Powered by

Home अनमोल इंडियंस डॉ. माला की पहल से 2500 बेजुबानों को मिला नया जीवन

डॉ. माला की पहल से 2500 बेजुबानों को मिला नया जीवन

मिलिए, उदयपुर की डॉ. माला मट्ठा से जो पिछले 14 सालों से सड़क पर रह रहें बेसहारा बेजुबानों की सेवा कर रही हैं।

New Update
dr. mala mattha

बेजुबान जानवरों से प्यार करने वाले या उन्हें रोज़ खाना खिलाने वाले एनिमल लवर्स तो आपने कई देखें होंगे। लेकिन अपना पूरा जीवन बेसहारा बेजुबानों की रक्षा के लिए कुर्बान करने वाले लोग कम ही होते हैं। आज मिलिए ऐसी ही एक खास शख़्स से जिन्होंने बेजुबानों के लिए काम करने को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया है। उदयपुर की 39 वर्षीया डॉ. माला मट्ठा ने पिछले 14 सालों में एक या दो नहीं बल्कि 2500 से अधिक जानवरों को रेस्क्यू करके नया जीवन दिया है। इतना ही नहीं इस काम को बेहतर ढंग से करने लिए उन्होंने आज तक शादी तक नहीं की है।  

इस काम को करने की प्रेरणा उन्हें अपने माता-पिता से मिली थी। लेकिन बचपन से अपने आस-पास के कुत्तों को खाना खिलाते या उनके साथ खेलते हुए उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन यही उनके जीवन का मकसद बन जाएगा। मेंटल हेल्थ क्षेत्र में काम कर चुकीं डॉ. माला फ़िलहाल राजस्थान सरकार की ओर से चलाए जा रहे चिरंजीवी योजना पर भी काम कर रही हैं। इसके साथ ही वह अपनी NGO ‘Animal Protection Society’ के ज़रिए उदयपुर शहर के आस-पास के गांवों और हाईवे पर घायल और बीमार बेजुबानों की मदद भी कर रही हैं।  

उन्होंने बताया कि 14 साल पहले जब वह शहरी क्षेत्र में इन जानवरों के लिए काम कर रही थीं तब उन्होंने देखा कि शहर में तो  फिर भी इन जानवरों को समय पर मेडिकल सुविधाएं मिल जाती हैं। लेकिन गांव और शहर से बाहर घूमते बेजुबानों की देखभाल करने वाला कोई नहीं है। इसलिए उन्होंने शहर से बाहरी इलाके में काम करने का मन बनाया और इसी सोच से शुरू हुई थी, उनकी NGO भी। 

पशु-पक्षियों के लिए बना रहीं सुरक्षित माहौल 

Dr. Mala Mattha Animal protection

डॉ. माला की इस नेक पहल से उनके कुछ दोस्त भी जुड़कर नियमित रूप से काम कर रहे हैं। उनकी टीम सिर्फ घायल कुत्तों को रेस्क्यू ही करती बल्कि एक्सीडेंट से बचाव के लिए उन्हें रेडियम बेल्ट पहनाने, सर्दियों में उनके लिए शेल्टर बनाने और उनके नियमित वैक्सीन और स्टेरलाइजेशन जैसे काम भी करती रहती है। 

वहीं वे पक्षियों के लिए गौरैया बचाओ अभियान भी चलाते हैं और घूम-घूम कर चिड़ियों के लिए घोंसलें लगाते हैं। इस तरह से वह अब तक 100 से अधिक अभियानों पर काम कर चुकी हैं। और आज भी निरंतर इसी प्रयास में हैं कि कैसे अपने आस-पास के माहौल को पशु- पक्षियों के लिए सुरक्षित बनाया जाए।

आप उनके इस मिशन के बारे में ज्यादा जानने या उनसे जुड़ने के लिए उनकी वेबसाइट और सोशल मीडिया पर संपर्क कर सकते हैं। 

यह भी देखेंःकभी खुद जीना भूल चुके विवेक ने सिखाया 800 लोगों को फिर से जीना