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परीक्षा से पहले पिता व भाई को खोया, हिम्मत और लगन से हिमांशु नागपाल 22 की उम्र में बने IAS

हरियाणा के हिसार के रहने वाले हिमांशु नागपाल ने अपनी ज़िंदगी में कई दुख झेले, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत कर IAS अधिकारी बने। हिमांशु की कहानी काफी प्रेरणादायक है, जिन्होंने पिता और भाई की मौत के बाद खुद को संभालते हुए AIR 26 के साथ UPSC परीक्षा पास की।

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परीक्षा से पहले पिता व भाई को खोया, हिम्मत और लगन से हिमांशु नागपाल 22 की उम्र में बने IAS

कई बार ऐसी घटनाएं होती हैं, जो लोगों की ज़िंदगी का रुख मोड़ देती हैं। ऐसा ही कुछ हिमांशु के साथ हुआ, जिससे वह पढ़ाई को लेकर काफ़ी गंभीर हो गए और सिविल सेवा परीक्षा पास करके ही रुके। 

पिता के आखिरी शब्दों ने ने बदली ज़िंदगी

हरियाणा के हिसार के रहने वाले हिमांशु नागपाल की इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई हिंदी मीडियम से हुई। कक्षा 5वीं तक उन्होंने सरकारी स्कूल में पढ़ाई की, इसके बाद उनका एडमिशन प्राइवेट स्कूल में करवाया गया था।

हिमांशु ने 10वीं में 80% और 12वीं में 97% मार्क्स हासिल किए थे और फिर दिल्ली यूनिवर्सिटी के हंसराज कॉलेज से बीकॉम ऑनर्स किया। 

हंसराज कॉलेज में एडमिशन के वक्त हिमांशु नागपाल के पिता जब उन्हें छोड़ने आए, तब बुलेटिन बोर्ड पर टॉपर्स का नाम देखकर उन्होंने कभी हिमांशु का नाम वहां देखने की इच्छा जताई थी।

IAS Himanshu Nagpal
IAS हिमांशु नागपाल

इसके कुछ समय बाद ही हिमांशु ने अपने पिता को एक एक्सीडेंट में खो दिया। और फिर उन्होंने पिता के आखिरी शब्दों को पूरा करने की ठान ली। 

सेल्फ स्टडी के दम पर क्रैक किया यूपीएससी

पिता की मौत के कुछ महीनों बाद हिमांशु के बड़े भाई की भी अचानक मृत्यु हो गई थी। इन दो हादसों के बाद वह टूट गए, लेकिन अपनी माँ और चाचा के सपोर्ट से उन्होंने पढ़ाई जारी रखी।  

उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और यूपीएससी परीक्षा के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी। 

आईएएस परीक्षा पास करने के लिए हिमांशु नागपाल ने किसी कोचिंग का सहारा नहीं लिया। उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में सिर्फ़ सेल्फ स्टडी के बलबूते मात्र 22 वर्ष की उम्र में यूपीएससी परीक्षा पास कर ली और 26वीं रैंक हासिल की। 

शुरू किया 'मिशन मुस्कान'

कम उम्र में ही अपने पिता और भाई को खोने वाले हिमांशु बखूबी जानते हैं कि किसी अपने के चले जाने से परिवार किस तरह बिखर जाता है।

इसलिए IAS अधिकारी बनने के बाद उन्होंने 'मिशन मुस्कान' के ज़रिए एक पहल की।

जहाँ वह सड़कों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड पर भटकते हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलाने की कोशिश में जुटे हैं। अपने अभियान के तहत वह न सिर्फ़ बेसहारा बच्चों को रेस्क्यू करते हैं बल्कि उनकी देखभाल और कॉउंसलिंग की भी ज़िम्मेदारी उठाते हैं।

बिछड़े बच्चों को उनके परिवार से मिलाकर उन्हें नई ज़िंदगी देना ही IAS हिमांशु और उनकी टीम का लक्ष्य है।

एक अफ़सर की जिम्मेदारी को निभाते हुए दूसरों के चेहरे की खोई हुई मुस्कान लौटाने वाले IAS हिमांशु समाज के सच्चे हीरो हैं और हम सबके लिए प्रेरणा भी।  

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