महज़ 1500 रुपए में बनने वाला AC और 5 ऐसे देसी उपाय जो आपको दिलाएंगे गर्मी से राहत!

इनमें पुरानी साड़ी, प्लास्टिक की बोतल, थर्मोकोल शीट और सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल होता है।

संत का मौसम सबसे अच्छा होता है। इस मौसम में न तो ज़्यादा ठंड होती है और न ही गर्मी। लेकिन मई और जून में चिलचिलाती धूप और गर्म हवाओं से जीना मुहाल हो जाता है। इस मौसम में लोग अपने घरों में एयर कंडीशनर और एयर कूलर की ठंड में रहना पसंद करते हैं। लेकिन एयर कंडीशनर या कूलर का जितना ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है, पर्यावरण उतना ही प्रदूषित होता है और ग्लोबल वार्मिंग में इजाफ़ा होता है।

वैसे, करीब एक दशक पहले पर्यावरण की स्थिति इतनी खराब नहीं थी, जितनी आज है। भारत हमेशा से एक गर्म जलवायु वाला देश रहा है, पर हाल के वर्षों में गर्मी जितनी बढ़ी है, वह सामान्य नहीं है। माना जाता है कि ऐसा जलवायु-परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण हुआ है।

पेड़ों के लगातार काटे जाने से जंगलों का क्षेत्र कम होता जा रहा है, पानी की भी कमी हो रही है और इससे पर्यावरण का संकट गहराता चला जा रहा है। इसे इस सदी का सबसे गंभीर संकट माना जा रहा है। इसलिए आज यह ज़रूरी हो गया है कि हम गर्मी से निजात पाने के लिए  परम्परागत और वैकल्पिक तरीकों को अपनाएं।

For representation. Credits: Debaroti Ghosh/ Facebook.

एक समय था जब लोगों के पास एयर कूलर और एयर कंडीशनर नहीं हुआ करते थे। आज भी जो लोग दूर-दराज के गाँवों या छोटे शहरों में रहते हैं, उनके पास ये साधन उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन बड़े शहरों में रहने वाले ज़्यादातर लोगों के घरों में एयर कूलर होते हैं। बहरहाल, अगर हम गर्मी से मुक़ाबला करने के लिए मॉडर्न तकनीक की जगह पुराने देसी नुस्खे अपनाएं तो पर्यावरण की सुरक्षा तो होगी ही, हमारी जेब पर भी कोई बोझ नहीं पड़ेगा।

आज हम गर्मी का मुक़ाबला करने के लिए ऐसे 5 तरीके बताने जा रहे हैं, जिनसे पर्यावरण, पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था को कोई नुकसान नहीं पहुँच सकता है। ये तरीके जुगाड़ पर आधारित हैं। इनमें पुरानी साड़ी, प्लास्टिक की बोतल, थर्मोकोल शीट और सूर्य की रोशनी का इस्तेमाल होता है।

 

  1. सिर को ठंडा और सुरक्षित रखें!
Areca leaf caps. Courtesy: Sajesh Parakkandy.

भीषण गर्मी में ट्रैफ़िक पुलिस की परेशानी को देख कर कुछ बच्चों ने पर्यावरण के अनुकूल समाधान के बारे में सोचा। ट्रैफ़िक पुलिस के लिए हेल्मेट पहनना ज़रूरी होता है, जिससे उन्हें बहुत गर्मी लगती है। बच्चों ने उनकी समस्या का समाधान करने के लिए सुपारी के पत्तों का इस्तेमाल किया और उससे एक सुरक्षात्मक परत बनाई। केरल में सुपारी बहुत होती है। सुपारी के पत्तों में नमी होती है और इससे सिर को गर्मी से बचाया जा सकता है। इन पत्तों की ख़ासियत यह है कि गीले हो जाने पर इन्हें किसी भी आकार में जमाया जा सकता है। तल्लिर मुक्कट्टी नाम के एक स्थानीय पर्यावरण समूह के बच्चों ने इसका बखूबी इस्तेमाल किया। सुपारी के पत्तों को पुलिस की टोपियों केआकार में काट कर पानी में भिगो दिया गया और फिर उन्हें टोपियों के अंदर रख दिया गया, जिससे भीषण गर्मी से उनका बचाव संभव हो सका।

जानिए, कैसे आप भी बना सकते हैं ऐसी ही एक टोपी अपने लिए।

 

2. छत जो अच्छी तरह से ठंडी हो!

Courtesy: Dr A Jagadeesh.

एल्युमिनियम के इन्सुलेशन के गुणों का उपयोग करते हुए आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में नायडम्मा सेंटर फॉर डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स के निदेशक डॉ. ए. जगदीश ने गर्मी को मात देने के लिए एल्युमिनियम की पन्नी, थर्मोकोल शीट और गनी बैग का इस्तेमाल किया। सूर्य की तीखी किरणों को अवशोषित करने के लिए उन्होंने इन सभी चीज़ों को अपने घर की छत पर रख दिया। इससे गर्मी का असर घर के अंदर ज़्यादा नहीं हो सका। सबसे खास बात यह है कि आप सर्दियों में भी इसे उपयोग में ला सकते हैं। इससे घर के भीतर की गर्मी बाहर नहीं जा पाती और ठंड में भी घर गर्म रहता है।

इसे करने के निर्देशों के लिए यहां क्लिक करें

 

3. सूर्य की रोशनी से पानी करें शुद्ध!

Courtesy: Dr Anil Rajvanshi.

पुराने ज़माने के नुस्खों से प्रेरित हो कर डॉ.अनिल राजवंशी ने कुछ ऐसा ही किया। आपको पता होगा कि पहले सूती कपड़े का इस्तेमाल पानी को छानने के लिए किया जाता था। पानी को उबाल कर भी उसे शुद्ध किया जाता है। पहले ये तरीके काफ़ी इस्तेमाल में लाए जाते थे। डॉ.अनिल राजवंशी ने इसी के आधार पर एक कम लागत वाली मशीन बनाई है, जिसमें सूर्य की किरणों का उपयोग किया जाता है। पानी को रोगाणु-मुक्त बनाने के लिए उसे उबालने की भी ज़रूरत नहीं है, बल्कि लंबे समय तक कम तापमान में रहने देने पर पानी को रोगाणु-मुक्त बनाया जा सकता है।

जानिए, कैसे आप भी सूती कपड़े, कांच के पाइप और धूप का उपयोग करके एक सोलर जल-शोधक बना सकते हैं।

 

4. एक देसी घास जो सांस लेने में आपकी मदद करती है!

Courtesy: Dr M Vijaya.

गर्मी के दिनों में सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों के लिए प्रदूषण से बचाने वाला मास्क पहनना कठिन हो जाता है। ऐसे में, एक हर्बल मास्क बनाना सबसे आसान और फायदेमंद तरीका हो सकता है। चेन्नई के एक स्कूल के छात्र अरुल श्रीवास्तव ने वेटिवर (वैज्ञानिक नाम: क्राइसोपोगोन ज़िज़ानियोइड्स) का उपयोग कर एक ऐसा मास्क बनाया। वेटिवर घास में हवा को शुद्ध करने वाले गुण हैं और यह प्रदूषण पैदा करने वाले तत्वों को नियंत्रित करने में सहायक मानी जाती है।

बनाएं आप भी अपने लिए एक हर्बल मास्क, अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें

 

बनाएं, अपना ख़ुद का एयर कंडीशनर!

Vetiver grass (For representation). Source: Healthy Living.

 

आजकल यूट्यूब में कई DIY AC के ट्यूटोरियल मौजूद हैं, जिनसे आप AC बनाना सीख सकते हैं, लेकिन महज 1500 रुपए में बनने वाला यह AC शायद ही आपने कहीं देखा होगा। थिरुचि के रहने वाले टायर मैकेनिक के.अख्तर अली ने ‘AC-EC’ नाम का यह एयर कंडीशनर एक बबल वॉटरकैन, बांस की टोकरी, वेटिवर घास, टेराकोटा पॉट और कुछ प्लास्टिक की बोतलों से बनाया है। इसे चलाने के लिए सिर्फ़ एक साधारण मोटर की ज़रूरत होती है। कम खर्चे में और प्राकृतिक एयर कंडीशनिंग प्रणाली से चलने वाले इस AC को असेम्बल करने की लागत मात्र 1,500 रुपए है। सबसे बड़ी बात है कि आप इसे खुद भी बना सकते हैं

 

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लेखिका – सोनाली शर्मा 

संपादन – मनोज झा

मूल लेख – लक्ष्मी प्रिया 


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