साल 2016 में मथुरा के रहनेवाले सिकांतो मंडल ने ‘स्वच्छता कार्ट’ का आविष्कार किया था। कूड़ा बीनने वाले इस मशीन के लिए उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित भी किया गया था। पढ़िए इनोवेशन की यह प्रेरक कहानी!
प्रतिष्ठित बाथवेयर कंपनी हिंदवेयर होम्स ने अपने सीएसआर प्रोग्राम के तहत “Build a Toilet, Build her Future” पहल को लॉन्च कर, पूरे भारत के लाखों स्कूली लड़कियों को एक नई उम्मीद देने का संकल्प किया है।
अभिषेक ने लू कैफे की शुरुआत, अपनी कंपनी एक्जोरा एफएम के तहत की है। जिसके जरिए, वह सार्वजनिक शौचालयों को नया रूप देने के साथ-साथ, इसके व्यवहार को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
जिस उम्र में बच्चों का ध्यान केवल और केवल खेलकूद और मनोरंजन में रहता है, ऐसी उम्र में झारखंड की इस बच्ची ने गुल्लक में पैसे इकट्ठा कर 10 शौचालय का निर्माण करा चुकीं हैं।
बिहार के गया जिले के फतेहपुर गांव में एक नेत्रहीन व्यक्ति, साधु माझी ने न केवल अपने घर में शौचालय बनवाया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि गांव के बाकी लोगों को भी जागरूक किया जाये। आज यह गाँव खुला शौच मुक्त गाँव हैं और इसका पूरा श्रेय माझी को ही जाता है।
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के एक छोटे से गांव सावनिया से ताल्लुक रखने वाले 45 वर्षीय किसान मणिलाल राणा ने अपने गांव में 35 दिनों के अंदर लगभग 780 शौचालय बनवाये हैं। जिसके चलते मणिलाल स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत अपने गांव के स्वच्छगृही बन गए हैं।
जिला कलेक्टर धरम रेड्डी की कोशिश सामाजिक समानता के साथ-साथ लोगों के रोजमर्रा के समस्यायों को हल करने की है। स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत हुई कार्यशाला में उन्होंने जो भी सीखा उसे उपयोग में कैसे लाया जा सकता, इसका तरीका उन्होंने स्वयं करके दिखाया।