बेंगलुरु के मयंक नागौरी अपने भाई भुवन के साथ मिलकर, गुड-गम नाम का स्टार्टअप चला रहे हैं। इसके ज़रिए वे प्लास्टिक फ्री हेल्दी च्युइंग गम बनाकर पर्यावरण और सेहत दोनों को बचा रहे हैं।
केमिकल इंजीनियर अक्षय श्रीवास्तव ने चार साल के रिसर्च के बाद एक ऐसी खाद बनाई है जिसमें नौ पोषक तत्व हैं। ये खाद खेती का खर्च आधा कर देती है। पढ़ें कैसे?
साल 2016 से प्रदीप सांगवान, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ों को प्लास्टिक मुक्त बनाने की मुहिम में लगे हैं। उनकी संस्था 'हीलिंग हिमालय' के वेस्ट कलेक्शन सेंटर में आज हर दिन 5 टन कचरा जमा होता है।
उत्तराखंड की काकुली विश्वास पिछले दो सालों से दिल्ली में एक फ़ूड स्टॉल चला रही हैं, ताकि अपने एक दिव्यांग बेटे और दो बेटियों को पढ़ा-लिखाकर आत्मनिर्भर बना सकें।
ओडिशा के पद्म श्री डी प्रकाश राव ने ज़रूरतमंद बच्चों के लिए जिस स्कूल को शुरू किया था, आज उनके जाने के बाद, उनकी बेटी ने विदेश की नौकरी छोड़कर इसे आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उठाई है। उनके इस नेक काम में आप भी उनका साथ दे सकते हैं!
किराना से लेकर फलवाले तक सभी के लिए प्रवीण, सम्मुख और सत्यम् ने देश का पहला स्मार्ट कैलकुलेटर बनाया है, जो दुकानदारों के समय और पैसे दोनों बचाता है, क्योंकि यह हिसाब करने के साथ-साथ उनका डाटा सेव भी करता है।
एक हादसे में अपने दोनों पैर खोने के बाद हैदराबाद की अर्पिता रॉय एक समय पर ठीक से चल भी नहीं पाती थीं। लेकिन आज वह कठिन से कठिन योग आसन करती हैं और दूसरों को भी सिखाती हैं।
अहमदाबाद की कुलदीप एंथोनी फर्नांडीज, पिछले 21 सालों से 'Aunty's Dhaba' चला रही हैं। मात्र 2000 रुपये कमाने के चैलेंज से उन्होंने इस काम की शुरुआत की थी, लेकिन आज वह इससे लाखों की कमाई कर रही हैं।