भारत में सड़क दुर्घटना से हर चार मिनट में एक व्यक्ति की मौत होती है। हर रोज १२०० से भी ज्यादा दुर्घटनाए होती है। नेशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो(NCRB) के अनुसार ज्यादा स्पीड और बिना नियम के गाड़ी चलाने की वजह से सड़क दुर्घटना होती है। इस कहानी द्वारा हम अपील करते है कि आप अपने परिजनों को ट्रैफिक के नियमो का उल्लंघन ना करने की सलाह दे।
नेहा चराटी अपने माता पिता की इकलोती बेटी है। उसके पिता विवेक और माँ वीणा ने बड़े ही प्यार से अपनी बेटी का पालन पोषण किया। वीणा हमेशा चाहती थी कि नेहा बड़ी होकर आत्मनिर्भर बने, क्यूंकि वो खुद एक सशक्त और आत्मनिर्भर महिला थी। वीणा की हिम्मत और लगन का आप इसी बात से अंदाज़ा लगा सकते है कि कोल्हापुर जिल्हे के गडहिंग्लज जैसे छोटे से गाँव में वीणा पिछले १६ सालों से एक प्राइवेट बैंक में नौकरी करने वाली अकेली महिला थी। नेहा इंजीनियरिंग कॉलेज के तीसरे वर्ष में ही पढ़ रही थी कि, उसकी माँ ने उसे उच्च शिक्षा के लिये परदेस भेजने की ठान भी ली थी और यही उसका सपना था।
वीणा एक अच्छी माँ होने के साथ साथ अच्छी बेटी भी थी। शादी के बाद भी वीणा अपने माता-पिता का पूरी तरह से खयाल रखती थी। बैंक के सभी कर्मचारी वीणा के काम से खुश थे। वीणा बैंक में केशियर थी और बैंक के पहले मजले पर बैठती थी। पर बैंक में आने वाले गाँव के बुजुर्ग लोगो की मदद करने के लिये हर बार वे खुद निचे चलकर आती थी। वीणा की इस मदद करने की तत्परता के कारण लोग उसे बहुत पसंद करते थे।
वीणा के पति विवेक उनके कर काम में हमेशा उनके साथ खड़े होते। रोज सुबह विवेक अपनी स्कूटर पर वीणा को बैंक तक छोड़ने जाते। और सफ़र के दौरान वो हमेशा एक दुसरे से नेहा के भविष्य के बारे में बाते करते।

४ अक्टूबर २०१५ को सुबह ८ बजे वीणा और विवेक हर रोज़ की तरह काम पर जाने के लिये तैयार हुए। विवेक ने स्कूटर शुरू किया और वीणा पिछले सीट पर बैठ गयी। लगभग ८.३० बजे, जब वो दोनों नगर परिषद् के पास के परिसर में पहुंचे, तब विवेक ने आईने में देखा कि पीछे से एक इन्नोवा कार काफी स्पीड से उनकी तरफ बढ़ रही थी। स्कूटर के सामने एक गतिरोधक था जो आसानी से दिखता नहीं था पर विवेक ने तुरंत स्कूटर की स्पीड कम कर दी। उन्हें लगा कि पीछे वाली इन्नोवा भी स्पीड कम कर देगी। पर इन्नोवा के ड्राईवर को शायद गतिरोधक दिखा ही नहीं। अचानक ब्रेक मारने की वजह से उसने जोर से स्कूटर को धक्का दिया। इन्नोवा के ड्राईवर ने हैण्ड-ब्रेक दबाया पर गाड़ी का आगे का टायर वीणा के पेट पर रुक गया। वीणा और विवेक को तुरंत अस्पताल पहुँचाया गया। नेहा को भी होस्टेल से बुला लिया गया।
वीणा के शरीर के बाये ओर बहुत सारे फ्रैक्चर थे। पेट के आंत चूर चूर हो चुके थे। शाम के ४ बजे तक भी जब वीणा का अंदरूनी रक्तस्त्राव नहीं रुका तब डॉक्टर ने सलाह दी कि वीणा को बेलगाम के बड़े अस्पताल में ले जाया जाए। पर शायद किस्मत को ये मंजूर नहीं था। वीणा ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।

इन्नोवा में तिन लोग थे, जिन्होंने विवेक की स्कूटर को धक्का दिया था। तीनो लड़के कम उम्र के थे। उन्हें गतिरोधक नहीं दिखा। आस-पास के लोगो का भी कहना था कि गतिरोधक आसानी से नहीं दिखता था।
वीणा के जाने के बाद बहुत दिनों तक नेहा घर से बाहर नहीं निकली। वो अपनी माँ से बेहद प्यार करती थी। उनके जाने के बाद नेहा खुद को बिलकुल अकेला महसूस कर रही थी। वीणा को श्रधांजलि देने हर रोज़ नेहा के घर पर लोगो का तांता लगा हुआ रहता। सब लोग वीणा के बारे में और इस दुर्घटना के बारे में चर्चा करते। पर हर किसी की चर्चा में एक बात की समानता थी और वो था- वह स्पीड ब्रेकर (गतिरोधक)। हर किसी का मानना था कि वो गतिरोधक आसानी से दिखता नहीं था।
बहुत दिनों तक नेहा अपने आप में घुटती रही। पर एक दिन उसने ठान ली कि वो कुछ ऐसा करेगी जिससे किसी और की जान ना जाये।

अपने पडोसी और दोस्तों की मदद से नेहा ने उस गतिरोधक को पेंट किया जिसकी वजह से उसकी माँ की मृत्यु हुयी थी।
ये काम इतना आसान नहीं था। उसे करने के लिये नेहा को RTO और नगर परिषद् से अनुमति लेनी पड़ी। नगर परिषद् वाले इस बात से ज्यादा खुश तो नहीं थे पर फिर भी उन्होंने नेहा को सिर्फ उस गतिरोधक को पेंट करने की अनुमति दे दी, जहाँ दुर्घटना हुयी थी। नेहा के काम से प्रभावित होकर दुसरे ही दिन एक विशेष मीटिंग बुलाई गयी और तुरंत नगर पालिका ने गाँव के सभी गतिरोधको को पेंट किया। नेहा को जब जानकारी दी गयी कि उसका लगाया हुआ पेंट रेडियम आधारित नहीं है और जल्द ही मिट सकता है, तब उसी रात को नेहा और उसके दोस्त उस गतिरोधक को रेडियम पेंट से रंगने दुबारा निकल पड़े!
इस घटना के बारे में पूछने पर नेहा बताती है –
“मेरी माँ की मौत लापरवाही की वजह से हुई…. इन्नोवा में बैठे हुये लोगो के स्पीड के नियमो का उल्लंघन करने की लापरवाही ….नगरपालिका के गतिरोधक को समय पर पेंट न करने की लापरवाही!
मैं शायद अपनी माँ को वापस नहीं ला सकती पर चाहती हूँ कि ऐसी दुर्घटना किसी और के साथ ना हो। सब लोगो को ट्रैफिक के नियमो का पालन करना चाहिये। RTO को कड़े कानून बनाने चाहिये और लोगो में जागरूकता फैलानी चाहिये, जिससे दुर्घटनाये कम हो। ऐसा सिर्फ शहर में ही नहीं पर गाँवो में भी करना चाहिये क्यूंकि अब गाँवों में भी वाहनों की संख्या ज्यादा होने लगी है, सड़के ट्रैफिक से भरने लगी है।”
नेहा की दोस्त मधुरा कहती है “नेहा की माँ हमेशा उसके उज्जवल भविष्य के सपने देखती थी। जब कोई ट्रैफिक के नियम तोड़ता है, तब वो सिर्फ एक नियम ही नहीं, कई सपनों को भी तोड़ देता है।”

हम आशा करते है कि नेहा और उसके दोस्तों की ये पहल देश के सभी लोगो को ट्रैफिक के नियमो का पालन करने के लिये प्रेरित करे। RTO और नगरपालिका ऐसे नियम लोगो तक पहुचाये और लोग सुरक्षित ड्राइविंग करे।
मूल लेख मानबी कटोच द्वारा लिखित।
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