नया घर बनाने की जब भी बात होती है, तो हम सबसे पहले आधुनिक सुविधाओं की बात करते हैं। आर्किटेक्ट भी हमें यही बताते हैं कि कमरे से लेकर बालकनी में किस तरह की सुविधाओं का ख्याल रखा जाए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि तमाम सुख –सुविधाओं के साथ प्रकृति की गोद में भी एक सुंदर सा आशियाना तैयार किया जा सकता है? आज हम आपको गुजरात के एक ऐसे ही फार्म हाउस के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पहुंचकर आपको हरियाली और शांति मिलेगी।
आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि तमाम आधुनिक सुख-सुविधाओं के साथ बने इस फार्महाउस में बिजली बिल जीरो आता है। इसके अलावा इस्तेमाल किए गए पानी को रीसायकल कर बागवानी और तालाब में इस्तेमाल किया जाता है। यह फार्म हाउस, अहमदाबाद के समीप स्थित थोल लेक के करीब है, जिसका नाम है- ‘कलरव फार्म हाउस’।
शहरीकरण के कारण प्रदूषण ने दुनिया के हर देश को अपनी चपेट में ले लिया है। लेकिन, क्या सिर्फ शिकायत करना ही काफी है? बिल्कुल नहीं। इस समस्या का एक आसान उपाय है, सस्टेनेबल लाइफस्टाइल और ज्यादा से ज्यादा पर्यावरण अनुकूल साधनों और वस्तुओं का उपयोग करना। जो मानव और पर्यावरण दोनों के लिए फायदेमंद हो सके। इन्हीं बातों का ख्याल रखते हुए, कलरव फार्महाउस को तैयार किया गया है।
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फार्म हाउस के मालिक, जयेश पटेल को पक्षियों से बेहद लगाव है। वह चाहते थे, उनके इस घर में सुबह-शाम पक्षियों की चहचआहट बनी रहे। इसलिए उन्होंने इसका नाम भी ‘कलरव’ रखा है।
इस फार्म हाउस को आर्किटेक्ट फर्म VPA ARCHITECTS_LANDSCAPE ने तैयार किया है। द बेटर इंडिया ने फर्म की मुख्य आर्किटेक्ट, जिनल पटेल से बात की है। उन्होंने बताया कि कैसे हम पर्यावरण को प्रदूषित किए बिना, अपना घर बना सकते हैं और साथ ही इसके चारों ओर एक सूक्ष्म जैव विविधता तैयार कर सकते हैं। इस तरह से, हम सभी व्यक्तिगत रूप से पर्यावरण के संरक्षण में योगदान दे सकते हैं।
इको-फ्रेंडली कलरव फार्म
जिनल पटेल कहती हैं, "इन दिनों हम सभी पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ऐसे में अगर किसी को सस्टेनेबल घर के बारे में बताना हो, तो उसे एक बंजर भूमि में बने इस फार्महाउस का टूर कराना चाहिए। दरअसल मेरे क्लाइंट, जयेश एक ऐसा फार्महाउस बनाना चाहते थे, जो पूरी तरह से प्रकृति के बीच होने का एहसास दिलाए।"
इस फार्महाउस को लगभग 3000 स्क्वायर फीट एरिया में तैयार किया गया है। कैंपस में उपयोग के बाद, बहते गंदे पानी को रीसायकल करके एक सुंदर तालाब बनाया गया है। वहीं घर बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इको-फ्रेंडली वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। जिनल पटेल ने बताया कि सबसे पहले तो उन्होंने इस बात पर ध्यान दिया है कि घर को उतना ही बड़ा बनाया जाए, जितनी जरूरत है। बाकि की जगह को खाली छोड़ा जाए। जिसमें ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाकर, एक बेहतरीन माइक्रोक्लाइमेट तैयार हो सके।
फार्महाउस को इसके लोकेशन के आधार पर डिज़ाइन किया गया है। सूरज की रौशनी और हवा की दिशा को ध्यान में रखते हुए, इसके दरवाजे और खड़कियां बनाई गई हैं। जिनल पटेल ने बताया कि वैसे तो उनकी पूरी कोशिश रही कि इको-फ्रेंडली वस्तुओं का उपयोग हो, लेकिन कई वस्तुएं रीसायकल करके भी उपयोग की गई हैं।
मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल
आमतौर पर लोग बागीचे में ही पौधे उगाते हैं, लेकिन इस फार्म हाउस में मियावाकी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसके बारे में जिनल पटेल कहतीं हैं कि कैंपस में हर मुमकिन जगह पर पौधे लगाए गए हैं। मियावाकी विधि से उगाए गए पेड़-पौधे अच्छे घने होते हैं। यह आकार में लंबे होते हैं और सौर ऊर्जा का अधिकतम उपयोग करते हैं। इस तरह के पौधे जैसे-जैसे बढ़ते हैं, वैसे-वैसे और घने होते जाते हैं। मियावाकी में पौधों को काफी कम दूरी पर लगाया जाता है। पौधरोपण में इस्तेमाल की गई इस तकनीक के कारण, घर के अंदर ठंडक भरा माहौल रहता है। क्योंकि, सूरज की रौशनी पौधों से छनकर नीचे आती है।
हालांकि, घर की दीवारें ईंट से बनी हैं, लेकिन इसपर लाइम प्लास्टर किया गया है। वहीं फर्श बनाने के लिए कोटा स्टोन का उपयोग किया गया है। जिनल पटेल ने बताया कि सीढ़ियों के लिए पुराने घर की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। वहीं छत बनाने के लिए स्टील की संरचना बनाई गई है। इसके ऊपर सोलर पैनल लगाए गए हैं, ताकि घर में पर्यावरण अनुकूल तरीके से बिजली का इस्तेमाल हो सके।
घर के बाथरूम और रसोई के पानी को रीसायकल करके एक तालाब में जमा किया जाता है। बाद में, उसे पेड़-पौधों में इस्तेमाल किया जाता है। जिनल पटेल ने बताया कि तालाब की निचली परत पर लिलिपॉन्ड बनाया गया है। जिसमें नीचे की ओर शैवाल और मछली भी हैं। प्राकृतिक रूप से पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिए, कुछ पौधों को लगाया गया है। इससे पानी में मच्छरों की संख्या भी नियंत्रण में रहती है।
जिनल पटेल का कहना है, "हमें जितनी जगह दी गई थी, उसमें से बहुत कम जगह पर ही हमने कंस्ट्रक्शन का काम किया है। इससे लोगों को घर के अंदर रहने के बजाय, घर के बाहर प्रकृति के पास रहने की प्रेरणा मिलेगी।"
ज्यादातर लोग घर के अंदर तमाम सुविधाएं बसाकर, भौतिकवादी बन गए हैं। लेकिन, इस तरह के घरों को बनाकर लोगों को फिर से पर्यावरण के पास प्राकृतिक माहौल में ले जाने में मदद मिलेगी।
जिनल पटेल अपने हर एक प्रोजेक्ट में बागवानी पर विशेष ध्यान देती हैं, ताकि भौतिकता के साथ प्राकृतिक सुंदरता का अच्छा तालमेल बन सके।
उनके अनुसार, इस प्रकार का कंस्ट्रक्शन करके वह लोगों को सस्टेनेबल जीवन के बारे में अधिक जागरूक कर सकती हैं। घर के पास ही अगर इतना सुकून देने वाला वातावरण हो, तो कोई भी घर के अंदर नहीं, बल्कि बाहर रहना ही पसंद करेगा।
यदि आप भी इस तरह के इको-फ्रेंडली घर के बारे में जानना चाहते हैं, तो जिनल पटेल से vpaarchitects@gmail.com पर संपर्क कर सकते हैं।
मूल लेख- किशन दवे
संपादन- जी एन झा
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