17-18 वर्ष के बच्चे आजकल या तो फ़ोन की दुनिया में खोये रहते हैं या फिर दोस्तों के साथ सैर- सपाटे में। बहुत ही कम बच्चे होते हैं जो अपने आस-पास की दुनिया को समझने की और समस्यायों को सुलझाने की कोशिश करते हैं। आज हम आपको 17 साल के एक ऐसे लड़के की कहानी सुनाने जा रहे हैं जो किसानों की परेशानियों को हल करने की कोशिशों में जुटा है।
यह कहानी है तेलंगाना के सूर्यापेट जिले में किसान परिवार में जन्मे अशोक गोर्रे की। हाल ही में 12वीं पास करने वाला अशोक अपनी उम्र से बढ़कर कामों में जुटे हैं। किसानों के काम को आसान बनाने के लिए वह तरह-तरह के टूल्स बना रहे हैं।
अशोक ने द बेटर इंडिया को बताया, “स्कूल में किताबों से सीखने के अलावा, अपने घर में पड़ी पुरानी और बेकार चीजों से कुछ न कुछ इनोवेटिव बनाना भी मेरा पैशन रहा है। मैं जब छठी कक्षा में था तो मैंने कुछ पाइप, सिरिंज, और स्प्रिंग इस्तेमाल करके हाइड्रोलिक जेसीबी का मॉडल बनाया था। मुझे इसके लिए प्राइज भी मिला था। मेरे माता-पिता धान उगाते हैं और मैं उनकी परेशानियाँ समझ सकता हूँ जो उन्हें खेतों में आती है।”
अशोक ने देवाराकोंडा वोकेशनल कॉलेज से अपनी 12वीं कक्षा पास की है और इसके साथ ही, उन्होंने 4 इन 1 मल्टी-पर्पज टूल बनाया है जो उनके गाँव में 17 किसानों के काम आ रहा है।
क्या है उनका इनोवेशन:
वह बताते हैं, “मेरे इलाके में अधिकांश लोग किसानी करते हैं। इन्हें कोई मदद नहीं करता। पैसे के अभाव में ये लोग श्रमिक भी नहीं रख पाते हैं। मैं अक्सर देखता हूँ कि धान की कटाई के दौरान श्रमिक नहीं रहते हैं जिस वजह से उन्हें हर काम खुद करना पड़ता है। उनके इस मेहनत भरे काम को आसान बनाने के लिए मैंने एक हल निकाला जिससे धान की हार्वेस्टिंग, इसे इकट्ठा करना और इधर-उधर ले जाना आसानी से हो जाए।”
सबसे पहले अशोक ने पेपर पर इस टूल का डिज़ाइन बनाया। इसके बाद उन्होंने सभी ज़रूरी चीजें इकट्ठा की, जो भी उन्हें चाहिए थीं। इसके बाद एक वेल्डर की मदद से उन्होंने अपना टूल बनवाया। अशोक की अपनी कोई वर्कशॉप नहीं है और इसलिए उन्हें स्थानीय लोगों पर निर्भर होना पड़ता है। उनके इस टूल को बनाने की लागत मात्र 1700 रुपये आई क्योंकि उन्होंने इसे बनाने में सभी पुरानी चीज़ें इस्तेमाल की थीं।
उन्होंने इस टूल को लोहे की रोड, पुरानी साइकिल के पहियों और बोल्ट इस्तेमाल करके बनाया है। इस 4 इन 1 टूल से धान की कटाई, अनाज को इकट्ठा करना, धान को सुखाने के लिए अलग-अलग करना और फिर इसे बांधना- सभी काम हो सकते हैं। इसे मिर्च और कपास की फसल में निराई-गुड़ाई के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
अशोक कहते हैं कि अपनी ज़रूरत के हिसाब से फिटिंग करने के बाद किसान इसे अपने खेत में ट्राली की तरह लेकर घूम सकते हैं।
अशोक बताते हैं कि जब उनका फाइनल टूल तैयार हो गया था तो उन्होंने अपने पिता से इसका ट्रायल करने के लिए कहा। इसके बारे में उनके पिता कहते हैं, “मैं अपने 5 एकड़ के खेत में आराम से घूम सकता हूँ और आसानी से सभी काम कर सकता हूँ। इससे पहले, मैं और मेरी पत्नी दरांती से धानों की कटाई करते थे और हमें एक दिन से ज्यादा समय लगता था। लेकिन इस टूल से मैं अकेले ही आधे दिन में कटाई का काम खत्म कर लेता हूँ। यह बहुत ही इनोवेटिव डिज़ाइन है और मुझे अपने बेटे पर गर्व है।”
अशोक के नवाचार के बारे में धीरे-धीरे हर जगह चर्चा होने लगी और दूसरे किसानों को भी पता चला। वह भी इसका परीक्षण अपने खेतों पर करना चाहते थे। जब सबने देखा कि यह टूल कितना उपयोगी है तो उन्होंने अशोक से उनके लिए भी ये डिवाइस बनाने के लिए कहा।
अशोक के घर के पास रहने वाली 48 वर्षीय किसान पुलम्मा का भी यह कहना है कि इस उपकरण की वजह से अब उनका काम जल्दी हो जाता है। इस तरह से वह समय की बचत कर पाते हैं।
वह कहतीं हैं, “धान से अनाज निकालने के बाद, बचे हुए हिस्से को धूप में सुखाया जाता है और मवेशियों के लिए चारे के रूप में काम किया जाता है। इसे बाहर फर्श पर फैलाना और फिर इसे इकट्ठा करना- इन सब काम में बहुत वक़्त लगता है। तीन महीने पहले, मैंने अशोक से उपकरण खरीदा क्योंकि मुझे मजदूरों की सहायता के बिना काम करना होता है, और इसमें यह फायदेमंद है।”
अब अशोक के इस टूल की कीमत 3500 रुपये हैं क्योंकि वह इसे बनाने के लिए सभी सामान नया इस्तेमाल कर रहे हैं।
पिछले साल, उन्होंने कोलकाता में विज्ञान भारती (VIBHA) के साथ विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा आयोजित इंडिया इंटरनेशनल साइंस फेस्टिवल 2019 में आयोजित स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग मॉडल प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार भी जीता।
अन्य नवाचार:
लॉकडाउन के दौरान, अशोक ने कहीं भी लाया और ले जा सकने वाला, निराई उपकरण भी बनाया है। जिससे धान के बीच में से खरपतवार को हटाया जा सकता है। इस सरल उपकरण को साइकिल के हैंड ब्रेक, स्प्रिंग, और लोहे की रॉड और प्लेटों का उपयोग करके बनाया गया है।
युवा नवाचारी, अशोक का कहना है कि वह थोड़े समय में ऐसे उपकरण बना सकते हैं क्योंकि वह समस्या को सिर्फ देखते नहीं है बल्कि खुद इसे महसूस करते हैं और फिर इसका समाधान निकालते हैं।
द बेटर इंडिया अशोक के जज्बे को सलाम करता है और उनके उज्जवल भविष्य की कामना करता है।
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संपादन: जी. एन. झा
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