/hindi-betterindia/media/post_attachments/uploads/2022/10/Manoj-teacher-1-1664802255.jpg)
देश में आज लगभग हर गांव और शहर में थोड़ी-थोड़ी दूरी पर सरकारी स्कूल मौजूद हैं, जहाँ बच्चों को मुफ्त शिक्षा और खाना दोनों ही मिल जाता है। लेकिन फिर भी झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले कई बच्चे आज भी स्कूल नहीं जाते हैं। कभी सोचा है क्यों? कारण है शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी। यहां रहनेवाले कई बच्चों और उनके माता-पिता को अंदाज़ा भी नहीं है कि उनके जीवन में रोशनी सिर्फ शिक्षा के ज़रिए ही आ सकती है।
ऐसे में ज़रूरत है इन्हें शिक्षा का सही महत्व सिखाने और उन्हें सही राह दिखाने की। पंढरपुर (बनारस) के रहनेवाले 31 वर्षीय मनोज यादव, पिछले पांच सालों से यही काम कर कर रहे हैं और क़रीबन 15 गाँवों के 500 से अधिक बच्चों को स्कूल और पढ़ाई से जोड़ने की कोशिशों में लगे हैं। वह इस काम के लिए एक संस्था भी चलाते हैं और खुद अपने छह सस्दयों की टीम के साथ गांव-गांव जाकर बच्चों को पढ़ाते हैं और उन्हें नियमित स्कूल जाने के लिए प्रेरित करते हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह कहते हैं, “मैंने इतने आभाव में ज़िंदगी जी है कि कभी-कभी मैं सोचता था कि कोई भगवान बनकर आता और मेरी मदद कर देता, तो मैं अच्छी पढ़ाई कर पाता और एक अफसर बन पाता। मरे जीवन के अनुभवों ने ही मुझे दूसरे बच्चों की मदद करने और उन्हें मुफ्त शिक्षा देने के लिए प्रेरित किया।"
“जीवन में एक ही मलाल है कि आईएएस नहीं बन पाया”
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2022/10/Manoj-teacher-5-1664802856-1024x580.jpg)
गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले मनोज एक बेहद ही गरीब परिवार से आते हैं। वह बताते हैं कि जब वह आठवीं में पढ़ते थे, तब उनकी माँ ने स्कूल में मिड डे मील बनाने का काम शुरू किया। इससे पहले, उनके माता-पिता मजदूरी करके ही घर का खर्च चलाया करते थे। मनोज को पढ़ने में काफी रुचि थी, लेकिन पैसों के आभाव में वह ज़्यादा नहीं पढ़ पाए। हालांकि, अपनी लगन के दम पर उन्होंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स विषय में बीए की पढ़ाई पूरी की है।
वह बताते हैं, “मैं बीए के बाद, आगे UPSC परीक्षा की तैयारी करना चाहता था, लेकिन उसी दौरान मेरे पिता का एक्सीडेंट हो गया। घर में खाने तक के पैसे नहीं थे, तो फिर पढ़ाई का खर्च कैसे निकलता? ऐसे में मैंने पढ़ाई छोड़कर काम करना शुरू किया।"
इसके बाद, उन्होंने कुछ प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना शुरू किया, लेकिन मनोज अपने जैसे और गरीब बच्चों के लिए कुछ करना चाहते थे। इसलिए वह नौकरी के साथ-साथ, झुग्गी-बस्तियों में रहनेवाले बच्चों को भी शिक्षा से जोड़ने का काम करने लगे।
गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर IAS बनाने का सपना देखते हैं मनोज
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2022/10/Manoj-teacher-4-1664802300-1024x580.jpg)
जैसे-जैसे मनोज ने बस्तियों में जाकर मुफ्त शिक्षा देना शुरू किया, वैसे-वैसे ही बच्चों की संख्या भी बढ़ने लगी। वह कहते हैं, “मुझे पता था कि अगर मैं स्कूल या सेंटर खोलता, तो शायद ही बच्चों के माता-पिता उन्हें मेरे पास भेजते, लेकिन जब मैंने खुद उनके घर में जाकर पढ़ाना शुरू किया, तो फिर उन्हें कोई दिक्कत ही नहीं थी।" समय के साथ गांव के कुछ पढ़े-लिखे लोग भी उनसे जुड़ने लगे।
इन लोगों ने भी उनके साथ बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का काम करना शुरू किया। इस तरह करीबन दो साल बाद, साल 2019 में उन्होंने अपनी माँ के नाम से ही ‘प्रभावती वेलफेयर एंड एजुकेशन ट्रस्ट' रजिस्टर करवाया, ताकि बच्चों की पढ़ाई के लिए दूसरे लोगों की मदद मिल सके।
मात्र कुछ बच्चों और एक गांव से शुरू हुआ उनका काम, धीरे-धीरे पांच गांवों के कई बच्चों तक पहुंच गया, जिसके बाद तो मनोज के अंदर गरीब बच्चों का भविष्य सुधारने की ऐसी ललक जगी कि उन्होंने नौकरी छोड़कर बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू कर दिया। उनका यह सफर आज 15 गाँवों तक पहुंच गया है और नियमित रूप से क़रीबन 500 बच्चों को वह और उनकी टीम पढ़ाने का काम करते हैं।
“मेरे पढ़ाए 10-15 बच्चे भी आईएएस बन जाएं, तो वही मेरी सच्ची कमाई होगी।"
/hindi-betterindia/media/media_files/uploads/2022/10/Manoj-teacher-3-1664802346-1024x580.jpg)
मनोज की टीम में माया कुमारी नाम की एक लड़की है, जिन्होंने मनोज की मदद से बीए की पढ़ाई पूरी की है और अपने क्षेत्र की ग्रेजुएशन करनेवाली पहली महिला बनीं। हाल में माया भी मनोज के साथ मिलकर दूसरे गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का काम कर रही हैं। ऐसे कई बच्चे हैं, जो मनोज से जुड़कर शिक्षा का महत्व जान चुके हैं और अच्छी पढ़ाई कर रहे हैं।
मनोज बड़ी ख़ुशी के साथ बताते हैं, “एक बार मैं अपने परिवार के साथ किसी दुकान में बैठा था, तब मेरा पढ़ाया हुआ एक बच्चा अचानक मेरे पास आया। उसने मुझे बताया कि उसने 86 प्रतिशत अंक के साथ हाई स्कूल पास किया है। जब वह सातवीं में पढ़ता था, तब मैंने उसे उसकी बस्ती में जाकर पढ़ाया था।"
बिना किसी स्वार्थ के गरीब बच्चों के अंदर पढ़ाई की ललक जगाने का काम करने वाले मनोज का काम वाक़ई कबील-ए-तारीफ़ है। अंत में मनोज कहते हैं, “मेरे पढ़ाए 10-15 बच्चे भी आईएएस बन जाएं, तो वही मेरी सच्ची कमाई होगी।" आप उनके इस मिशन में मदद करके उनका काम आसान बना सकते हैं।
मनोज को यहां मदद करें -
PRABHAWATI WELFARE AND EDUCATIONAL TRUST
PAY N.9451044285
S.B.I. A.C. N.40423204892
IFSC CODE SBIN0016347
संपादनः अर्चना दुबे
यह भी पढ़ेंः यह परिवार रखता है कई बेसहारा लोगों का ख़्याल, 173 भटके लोगों को उनके परिवारों से मिलाया