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खेती भी की, ऊंट-गाड़ी भी चलाई, आज IPS अफसर बनकर बदल दिया इतिहास

बीकानेर, राजस्थान के एक छोटे से गाँव में जन्में प्रेमसुख डेलू ने बड़ी कठिनाइयों में अपना बचपन बिताया, लेकिन अपनी कड़ी मेहनत की वजह से आज वह एक IPS अफसर बनकर देश की सेवा कर रहे हैं।

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खेती भी की, ऊंट-गाड़ी भी चलाई, आज IPS अफसर बनकर बदल दिया इतिहास

इरादे मजबूत हों, तो कोई भी लक्ष्य नामुमकिन नहीं होता। हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, इंसान कड़ी मेहनत से अपना भविष्य बेहतर बना ही लेता है। आज हम आपको, ऐसे ही एक मजबूत इरादों वाले शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं। हम बात कर रहे हैं, अहमदाबाद ज़ोन 7 के वर्तमान डीसीपी (DCP) 'प्रेमसुख डेलू' की। आईपीएस (IPS) अफसर बनने से पहले, उन्होंने 12 सरकारी परीक्षाएं दी और सभी में सफल भी हुए। द बेटर इंडिया से बात करते हुए, आईपीएस प्रेमसुख ने अपनी इन सफलताओं और कठिनाइयों के बारे में विस्तार से बताया।  

IPS प्रेमसुख डेलू का जन्म राजस्थान के बीकानेर जिले के छोटे से गांव रासीसर में हुआ था। वह अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता एक किसान थे, चूँकि उनके पास इतनी ज्यादा जमीन नहीं थी कि घर का गुजारा मात्र खेती से चल सके। इसलिए, वह ऊंटगाड़ी भी चलाते थे। द बेटर इंडिया से बात करते हुए आईपीएस प्रेमसुख बताते हैं, "मैं बचपन से ही पढ़ाई के साथ, अपने पिता की मदद भी करता था। फिर चाहे वह पशुओं के लिए चारा लाना हो या उनके साथ ऊंटगाड़ी चलाना हो या खेती में हाथ बटाना।"

Rajasthan IPS Officer Premsukh delu

कठिनाइयों से भरा था बचपन  

IPS प्रेमसुख ने गांव के सरकारी स्कूल से दसवीं पास की थी। प्रेमसुख बचपन से ही पढ़ाई में काफी अच्छे थे। वह कहते हैं, "भले ही मेरे माता-पिता ने पढ़ाई नहीं की, लेकिन पढ़ाई के प्रति मेरी रुचि देखकर, उन्होंने मुझे हमेशा पढ़ने के लिए प्रेरित किया।" उन्होंने बताया कि कई बार पैसों की कमी के कारण, किताबें और कॉपियां भी समय पर नहीं आ पाती थी। वह बताते हैं, "मैं हमेशा अपने पिताजी को बहुत मेहनत करते देखता था। वह अपनी जरूरतों को पीछे रख कर, मेरी पढ़ाई के लिए जरूरी किताबें और चीजें लाते थे। उनकी मेहनत, त्याग और मेरे प्रति प्यार को देखकर ही, मैंने सरकारी नौकरी हासिल करने का निश्चय कर लिया था।" 

उन्होंने दसवीं के बाद डूंगर कॉलेज, बीकानेर से बायोलॉजी विषय में बारहवीं की परीक्षा पास की। मेडिकल के क्षेत्र में करियर बनाने की चाह के कारण, उन्होंने मेडिकल की प्रवेश परीक्षा भी दी थी, जिसमें उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन, शायद उसमें भी कुछ अच्छाई छिपी थी। इसके बाद, उन्होंने महाराज गंगा सिंह यूनिवर्सिटी, बीकानेर से बीए करने का फैसला किया। वह ग्रैजुएशन में, इतिहास विषय में गोल्ड मैडलिस्ट रहे। घर में विपरीत हालात होते हुए भी, उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वह बताते हैं, "मैंने कभी कुछ सोचकर नहीं किया। मुझे बस अपने घर के हालातों को बेहतर बनाना था।"

पास की कई परीक्षाएं  

उनकी सबसे पहली नौकरी 2010 में, बीकानेर के ही एक गांव में पटवारी के तौर पर लगी। लेकिन, यह मात्र उनके सफर की शुरूआत थी। उसी साल, उन्होंने राजस्थान में ग्राम सेवक के पद की परीक्षा में, राज्य में दूसरा रैंक हासिल किया। उन्होंने असिस्टेंट जेलर के पद की परीक्षा में, पूरे राजस्थान में पहला स्थान प्राप्त किया। उन्होंने साल 2011 में बीएड किया और इसके बाद प्राइमरी और सेकण्डरी स्कूल टीचर की परीक्षा भी पास की। कुछ दिन उन्होंने बीकानेर के कतरियासर गांव में बतौर स्कूल शिक्षक भी काम किया। 

Rajasthan IPS Officer Premsukh Delu

वह कहते हैं, "गांव के बच्चों से मैं आज भी जुड़ा हुआ हूँ। मुझे देख कर ख़ुशी होती है कि आज गांव के कई बच्चे, सरकारी नौकरी करने के लिए कोशिश कर रहे हैं।" आईपीएस प्रेमसुख, नेट और टेट की एग्जाम भी पास कर चुके हैं। नेट की परीक्षा पास करने के बाद, कुछ समय के लिए उन्होंने कॉलेज में लेक्चरर के पद पर भी काम किया। लेक्चरर रहते हुए, उन्होंने राज्य लोक सेवा की परीक्षा पास की। जिसके बाद उन्होंने रेवेन्यू सर्विस ज्वाइन की और तहसीलदार के पद कर काम करने लगे। लेकिन, प्रेमसुख ने पढ़ाई का सफर तब भी जारी रखा। वह बताते हैं, "घरवाले कहते थे, अब बस बहुत हो गया, लेकिन मुझे काफी आगे जाना था।" 

लक्ष्य तक पहुंचना अभी बाकी था 

अजमेर में तहसीलदार के पद पर रहते हुए, उन्होंने खुद ही यूपीएससी (UPSC) जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। वह बताते हैं, "नौकरी के साथ-साथ पढ़ाई पर ध्यान देना काफी कठिन था, लेकिन मैं बिल्कुल भी समय बर्बाद नहीं करता था।" बचपन से पढ़ाई में अव्वल आईपीएस प्रेमसुख ने ये सारी ही परीक्षाएं, बिना किसी कोचिंग के ही पास की हैं। आख़िरकार, यूपीएससी (UPSC) 2015 की परीक्षा में, उन्होंने 170वाँ रैंक हासिल किया और हिंदी माध्यम से सफल उम्मीदवारों की फेहरिस्त में, तीसरे स्थान पर रहे। 

अपनी कड़ी मेहनत से प्रेमसुख, साल 2016 बैच के आएपीएस अफसर बन गए। 

IPS प्रेमसुख की पहली पोस्टिंग, गुजरात के साबरकांठा जिले में एएसपी (ASP) के तौर पर हुई। वह कहते हैं, "मेरे लिए सफलता का मंत्र, निरन्तर मेहनत करते रहना है।" वर्त्तमान में प्रेमसुख अहमदाबाद में ज़ोन 7 के डीसीपी हैं। वह इसके पहले अमरेली जिले में भी एएसपी रह चुके हैं। उन्होंने साल 2019 में एक बार नहीं बल्कि दो बार, गुजरात पुलिस का प्रतिनिधित्व किया है। 

उन्होंने गुजरात के ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर, पीएम नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई एकता परेड में ‘परेड कमांडेंट’ की भूमिका निभाई थी।

वह कहते हैं, "मैंने अपनी हर एक परीक्षा और नौकरी से बहुत कुछ सीखा है। पटवारी के पद पर रहते हुए, मुझे जमीन विवाद संबधी जानकारी मिली। वहीं मैं स्कूल और कॉलेज में पढ़ाते हुए, सामान्य लोगो के जीवन की समस्याओं को जान सका।"

वह अंत में कहते हैं, "मेरे पिता हमेशा कहते थे कि जीवन में कुछ अच्छा करना। आज मैं खुश हूँ कि मैं अपने काम से लोगो की मदद कर पा रहा हूँ।" 

द बेटर इंडिया आईपीएस प्रेमसुख डेलू के इस जज़्बे को सलाम करता है।

संपादन – प्रीति महावर

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