अपने आस-पास के बेजुबानों को तकलीफ में देखकर दया तो कई लोगों को आ जाती है, लेकिन उनके लिए कुछ करने का जज्बा किसी-किसी के अंदर ही पैदा होता है। ऐसी ही एक शख्स हैं मंगलुरु की रहनेवाली रजनी शेट्टी। करीबन 20 साल पहले, उन्होंने एक बस में यात्रा करते समय एक भूखे कुत्ते को खाने के ठेले की ओर देखते हुए देखा। खाने के लिए तरसते उस कुत्ते को देखकर उन्हें जो तकलीफ हुई, उसे उन्होंने अनदेखा नहीं किया। बल्कि वह उसी समय बस से उतरकर उस भूखे कुत्ते के लिए खाना लाईं। उस दिन से आज तक बेजुबानों की मदद करने का यह सिलसिला रुका ही नहीं।
रजनी शेट्टी अपना घर चलाने के लिए दूसरों के घर में काम करती हैं। उनके पास पैसे भले ही ज्यादा नहीं हैं, लेकिन उनके दिल में इन जानवरों के लिए जगह बहुत है। वह आज हर दिन, एक दो नहीं बल्कि 800 सड़क पर फिरते जानवरों के लिए खाना बनाती हैं। वह हर दिन 200 किलो चावल और चिकन बनाती हैं।
इतना ही नहीं, उन्होंने कई जानवरों की जान बचाने के लिए खुद को कई बार मुश्किलों में भी डाला है। उन्होंने कई बार कुएं मेंकूदकर और कई बार लम्बी दीवारों पर चढ़कर भी फंसे हुए जानवरों को बचाया है।
इस तरह से पिछले 20 सालों में उन्होंने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि 2000 जानवरों की जान बचाई है। इस काम में उनके पति दामोदर और उनके दोनों बच्चे भी उनका पूरा साथ देते हैं। उनका दिन सुबह साढ़े-पांच बजे शुरू हो जाता है, जब वह इन बेजुबानों के लिए खाना बनाकर अपनी स्कूटी में लेकर जाती हैं। सुबह उनके साथ उनकी बेटी भी जाती हैं, जो रास्ते में मिलने वाले सभी जानवरों को खाना देने का काम करती हैं।
इन जानवरों की सेवा करने में रजनी और उनका परिवार कोई कसर नहीं छोड़ता। एक समय पर तो उनके पास खुद के घर का किराया भरने के पैसे भी नहीं थे, लेकिन उसी समय एक कुत्ते को रेस्क्यू करने का उनका वीडियो वायरल हो गया था। इसे देखकर शहर की कई संस्थाएं उनकी आर्थिक मदद के लिए आगे आई।
रजनी शेट्टी को इन सभी जानवरों से बेहद लगाव है, इसलिए उन्हें खाना खिलाकर रजनी को बेहद ख़ुशी मिलती है। यही कारण है कि वह यह काम कभी बंद नहीं करना चाहतीं और ये सभी उनके जीवन का अटूट हिस्सा बन गए हैं। उनका सपना है कि शहर में एक ऐसा विशेष अस्पताल खुले, जिसमें दिन-रात सड़क पर घूमते जानवरों की चिकित्सा मुफ्त की जाए।
रजनी की कहानी साबित करती है कि इंसानियत आज भी जिन्दा है।
संपादन-अर्चना दुबे
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