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जिस तरह से प्रदूषण और पेट्रोल के दाम, दोनों बढ़ रहे हैं, ज्यादा से ज्यादा लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए प्रेरित हो रहे हैं। लेकिन हम सभी जानते हैं कि इलेक्ट्रिक वाहन या ई बाइक महंगे तो होते ही हैं, साथ ही इसके रख-रखाव से जुड़ी कई बातें अभी तक लोगों को समझ नहीं आ रही हैं। शहरों में तो फिर भी चार्जिंग स्टेशन्स मिल जाते हैं। लेकिन गांव के लोगों के लिए इस बदलाव को अपनाना अभी भी मुश्किल है।
लेकिन श्री मुक्तसर साहिब (पंजाब) के कोटली अबलू गांव के सिमरजीत सिंह बरार, अपने हुनर का इस्तेमाल करके देश के किसानों की इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में मदद कर रहे हैं। सिमरजीत न कोई बड़े इंजीनियर हैं, न ही उनके पास गांव में ज्यादा साधन हैं। बावजूद इसके, अपने जुनून और मैकेनिक दिमाग के दम पर वह यह काम कर रहे हैं।
द बेटर इंडिया से बात करते हुए सिमरजीत कहते हैं, “अमीर आदमी तो पेट्रोल भी खरीद सकता है और महंगे इलेक्ट्रिक वाहन भी, लेकिन गरीब इंसान के पास कम ही विकल्प रह जाते हैं। इसलिए मैं छोटे किसान और गांव में रहने वालों के लिए सस्ता इलेक्ट्रिक बाइक बनाना चाहता था, जो आसानी से खेतों में चलाया जा सके।"
बचपन से मैकेनिक दिमाग के थे सिमरजीत
साल 2021 में सिमरजीत ने एक साल की मेहनत के बाद, अपनी बाइक को इलेक्ट्रिक बाइक में बदलने में सफलता पाई थी। इसे एक बार चार्ज करके आराम से 200 किमी तक चलाया जा सकता है। इसके बाद उन्हें अपने ही गांव से एक ग्राहक भी मिला।
धीरे-धीरे सिमरजीत ने फेसबुक के जरिए अपनी बाइक के बारे में लोगों को बताना शुरू किया। इस तरह वह अब तक देशभर में 40 लोगों के लिए ई बाइक बना चुके हैं, जिसमें से ज्यादातर लोग किसान ही हैं। सिमरजीत, घर में पैसों की कमी के कारण ज्यादा पढ़ाई नहीं कर पाए।
उनके पिता एक किसान हैं और माँ गृहिणी हैं। जब सिमरजीत दसवीं में पढ़ते थे, तब उन्होंने अपने स्कूल की प्रतियोगिता में एक बेहतरीन इलेक्ट्रिक मॉडल का खिलौना तैयार किया था, जो सभी टीचर्स को इतना पसंद आया कि उन्होंने सिमरजीत को इंजीनियर बनने की सलाह दी थी।
पिता को देखकर जागा शौक़
सिमरजीत ने बताया, “मेरे खेतों में अक्सर ट्रैक्टर और दूसरी मशीनों की छोटी-मोटी रिपेयरिंग मेरे पिता किया करते थे। उन्हें देखकर मेरा शौक़ और बढ़ने लगा और मैंने भी बचपन से ही छोटी-छोटी चीजें बनाना शुरू किया। मुझे अपने घर के हालात पता थे, इसलिए मैं जानता था कि इंजीनियर बनना मेरे बस की बात नहीं है, लेकिन मैंने खुद से सीखना हमेशा जारी रखा।"
सिमरजीत ने दसवीं पास करने के बाद ही काम करना शुरू कर दिया था। उन्होंने बताया कि वह 14 साल की उम्र से काम कर रहे हैं। उन्होंने अपने गांव में ही फ़ूड डिलीवरी का काम शुरू किया था, जिसके बाद उन्होंने सब्जी बेचने का काम भी किया। लेकिन वह कुछ इलेक्ट्रिक चीज़ बनाना चाहते थे, इसलिए उन्होंने LED बल्ब बनाना सीखा और इसका काम शुरू किया, लेकिन यह काम भी ज्यादा नहीं चला।
उन दिनों गांववाले उन्हें कहते थे कि उन्हें किसी कंपनी में नौकरी कर लेनी चाहिए। लेकिन सिमरजीत के विचार सबसे अलग थे, वह खुद का काम करना चाहते थे। सिमरजीत ने बाजार की मांग को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक वाहन से जुड़ा कुछ काम करने का सोचा।
कैसे आया ई बाइक बनाने का ख्याल?
सिमरजीत ने देखा कि बाजार में मिल रहे इलेक्ट्रिक स्कूटर खेतों के लिए सही नहीं हैं। स्कूटर की माइलेज भी कम थी और खेत जैसी खुरदरी जगह में बाइक ही सही से चल सकती है। लेकिन बाजार में मिल रही पावरफुल ई बाइक काफी महंगी थी।
तभी उनके मन में किसानों के लिए बाइक बनाने का ख्याल आया। लेकिन यह काम उनके लिए इतना भी आसान नहीं था। उन्हें गांव में कुछ भी ज़रूरी सामान नहीं मिल पाता था। वह दिल्ली या अपने गांव से 80 किमी दूर से सामान लाकर काम करते थे।
इतना ही नहीं उन्हें ई-बाइक बनाने का कोई आईडिया नहीं था, इंटरनेट पर भी अधिकतर जानकारी अंग्रेजी या हिंदी में थी। सिमरजीत को हिन्दी में बस पंजाब लिखना और बोलना आता था। सिमरजीत ने बाइक बनाते हुए अच्छी हिंदी भी सीख ली।
अब आगे का क्या है प्लान?
सिमरजीत की बाइक को देखकर, गांव के लोगों को आश्चर्य भी हुआ और ख़ुशी भी। उन्हें अपने गांव से एक और इलेक्ट्रिक बाइक बनाने का ऑर्डर मिला। अब तो वह लोगों की ज़रूरत के हिसाब से सामान्य बाइक को इलेक्ट्रिक बाइक में बदल देते हैं।
उनके ही गांव के एक किसान सतपाल सिंह ने हाल ही में उनसे 100 किमी की माइलेज वाली एक इलेक्ट्रिक बाइक बनवाई है। सतपाल बताते हैं, “मुझे अपने दोस्तों से सिमरजीत के बारे में पता चला। पहले तो मुझे लगा कि यह छोटा बच्चा ऐसा काम कैसे कर सकता हैं? लेकिन जब मैंने उनकी इलेक्ट्रिक बाइक देखी तो मुझे विश्वास हुआ। उन्होंने मात्र 80 हजार के खर्च पर मेरी पुरानी यामाहा को इलेक्ट्रिक में बदल दिया है, जिससे मुझे पेट्रोल के बढ़ते दाम की कोई चिंता नहीं होती।"
सिमरजीत का प्रयास है कि ज्यादा से ज्यादा किसानों को अपने काम से फायदा पंहुचा सके। आप उनके बारे में ज्यादा जानने के लिए उन्हें यहां संपर्क कर सकते हैं।
संपादनः अर्चना दुबे
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