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इंजीनियरिंग छात्रों का इनोवेशन, हेलमेट में फिट डिवाइस बताएगा रास्ता

Navigation device on helmet

बेंगलुरु में इंजीनियरिंग छात्र, मिलिंद मनोज, प्रदीप पार्थसारथी और रिया गंगम्मा ने मिलकर 'NAVisor' डिवाइस बनाया है, जिससे बाइक चला रहे लोगों के लिए नेविगेशन आसान होगा और उन्हें बार-बार फ़ोन नहीं देखना पड़ेगा।

क्या बाइक चलाते हुए आपको गूगल मैप  फॉलो करना मुश्किल नहीं लगता? क्योंकि मैप देखते हुए रोड पर भी ध्यान देना आसान काम नहीं है। लेकिन अगर बाइक-स्कूटी चलाते हुए आपकी आंखों के सामने मैप भी रहे और आपको एक पल के लिए भी रोड से नजर न हटानी पड़े तो? आज आपको हम बेंगलुरु के तीन ऐसे इंजीनियरिंग छात्रों से मिलवाने जा रहे है, जिन्होंने एक डिवाइस बनाकर यह कारनामा कर दिखाया है। 

रमैया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, बेंगलुरु के इंजीनियरिंग छात्र, मिलिंद मनोज, प्रदीप पार्थसारथी और रिया गंगम्मा ने मिलकर ‘NAVisor‘ डिवाइस बनाया है, जिसे फ़िलहाल चिन-गार्ड (Chin guard) के साथ आने वाले फुल-साइज हेलमेट में लगाया जा सकता है और यह बाइक चला रहे व्यक्ति को मैप बताता है। इस डिवाइस को अपने हेलमेट में लगाएं और मोबाइल ऐप से कनेक्ट करें। इसके बाद मैप में वह जगह डालें, जहां आपको जाना है। बस फिर क्या, जैसे-जैसे आप अपने सफर पर आगे बढ़ेंगे, इस डिवाइस की मदद से आपको विज़ुअल क्यू मिलती रहेगी। अगर आपको दाएं मुड़ना है तो डिवाइस के दायीं तरफ लगी LED ऑन हो जाएगी और अगर बाएं जाना है तो बायीं तरफ लगी LED ऑन होगी। 

इससे बाइक चलाते हुए आपको बार-बार मैप देखने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साल 2017 में मिलिंद, प्रदीप और रिया ने भारत सरकार के इंडियन इनोवेशन डिज़ाइन कांटेस्ट में हिस्सा लिया था। उन्होंने यहां पर अपने ‘स्मार्ट ऑगमेंटेड रियलिटी हेलमेट’ (SARmet) का आईडिया प्रेजेंट किया और इस आईडिया को टॉप 10 आइडियाज में जगह भी मिली। उनका आईडिया था कि यह इनोवेटिव हेलमेट बाइक चला रहे लोगों की नैविगेशन में मदद करने के साथ-साथ कॉल उठाने और इंटरकॉम इस्तेमाल कर रहे दूसरे लोगों से बात करने की सुविधा देगा। 

लेकिन कहते हैं कि आइडियाज को हकीकत बनाने में मुश्किल आती है। इन छात्रों के साथ भी यही हुआ क्योंकि इस तरह का हाई-टेक हेलमेट बनाने में काफी इन्वेस्टमेंट थी। उन्होंने पहले सिर्फ एक समस्या पर ध्यान दिया और वह थी नैविगेशन। इसलिए उन्होंने NAVisor बनाया। साल 2018 में इन तीनों ने मिलकर अपने स्टार्टअप, PupilMesh की शुरुआत की, जिसे IIM बेंगलुरु ने इन्क्यूबेशन और फंडिंग दी है।

Engineering Students Innovation
From left Pradeep Parthasarathy, Riya Gangamma, Milind Manoj.

क्या है NAVisor की खासियत 

इस डिवाइस के बारे में बात करते हुए 23 वर्षीय मिलिंद कहते हैं कि यह डिवाइस MapMyIndia के साथ सिंक में काम करता है। यह एक टेक कंपनी है जो नैविगेशन में मदद करने के लिए डिजिटल मैप डाटा बनाती है। अगर यूजर को बाएं मुड़ना है तो बायीं LED लाइट चमकने लगती है और अगर दाएं जाना है तो दायीं LED लाइट। उनका कहना है कि ये LED लाइट इतना ही चमकती हैं कि बाइक चला रहे इंसान को गाइड कर सकें न कि उसका ध्यान भटकायें। 

“डिवाइस को बनाते समय यह सबसे बड़ी चुनौती रही कि कभी LED लाइट बहुत ज्यादा चमक रही थी तो कभी बहुत कम। सही साइज का डिवाइस बनाना भी मुश्किल रहा। यह भारी नहीं हो सकता था और न ही ऐसा कि किसी को सामने देखने में परेशानी हो,” उन्होंने कहा।

मिलिंद ने आगे बताया कि इस उत्पाद को बनाने के लिए 12 इंजीनियर्स ने दो सालों तक एक आयामी (One Dimensional) ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) उत्पाद पर काम किया है, जो बाइक चला रहे इंसान को दिखता भी रहे और सभी मौसम में प्रभावी रूप से काम करे। 

इस डिवाइस का वजन 7.8 ग्राम है और इसमें एक 750mAh लिथियम-पॉलीमर बैटरी है जो दो घंटे में चार्ज हो जाती है और एक बार चार्ज होने के बाद कम से कम तीन दिन चलती है। लाइट्स की चमक मौसम के हिसाब से ऑटोमैटिक एडजस्ट हो जाती है। इसके अलावा, इसमें म्यूजिक, 11 घंटे तक का टॉक टाइम, 300 mW स्पीकर पावर, 105 dB माइक्रोफोन सेंस्टिविटी और नॉइज़ कंट्रोल है। 

NAVisor Helmet

मिल रहे हैं प्री-ऑर्डर्स 

बतौर मार्केटिंग प्रोफेशनल काम कर रहे तेजस एसके ने इस डिवाइस को तीन महीने तक इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा, “इस डिवाइस के साथ मेरा अनुभव अच्छा रहा है। खासकर कि बारिश के मौसम में यह बहुत ही मददगार साबित हुआ। क्योंकि इस मौसम में आप फ़ोन को अपनी जेब से निकालने या इस पर मैप देखने का रिस्क नहीं सकते हैं। साथ ही, लम्बी यात्राओं में नैविगेशन एप इस्तेमाल करने से मोबाइल की बैटरी भी जल्दी खत्म होती है।” वह आगे कहते हैं कि इसकी मदद से आपके फ़ोन की बैटरी भी बचती है। इसके ऑडियो मॉड्यूल से आप बिना अपने मोबाइल फोन को निकाले भी कॉल्स ले सकते हैं। 

अब तक 100 से ज्यादा यूजर्स ने 3500 रुपए के इस डिवाइस को इस्तेमाल किया है। IIM बेंगलुरु से उन्हें 20 लाख रुपए की फंडिंग मिली है और टेक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंट्रेप्रेन्योरशिप और IIT बॉम्बे से भी मदद मिली है। मिलिंद कहते हैं कि उनका उद्देश्य सड़क पर रिस्क को कम करना और नैविगेशन को सबके लिए आसान बनाना है। अब तक उन्हें 200 से ज्यादा प्री-ऑर्डर मिल चुके हैं।

अगर आप NAVisor का प्री-ऑर्डर देना चाहते हैं तो https://www.navisor.in/pilot पर क्लिक करें। 

देखिए किस तरह NAVisor काम करता है।

मूल लेख- हिमांशु नित्नावरे 

संपादन- जी एन झा

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