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80 हजार किलोमीटर घूमकर इन्होंने बचाएं 300 देसी बीज

जैविक खेती की एक ट्रेनिंग प्रोग्राम में भाग लेकर तमिलनाडु के सलाई अरुण के जीवन का मकसद ही बदल गया। महज 300 रुपये बैंक बैलेंस से शुरू करके उन्होंने आज 300 दुर्लभ सब्जियों का बीज बैंक बना दिया है। देश के इस बीज रक्षक किसान की कहानी आपको जरूर जाननी चाहिए।

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80 हजार किलोमीटर घूमकर इन्होंने बचाएं 300 देसी बीज

80 हजार किलोमीटर घूमकर एक युवा किसान ने बचाएं 300 दुर्लभ फल-सब्जियों के बीज। यह कहानी है 32 साल के बीज रक्षक सलाई अरुण की। तमिलनाडु के एक छोटे से गांव मंगलम के रहने वाले अरुण ने अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर बनाया 300 से अधिक दुर्लभ सब्जियों का देसी बीज बैंक।

अरुण को बचपन से ही खेती से लगाव था छोटी उम्र में माँ को खोने के बाद वह अपने दादा-दादी के साथ पले-बढ़े और अक्सर अपने दादा को
खेती में मदद किया करते थे। लेकिन खेती से उनका प्यार जुनून में तब बदला जब वह 2011 में जैविक कृषि वैज्ञानिक जी नम्मालवर से मिले अरुण ने उनसे ट्रेनिंग ली और एक्सपर्ट बनकर दूसरे किसानों को जैविक खेती सिखाने में लग गए।

इस दौरान अरुण ने देखा कि किसानों के पास उगाने के लिए देसी सब्जियों के बीज हैं ही नहीं इसी चिंता के साथ साल 2021 में उन्होंने देशभर में घूमकर बीज इकट्ठा करने का मन बनाया। लेकिन उस समय उनके पास सेविंग के नाम पर सिर्फ 300 रुपये थे।

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अरुण ने धीरे-धीरे यात्रा करना और देशभर के किसानों से मिलना शुरू किया इस तरह अब तक वह 500 किसानों से मिल चुके हैं। आज अरुण अपने गांव के एक छोटे से बगीचे में लुप्त हो चुकी देशी फल-सब्जियां उगा रहे हैं।

इतना ही नहीं आज वह "कार्पागथारू(Karpagatharu)" नाम के अपने छोटे से बीज बैंक के जरिए लोगों को बीज बेच भी रहे हैं। उनके बीज बैंक में लौकी की 15 किस्में बीन्स की 20 किस्में टमाटर, मिर्च और तोरई की 10-10 किस्में सहित कई और सब्जियां शामिल है।

आशा है देश के इस युवा देसी बीज रक्षक की कहानी आपको जरूर पसंद आई होगी।

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