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पहले मेहनत से बने इंजीनियर, फिर छोड़ी दी नौकरी, अब कर रहे हैं तालाबों की सफाई

Engineer Ramveer Quits Job To Clean Water Resources, People Call Him Pond Man

आमतौर पर इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी मिल ही जाती है। लेकिन जब कोई इंजीनियर एक अच्छी खासी नौकरी छोड़ दे तो यह बात जहन में नहीं उतरती। आज हम आपको एक ऐसे इंजीनियर की कहानी सुनाने जा रहे हैं, जिन्होंने नौकरी छोड़कर तालाबों को
साफ करने का बीड़ा उठाया। यह कहानी है गाजियाबाद के रहनेवाले Pond Man रामवीर तंवर की।

रामवीर तंवर का जन्म ग्रेटर नोएडा के डाढ़ा-डाबरा गांव में हुआ। उनके पिता पेशे से किसान थे। रामवीर की प्रारंभिक और उच्च शिक्षा गांव में ही पूरी हुई। उन्होंने 12वीं की परीक्षा पास करने के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। रामवीर के पिता के पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे, लेकिन उनके पिता चाहते थे कि रामवीर इंजीनियर बने। इसके लिए उन्होंने अपनी जमीन तक बेच दी थी। जमीन के पैसों से रामवीर का दाखिला ग्रेटर नोएडा के एक कॉलेज में कराया। साल 2014 में रामवीर तंवर ने मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर ली।

तालाबों को साफ करने के लिए छोड़ी नौकरी

This Picture says about Pond Man vision to Clean Ponds in Villages (Source : Ramveer Tanwar)

रामवीर तंवर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद, साइंट लिमिटेड कंपनी में नौकरी करने लगे। उन्हें अच्छा खासा सैलरी पैकेज मिल रहा था। बेटे की नौकरी लगने पर उनके पिता बहुत खुश थे। लेकिन साल 2015-16 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी। नौकरी छोड़ने के बाद, लगभग दो महीने तक उन्होंने अपने पिता को इस बात का एहसास नहीं होने दिया कि अब वह नौकरी नहीं कर रहे। वह तालाबों को संरक्षित करने के अपने मकसद में पूरी तरह जुट गए।

रामवीर ने बताया कि वह ग्रेजुएशन की पढ़ाई के दौरान, पर्यावरण संरक्षण से जुड़े मुहिम में शामिल हो गए थे। उन्होंने कहा, “मैं जब ग्रेजुएशन कर रहा था, तब बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाता था। नौकरी लगने से पहले मैं पूरी तरह से ट्यूशन पर निर्भर था। इस बीच, मुझे जब भी
समय मिलता, मैं कई पर्यावरणविद से मिलता। उनमें से सबसे खास थे अनुपम मिश्र जी। उनकी किताबें पढ़ना मुझे बेहद पसंद है।”

रामवीर ने अपने एक इंटरव्यू में पानी का जिक्र करते हुए कहा था कि शहरों में समर्सेबल लगने की वजह से पानी का लेवल धीरे-धीरे नीचे जा रहा था। दूसरी तरफ तालाब गंदगी से भर चुके थे, लेकिन इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। गांव में पानी की कमी हो गई थी। अधिकतर तालाब या तो सूख गए थे या गंदगी के कारण उनका पानी पीने लायक नहीं बचा था।

ऐसे में, उन्होंने तालाबों को साफ करने का बीड़ा उठाया। इस मुहिम की शुरुआत उन्होंने ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों से की। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे अपने घर पर पानी को लेकर सभी सदस्यों को जागरूक करें, लेकिन दिक्कत यह थी कि बच्चों की इस बात पर घरवाले ध्यान नहीं देते थे।

अब तक 30 से अधिक तालाबों को कर चुके हैं स्वच्छ

How Pond Man Made PondsClean (Source : Ramveer Tanwar)

जब रामवीर ने देखा कि बच्चों की बात को कोई गंभीरतापूर्वक नहीं ले रहा है, तब उन्होंने खुद बच्चों के साथ घर-घर जाकर लोगों को पानी की बचत करने के लिए जागरूक करने की ठान ली। उनकी यह कोशिश धीरे-धीरे रंग लाने लगी। लोगों ने रामवीर की इस मुहिम में उनका साथ दिया। वह अपने पैतृक गांव डाढ़ा-डाबरा के तालाबों को स्वच्छ कर चुके हैं।

इसके अलावा, उन्होंने यूपी के कई इलाकों, जैसे ग्रेटर नोएडा के चौगानपुर, रौनी गांव, गाजियाबाद के मोरटा गांव, सहारनपुर के नानाखेड़ी गांव सहित राजधानी दिल्ली के गाज़ीपुर गांव के पानी में पड़े कचरे को साफ करके उसे स्वच्छ तालाब में तब्दील कर दिया है। अब तक 30 से अधिक तालाबों को वह संरक्षित कर चुके हैं। लोग उन्हें तालाबों से जुड़ी इस मुहिम में सफल होने के बाद से पॉन्ड मैन (Pond man) के नाम से पुकारते हैं।

रामवीर तंवर को देशभर में आयोजित पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों में वक्ता के तौर पर बुलाया जाता है। वह, अब तक इंडियन ऑयल द्वारा आयोजित स्वच्छता पखवाड़ा में वक्ता के तौर पर, दिल्ली यूनिवर्सिटी और जेएनयू में पर्यावरण से जुड़े कार्यक्रमों में गेस्ट स्पीकर के तौर पर शिरकत कर चुके हैं। इसके साथ ही, रामवीर तंवर को पर्यावरण संरक्षण के लिए उठाए गए अनूठे पहल के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ताइवान के द्वारा ‘विश्व संरक्षण सम्मान’ से नवाजा जा चुका है। साल 2020 में उन्हें राष्ट्रीय स्वयं सिद्ध सम्मान और पर्यावरण सम्मान से सम्मानित किया गया।

रामवीर तंवर ने की Say Earth संस्था की स्थापना

Pond Man रामवीर तंवर कहते हैं, “मैं जब तालाबों के बारे में सोच रहा था तब मेरे जहन में यह बात आई कि देश में इतने सारे एनजीओ हैं। सभी एनजीओ जागरूक करने का काम करते हैं। लेकिन जमीनी हकीकत वैसे की वैसे बनी हुई थी। मैं जमीनी हकीकत से वाकिफ था। तब मैंने अकेले तालाबों को संरक्षित करने की शुरुआत की। कई चुनौतियां सामने आईं। हमारी टीम के लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की गई। निजी हाथ में पड़े तालाबों तक हम नहीं पहुंच सके। लेकिन फिर भी हमने हार नहीं मानी। मैंने इस कार्य के साथ Say Earth नाम से एक संस्था की स्थापना की।”

आज यह संस्था देशभर में तालाबों को लेकर मुहिम चला रही है। रामवीर तंवर की यह कहानी हमें सीख देती है कि जल स्रोतों की सफाई के लिए हम सभी को आगे आना होगा, तभी हम पानी के स्रोतों को जिंदा रख पाएंगे।

द बेटर इंडिया रामवीर तंवर के जज्बे को सलाम करता है और उनके बेहतर भविष्य की कामना करता है।

संपादन- जी एन झा

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