उड़ीसा के कामगाँव की रहने वाली लिप्सा प्रधान, महुआ चुनने वाले परिवार से ताल्लुक रखती हैं। अपनी माँ के दर्द को देख, उन्होंने महुआ बीनने के लिए एक ऐसी मशीन बनाई, जिससे दिन भर का काम घंटे भर से भी कम समय में हो सकता है।
साल 2016 में मथुरा के रहनेवाले सिकांतो मंडल ने ‘स्वच्छता कार्ट’ का आविष्कार किया था। कूड़ा बीनने वाले इस मशीन के लिए उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा सम्मानित भी किया गया था। पढ़िए इनोवेशन की यह प्रेरक कहानी!
राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के रहने वाले 62 वर्षीय गुरमैल सिंह धौंसी, एक फैब्रीकेटर, मैकेनिक और आविष्कारक हैं। उन्होंने कम्पोस्ट मेकर, ट्री प्रूनर जैसी 20 से ज्यादा मशीनें बनाई हैं।
इम्फाल, मणिपुर में रहने वाले एम. मनिहर शर्मा मात्र दसवीं पास हैं। लेकिन, उन्होंने कई आविष्कार किये हैं, जैसे 'ऑटोमैटिक पंप ऑपरेटिंग सिस्टम', 'इनोवेटिव ड्रायर', 'इन्सेंसे स्टिक मेकिंग मशीन', 'सोलर सिल्क रीलिंग कम स्पिनिंग मशीन' इत्यादि।
असम के धेमाजी में रहने वाले नबजीत भराली ने जरूरतमंदों व दिव्यांगजनों के लिए कई ज़रूरी आविष्कार किए हैं, जिसके लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
डिब्रूगढ़, असम के रहने वाले 56 वर्षीय चाय किसान, दुर्लभ गोगोई ने 15 से ज्यादा फूड प्रोसेसिंग मशीनें बनाई हैं। जिनमें चाय, धान, हल्दी, अगर और अदरक जैसी फसलों को प्रोसेस करने वाली मशीनें शामिल हैं।
गुजरात के जूनागढ़ में पिखोर गाँव के रहने वाले, अमृत भाई अग्रावत (75) किसानों के लिए कई तरह के आविष्कार करके, उनकी समस्याओं को हल करते हैं। अपने इन्हीं कार्यों के लिए, उन्हें राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार मिले हैं और उनके एक आविष्कार को पेटेंट भी मिला है।
बिहार के भागलपुर जिला नवगछिया के रहने वाले अभिषेक भगत ने 'रोबोकुक' नामक खाना बनाने वाला रोबोट बनाया है, जिसे आपको सिर्फ ऑर्डर देने की जरुरत है और आपका मनपसंद खाना तैयार हो जाएगा।