जब आप खुद किसी परेशानी से गुज़रते हैं, तो उसका हल आपसे बेहतर कोई नहीं बता सकता। उत्तराखंड के रहनेवाले पीसीएस टॉपर रहे SDM हिमांशु कफल्टिया के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। उन्होंने जब ऑफिसर बनने की ठानी, तो उन्हें न चाहते हुए भी अपना गांव छोड़कर दिल्ली जाना पड़ा, क्योंकि गांव में तैयारी के लिए सुविधाएं नहीं थीं।
लेकिन SDM बनने के बाद, उन्होंने अपने खर्च पर गांव के बच्चों के लिए खोली लाइब्रेरी। दरअसल, कभी खुद मीलों पैदल चलकर स्कूल जाने वाले हिमांशु का बचपन से एक ही सपना था और वह था अफसर बनना। लेकिन गांव में सुविधाओं की कमी के कारण न चाहते हुए भी तैयारी के लिए उन्हें दिल्ली जाना पड़ा।
लेकिन जाते-जाते उन्होंने खुद से एक वादा किया कि गांव तक वे सारी सुविधाएं लाएंगे, ताकि जिनके पास शहरों में जाकर तैयारी करने के पैसे न हों, वे भी अपने सपनों को पूरा कर सकें और उन्होंने अफसर बनने के बाद, अपना वादा निभाया भी उन्होंने उत्तराखंड के हर गांव में एक लाइब्रेरी खोलने का फैसला किया और नवंबर 2020 में टनकपुर में पहली लाइब्रेरी खोलकर इस काम की शुरुआत की।
तब से लेकर अब तक हिमांशु आस-पास के कई गांवों में लाइब्रेरी खोल चुके हैं, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं की ढेरों किताबें रखी गई हैं। साथ ही वह छात्रों की करियर काउंसलिंग भी कराते हैं। अब तक इन गांवों के कई बच्चों ने अलग-अलग परीक्षाओं में सफलता हासिल की है।
SDM की पहल का असर, गांववालों को हो रही पढ़ने की आदत
शुरू-शुरू में तो हिमांशु खुद के खर्च पर किताबें लाते थे, लेकिन फिर उन्होंने एक अभियान शुरू किया, जिसके तहत उन्होंने सक्षम लोगों से दो-दो किताबें दान करने को कहा और उनका यह आइडिया काफी सफल भी रहा। उन्हें इस पहल के ज़रिए इतनी किताबें मिलीं कि किताबें खरीदने की लागत लगभग जीरो हो गई।
अब ये लाइब्रेरीज़ काफी अच्छे तरीके से चल रही हैं और 24 घंटे खुली रहती हैं। छात्र यहां सुबह 5 बजे ही आ जाते हैं और कभी-कभी तो देर रात तक रुकते हैं। इन लाइब्रेरीज़ में शुरुआत में तो केवल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए ही किताबें रखी गई थीं, लेकिन धीरे-धीरे गांव के वे लोग भी लाइब्रेरी मे पढ़ने आने लगे, जो कभी शिक्षा और सही समय पर सही दिशा न मिलने के कारण नशे जैसी बुरी आदतों में लगे हुए थे।
इन लोगों के लिए यहां कहानियों और साहित्य से जुड़ी किताबें भी रखी गई हैं, ताकि ग्रामीणों में पढ़ने की आदत डाली जा सके।SDM हिमांशु का मानना है कि कोई भी बच्चा, जिसके हाथ में किताब है, वह कभी गलत रास्ते पर नहीं जा सकता है।
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