बच्चों को कम उम्र में ही समाज और पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए, जरूरी है कि हम इनसे जुड़ी समस्याओं के बारे में उनसे बात करें। क्योंकि, जब उन्हें इन समस्या के बारे में समझ होगी तभी वे उनका हल निकालने का प्रयास करेंगे। जैसा कि ओडिशा के इस बच्चे ने किया। भुवनेश्वर में रहने वाले, 13 वर्षीय आयुष्मान नायक ने पानी बचाने के लिए एक अनोखा इनोवेशन किया है, जिसके लिए उन्हें पेटेंट भी मिला है।
आयुष्मान के पिता समाबेश नायक, एक मैनेजमेंट स्कूल में प्रशासनिक अधिकारी हैं और हमेशा से ही पर्यावरण के प्रति सजग रहे हैं। उनके घर में हमेशा चर्चा होती है कि वे सभी किन तरीकों से कम से कम पानी का इस्तेमाल कर सकते हैं। घर के कामों के लिए भी पानी बहुत ध्यान से इस्तेमाल किया जाता है। वह बताते हैं, “हमारे घर की छत पर पानी के लिए एक टैंक है। हम नहाने के लिए, वॉशिंग मशीन और दूसरे कामों के लिए बहुत ही ध्यान से पानी इस्तेमाल करते हैं। साथ ही, पानी के गिरते स्तर के बारे में भी सजग रहते हैं।" वह और उनकी पत्नी, सुचरिता हमेशा इस बात पर जोर देते हैं कि कैसे कम से कम पानी इस्तेमाल किया जाए।
आयुष्मान सातवीं कक्षा के छात्र हैं और जब भी उनके माता-पिता, पानी के सही तथा कम इस्तेमाल के बारे में, कोई चर्चा करते हैं तो वह उन्हें काफी ध्यान से सुनते हैं। इसलिए, उन्होंने भी पानी के घटते स्तर के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया। वह अलग-अलग आईडिया लगाने लगे कि उनके घर में पानी की खपत कैसे कम हो। आखिर में, उन्हें एक ऐसी वॉशिंग मशीन का आईडिया आया, जिसमें साबुन/डिटर्जेंट वाले पानी को रीसायकल करके फिर से इस्तेमाल में लिया जा सके। उनका आविष्कार है- रीसायकल किये गए साबुन के पानी को वॉशिंग मशीन में इस्तेमाल करने का सिस्टम तथा तरीका। इस आविष्कार को केंद्र सरकार को प्रस्तुत किया गया था।
अपने आविष्कार के लिए उन्हें ‘इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट पेटेंट' मिला है। उन्होंने द बेटर इंडिया को बताया, “मेरा आईडिया एक ऐसी मशीन बनाने का था, जिसमें वॉशिंग मशीन से निकलने वाले साबुन के पानी को प्रोसेस करके स्टोर किया जा सके। मैं इस आईडिया पर तीसरी कक्षा से काम कर रहा हूँ और साल 2017 में इसके लिए, मुझे नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन (एनआईएफ) से ‘एपीजे अब्दुल कलाम इग्नाइट अवॉर्ड’ मिला था।"
समाबेश कहते हैं कि जब इस अवॉर्ड की घोषणा हुई तब उनके परिवार को पता चला कि उनका बेटा, ऐसे किसी आविष्कार पर काम कर रहा था। वह बताते हैं, “एनआईएफ के विशेषज्ञ हर साल उसके स्कूल, केआईआईटी इंटरनेशनल का दौरा करते हैं और छात्रों को इनोवेटिव आईडिया सोचने और प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। साथ ही, इन आईडिया पर आवेदन भी स्वीकार करते हैं। तब आयुष्मान ने दो आईडिया सबमिट किए थे- पहला, रीसायकल पानी के लिए और दूसरा, हेलमेट में वाईपर लगाने का था ताकि बारिश के दौरान, लोगों को हेलमेट लगाकर ठीक से दिखाई दे।"
एनआईएफ ने दिया आईडिया को आकार:
उन्होंने बताया कि पुरस्कार समारोह के लिए गुजरात यात्रा के दौरान, उन्हें यह देखकर हैरानी हुई कि एनआईएफ के इंजीनियरों ने उनके विचार का एक व्यावहारिक संस्करण विकसित किया, जिसमें फिल्ट्रेशन सिस्टम (पानी को साफ करने की प्रणाली) की पांच परतें थीं। उन्होंने कहा, “इंजीनियरों ने हर एक फ़िल्टर के बारे में समझाया और बताया कि ये कैसे काम करेंगे। यह देखना दिलचस्प था कि सैकड़ों लीटर पानी का फिर से उपयोग कैसे किया जा सकता है और कितना स्वच्छ पानी बचाया जा सकता है।”
उन्हें जो पेटेंट मिला है, वह 20 सालों के लिए वैध है और वर्तमान 2021 में उनके पिता के नाम पर है। आयुष्मान कहते हैं, “मुझे अपने दोस्तों से भी बहुत सराहना मिली। 69 से अधिक छात्रों को यह पुरस्कार मिला और मुझे उनमें से एक होने पर गर्व महसूस हुआ।" आयुष्मान का कहना है कि वह दैनिक समस्याओं को हल करने के लिए, अपने अभिनव विचारों को जारी रखना चाहते हैं। उन्होंने कहा, “मैं एक मैकेनिकल इंजीनियर बनना चाहता हूं और आम जनता की मदद के लिए अनोखे उपाय ढूँढना चाहता हूँ।"
मूल लेख: हिमांशु नित्नावरे
संपादन- जी एन झा
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