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समुद्र को बचाकर 49 साल की उम्र में भारत की कोरल वुमन बन गईं यह गृहणी

लगभग 10 साल पहले, 49 की उम्र में उन्होंने अपनी पहली बार Deep-sea Scuba Diving की थी; और शौक़ के लिए शुरू हुआ उमा मणि का यह काम आज उनकी सबसे बड़ी ज़िम्मेदारी और लक्ष्य बन चुका है। Sony BBC Earth से उन्हें ‘Earth Champion of the Month’ का Title भी मिल चुका है।

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समुद्र को बचाकर 49 साल की उम्र में भारत की कोरल वुमन बन गईं यह गृहणी

बचपन में वह कोरल के बारे में नहीं जानती थीं, फिर भी कई फूल-पत्तियों की खूबसूरत पेंटिंग्स बनाती थीं। तब उनसे कहा जाता कि यह कागज़ और वक़्त की बर्बादी है; लड़कियों को पढ़ाई और घर-गृहस्थी में ध्यान देना चाहिए!

इस तरह उनका कलाकार बनने का सपना, सपना ही रह गया और मद्रास यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी होने के बाद उमा मणि की शादी हो गई। 2004 में वह अपने डॉक्टर पति के साथ मालदीव्स जाकर रहने लगीं; और एक आदर्श गृहणी बनकर परिवार की साड़ी ज़िम्मेदारियों को बखूबी संभाल लिया।  

सालों से घर-परिवार का ख्याल रखते हुए उनके अंदर का कलाकार कहीं खो गया था; लेकिन जब वह 40 साल की हुईं तो उमा ने दोबारा पेंटिंग करने का फैसला किया। 

अब वह अपनी कल्पना को रंगों के ज़रिए कागज़ में उतारते हुए कई फूल, पौधे, नदियों और नज़ारों के चित्र बनाने लगीं। 

एक बार उन्होंने कोरल रीफ पर एक डाक्यूमेंट्री फिल्म देखी और कोरल की सुंदरता से प्रभावित होकर उनकी पेंटिंग बनाने लगीं। जो भी उनकी पेंटिंग्स देखता, उनके हुनर की खूब तारीफ़ करता।

गृहणी से बनीं स्कूबा डाइवर

एक दिन अचानक उमा को अहसास हुआ कि वह जिन खूबसूरत कोरल रीफ को बनाती हैं; उन्हें एक बार वास्तव में भी देखना चाहिए। 

इस तरह उन्होंने पहली बार समुद्र में स्कूबा डाइविंग करने का फैसला किया। 

समुद्र के अंदर के अनोखे जीवन को देखकर उन्हें ख़ुशी व सुकून तो मिले; लेकिन साथ ही पानी में फैले प्रदूषण और गंदगी ने उन्हें चिंता में डाल दिया। यहाँ से उन्होंने कोरल रीफ को बचाने और समुद्री प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करने की मुहिम शुरू की। 

फिल्ममेकर प्रिय थुवसेरी ने उमा के काम से प्रभावित होकर, 2019 में उनपर ‘कोरल वुमन’ नाम की एक डाक्यूमेंट्री फिल्म बनाई, जिसे कई अवार्ड भी मिले।

इस फिल्म में उमा मणि के सफ़र और पर्यावरण संरक्षण के लिए उनके संघर्षों को देखकर, लोगों ने इस तरफ़ ध्यान दिया और समुद्री जीवन की अहमियत को जाना। 

आज उमा अपनी पेंटिंग्स के ज़रिए स्कूल, कॉलेज व अलग-अलग संस्थाओं में जाकर लोगों को इसके प्रति जागरूक कर रही हैं। उनका मानना है, ‘कला में बदलाव लाने की ताक़त है!’

लगभग 10 साल पहले तक जो एक आम ग्रहणी थीं, आज वह भारत की कोरल वुमन कहलाती हैं; और दुनिया को बहुत कुछ सिखाती हैं।