Powered by

Home घर हो तो ऐसा कोनोहा ईको फार्मस्टे: मिट्टी का बना पारंपरिक कोंकनी घर!

कोनोहा ईको फार्मस्टे: मिट्टी का बना पारंपरिक कोंकनी घर!

आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी से दूर पुराने समय से जुड़ना, पारंपरिक मिट्टी के घर में रहना और देसी जीवनशैली का अनुभव करना चाहते हैं, तो अदिति मुजुमदार का 'कोनोहा' ईको स्टे है बिलकुल परफेक्ट!

New Update
कोनोहा ईको फार्मस्टे: मिट्टी का बना पारंपरिक कोंकनी घर!

कोंकणी शैली में बना मिट्टी का कोनोहा ईको-स्टे दादी-नानी के समय का नहीं है, बल्कि इसे आज के ज़माने के एक दंपती ने बनाया है। प्रकृति की गोद में स्थित यह घर अदिति और संदीप मुजुमदार के सपनों का आशियाना है। यह कोंकण में नदी के किनारे बसा है, और हर पहर पक्षियों की चहचहाहट से गूँजता रहता है।

ट्रैवल के शौक़ीन अदिति व संदीप पिछले 10 सालों से जहाँ भी अलग-अलग जगह घूमने जाते थे, वहाँ कोंकणी या अन्य लोकल होमस्टे में ठहरते थे। इसी दौरान उन्हें होमस्टे के साधारण और सुंदर प्राकृतिक वातावरण में रहना बेहद पसंद आ गया। अब उन्होंने भी एक ऐसा घर बनाने का अपना सपना पूरा करने का फैसला कर लिया।  

कोरोना के दौरान जब हर कोई चार दीवारों में रहने को मजबूर था, तब इस कपल ने काफी खोज के बाद दापोली में 2 एकड़ की एक ज़मीन खरीदी। 

यहाँ अपने सपनों का आशियाना बनाते हुए इन्होंने पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होने दिया। 

निर्माण के लिए ज़्यादातर रीसायकल और रीयूज़ की हुई चीज़ों का इस्तेमाल किया। पूरी तरह से मिट्टी और पत्थर से बने इस मड हाउस को उन्होंने पारंपरिक कोंकणी तरीके से बनाया है।  

लकड़ी की सीढ़ियां, मिट्टी का बेड, लोकल इंटीरियर और छोटा सा आँगन.. सादगी से भरपूर यह घर पुराने ज़माने की याद दिलाता है! आस-पास आम व नारियल के पेड़, नदी और यहाँ के प्राकृतिक नज़ारे इसे और भी खूबसूरत बनाते हैं। 

साथ ही यहाँ आने वाले मेहमान पारंपरिक कोंकणी भोजन के स्वाद का भी लुत्फ़ उठा सकते हैं। 

यह भी पढ़ें - सौ साल पुराने घरों की मिट्टी और पत्थरों से बना सस्टेनेबल होमस्टे