलिस!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी पंडित गेंदालाल दीक्षित का जन्म 30 नवम्बर 1888 को उत्तर-प्रदेश के आगरा जिले के एक मई गाँव में हुआ। उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के साथ मिलकर मैनपुरी षड्यंत्र को अंजाम दिया। टीबी रोग के चलते उन्होंने 21 दिसंबर 1920 को प्राण त्याग दिए। 

गणेश वासुदेव मावलंकर : स्वतंत्र भारत के प्रथम लोकसभा अध्यक्ष!

By निशा डागर

गणेश वासुदेव मावलंकर का जन्म 27 नवम्बर, 1888 को गुजरात के वडोदरा में हुआ था। वे भारत के प्रसिद्द स्वतंत्रता सेनानी थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद ये लोकसभा के प्रथम अध्यक्ष बने थे। भारत की इस महान विभूति का 27 फ़रवरी, 1956 को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।

सखाराम गणेश देउस्कर: 'बंगाल का तिलक,' जिसकी किताब पर अंग्रेज़ों ने लगा दी थी पाबंदी!

By निशा डागर

देउस्कर ने बहुत सारे ऐसे लेख लिखे, जिनका उद्देश्य भारतीय जनता को अपने अतीत और वर्तमान का ज्ञान कराना था। सखाराम गणेश देउस्कर

'मलकानगिरी का गाँधी' जिससे डरकर, अंग्रेज़ों ने दे दी थी फाँसी!

By निशा डागर

लक्ष्मण नायक का जन्म 22 नवंबर 1899 को कोरापुट में मलकांगिरी के तेंटुलिगुमा में हुआ था। वह भूयान जनजाति से संबंध रखते थे। उन्होंने आदिवासी आधिकारों के लिए ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह किया। बाद में वे कांग्रेस के अभियान से जुड़ गये। 29 मार्च 1943 को बेरहमपुर जेल में उन्हें फांसी दी गयी।

शांति घोष: वह क्रांतिकारी जिसने 15 साल की उम्र में ब्रिटिश अधिकारी को गोली मारी!

By निशा डागर

शांति घोष भारत के स्वतंत्रता संग्राम की क्रान्तिकारी वीरांगना थीं। उनका जन्म 22 नवंबर 1916 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था। उन्होंने 15 साल की उम्र में एक अंग्रेजी अधिकारी को गोली मारी थी। उन्होंने अपनी आत्मकथा 'अरुणबहनी' नाम से लिखी। साल 1989 में 28 मार्च को उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।

केसरी सिंह बारहठ: वह कवि जिसके दोहों ने रोका मेवाड़ के महाराणा को अंग्रेजों के दिल्ली दरबार में जाने से!

By निशा डागर

राजस्थान के चारण घराने से ताल्लुक रखने वाले केसरी सिंह बारहठ प्रसिद्ध राजस्थानी कवि और स्वतंत्रता सेनानी थे। उनका जन्म  21 नवम्बर, 1872 को शाहपुरा रियासत के देवपुरा गाँव में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान दिया। 14 अगस्त 1941 को उनका निधन हुआ।

भुला दिए गये नायक: बटुकेश्वर दत्त, वह स्वतंत्रता सेनानी जिसने आजादी के बाद जी गुमनामी की ज़िन्दगी!

By निशा डागर

Batukeshwar Dutt स्वतंत्रता सेनानी बटुकेश्वर दत्त का जन्म 18 नवम्बर 1910 को तत्कालीन बंगाल में बर्दवान जिले के ओरी गांव में हुआ था।

ऊदा देवी 'पासी': अकेले ही 30 से भी ज़्यादा ब्रिटिश सैनिकों को मार गिराने वाली भारतीय वीरांगना!

By निशा डागर

लखनऊ में जन्मीं ऊदा देवी 'पासी' जाति से सम्बन्ध रखती थीं। उनके पति का नाम मक्का पासी था और शादी के बाद ससुराल में ऊदा का नाम 'जगरानी' रख दिया गया। इस 'दलित वीरांगना' ने लखनऊ के सिकंदर बाग में ब्रिटिश सेना को मुंहतोड़ जवाब दिया। 16 नवम्बर 1857 को वे वीरगति को प्राप्त हुईं।

करतार सिंह 'सराभा': वह भारतीय क्रांतिकारी, जिसे ब्रिटिश मानते थे 'अंग्रेजी राज के लिए सबसे बड़ा खतरा'!

By निशा डागर

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी करतार सिंह का जन्म पंजाब के लुधियाना जिले के सराभा गांव में 24 मई, 1896 को हुआ था। उन्होंने अमेरिका में रहते हुए भारतीय स्वतंत्रता के लिए ग़दर पार्टी की स्थापना में अहम भूमिका निभाई थी। लाहौर षडयंत्र के लिए उन्हें 16 नवम्बर 1915 को फांसी दी गयी।