सूरत, गुजरात के रहने वाले प्रवीण पटेल ने इजराइल से जैविक खेती की तकनीक सीखकर खीरा, खरबूज, तरबूज, स्ट्रॉबेरी जैसे कैश क्रॉप की खेती शुरू की, जिनसे आज वह लाखों का मुनाफा कमा रहे हैं।
अहमदनगर, महाराष्ट्र के 11 किसानों ने लॉकडाउन के दौरान, ‘KisanKonnect’ नामक कंपनी बनाई, जिसका उद्देश्य मुंबई, पुणे के ग्राहकों को बिना किसी बिचौलिये के सब्जियां बेचना और अधिक मुनाफा कमाना है।
मोहाली, पंजाब के रहने वाले 57 वर्षीय किसान, चरणदीप सिंह अपनी सात एकड़ जमीन पर गेहूं, चावल, दाल, मौसमी सब्जियां, मसाले और कई तरह के फल उगा रहे हैं। कुदरती तरीकों से खेती करने के कारण, उनके खेतों में 50 से ज्यादा प्रजातियों के पक्षी आते हैं।
पंजाब के फाजिल्का में गांव ढिंगावाली के रहने वाले 60 वर्षीय किसान, सुरेंद्र पाल सिंह अनाज, दलहन, तिलहन और फलों के साथ-साथ, देसी कपास की भी जैविक खेती करते हैं। वह खुद अपने कपास की प्रोसेसिंग कर, इससे त्वचा के लिए उपयुक्त जैविक कपड़े भी बनवा रहे हैं।
झारखंड के देवघर में रहने वाले कृष्ण कुमार कन्हैया ने अपने 20 वर्षों के पत्रकारिता कैरियर ने दौरान, अन्न दाता, समय चौपाल जैसे कई लोकप्रिय कृषि आधारित कार्यक्रमों को चलाया है। लेकिन, जब उन्हें लगा कि किसानों की बेहतरी के लिए उन्हें कुछ अलग पहल करनी चाहिए, उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ी और लग गए किसानों को नई राह दिखाने में।
नंदा कुमार ने अपने गाँव में चार डंपिंग यार्ड और दो प्राइमरी स्कूलों की खाली जगहों को मिनी फार्म में बदला है। यहाँ पर उगने वाली सब्ज़ियां गाँव के लोगों द्वारा और मिड डे मील के लिए इस्तेमाल किया जाता है!
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में शाहबाद मारकंडा जिले के डगाली गाँव से ताल्लुक रखने वाले करण सीकरी, एक प्रगतिशील किसान और उद्यमी हैं। उन्होंने साल 2004 में सीकरी फार्म्स की शुरुआत की और आज उनका बनाया जैविक खाद हरियाणा के आलावा पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर तक जाता है।