कहते हैं न बचपन की सीख इंसान जिंदगी भर याद रखता है। इस बात को पूरी तरह से सच्चा साबित करती हैं, कोलकाता की गीता राउत की कहानी। क्योंकि उन्होंने बचपन में अपने आप से एक वादा किया और उस वादे को अब वह पूरी जिंदगी निभा रही हैं। दरअसल, यह कहानी शुरू होती है उनके स्कूल जाने की जर्नी के साथ। छोटी सी गीता जब रिषड़ा स्टेशन से रोज स्कूल जाती तो कई बच्चों को स्टेशन में भूख के कारण भीख मांगते हुए देखती थीं।
यह सब देखकर गीता काफी बुरा महसूस करती थीं, उन्हें मन ही मन लगता था कि कैसे इन बच्चों की मदद की जाए?
तब तो वह बहुत छोटी थीं इसलिए उस वक़्त वह सिर्फ अपना टिफ़िन उन बच्चों को खिलाकर खुश हो जाया करती थीं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि एक दिन भी अगर वह इन बच्चों को अपना टिफ़िन नहीं खिला पाती तो उन्हें बहुत बुरा लगता था।
गीता ने तभी सोच लिया था कि बड़ी होकर वह इन बच्चों के लिए ही कुछ करेंगी।
कुछ सालों बाद गीता ने कोलकाता स्टेशन के पास सड़क पर रहने वाले कुछ बच्चों की जाकर पढ़ाना शुरू किया। फ्री में बच्चों को पढ़ाने वाली इस दीदी को देखकर एक के बाद एक कई बच्चे जुड़ने लगें। एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखने वाली गीता के लिए इस काम को जारी रखना कोई आसान काम नहीं था।
लेकिन उन्होंने इस नेक काम को करना कभी बंद नहीं किया। उनके निरंतर प्रयासों का नतीजा आख़िरकार उन्हें मिल ही गया जब कोलकाता के ही एक बिजनेसमैन किशोर जायसवाल ने उन्हें स्कूल बनाने के लिए फ्री में एक जगह दे दी।
अपने जैसी 100 गीता बनाने का सपना देखती हैं वह
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किशोर भी स्टेशन के आस-पास रहने वाले परिवारों और विशेषकर बच्चों के लिए सालों से काम कर रहे थे। लेकिन जब उन्होंने यहां गीता को निशुल्क पढ़ाते देखा तो उनकी मदद करने का फैसला किया।
इस तरह दोनों ने मिलकर TEARS (To Educate And Regain Smile) नाम से एक संस्था की शुरुआत कर दी। आज इस संस्था से 150 बच्चों को न सिर्फ शिक्षा बल्कि दो वक़्त का खाना भी मिल पा रहा है। गीता अब इन बच्चों के लिए बस एक सपना देखती हैं कि कैसे वह इन बच्चों को पढ़ाकर काबिल बना सके ताकि अशिक्षा और गरीबी की यह समस्या समाज से पूरी तरह से ख़त्म की जा सके।
आप भी उनकी इस नेक पहल से जुड़कर बन सकते हैं बदलाव का हिस्सा। उनसे जुड़ने के लिए इस 9681433252 पर सम्पर्क करें।
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