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MBA ग्रैजुएट का अनोखा बिज़नेस मॉडल, कुल्हड़ के दूध से खड़ा किया लाखों का कारोबार

Milk Business By Haryana Man

आज भी हमारे समाज में यदि कोई नौकरी छोड़कर बिजनेस करने का मन बनाता है, तो उसके फैसले पर लोग सवाल करने लगते हैं। दरअसल हमारी सोच में आज भी बिजनेस का मतलब बड़े उद्योगपति ही हैं। ऐसे में, यदि कोई अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर बिजनेस शुरू करता है, तो उसके फैसले पर परिवार से लेकर समाज के लोग सवाल करने लगते हैं। लेकिन कुछ लोग होते हैं, जो अपने फैसले पर अडिग रहते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही शख्स की कहानी सुनाने जा रहे हैं। 

यह प्रेरक कहानी हरियाणा के प्रदीप श्योराण की है। प्रदीप ने 2018 में अच्छी-खासी नौकरी छोड़कर बागड़ी मिल्क पार्लर की शुरुआत की। पहले यह सिर्फ एक स्टॉल था, लेकिन आज रोहतक में उनका अच्छा-खासा आउटलेट है। कभी सिर्फ दूध से शुरू हुआ कारोबार आज लगभग 20 तरह के अलग-अलग प्रोडक्ट्स तक पहुंच चुका है। 

आज न सिर्फ हरियाणा में बल्कि दिल्ली, पंजाब, राजस्थान से भी लोग प्रदीप के ‘बागड़ी मिल्क पार्लर’ पर आते हैं। उनके उत्पादों का आनंद लेते हैं और उनके बिज़नेस मॉडल को समझते हैं। जिसके बारे में प्रदीप का कहना है कि छोटे-बड़े शहरों के पढ़े-लिखे और किसान परिवारों के युवा इस तरह से अपना खुद का काम करके अपने परिवार को आगे बढ़ा सकते हैं। द बेटर इंडिया से बात करते हुए, उन्होंने अपने इस सफर के बारे में बताया। 

MBA की डिग्री और फिर नौकरी 

प्रदीप, मूल रूप से हरियाणा के चरखी दादरी जिला स्थित मांढी पिरानु गांव के रहने वाले हैं। वह किसान परिवार से आते हैं और उनके पिता स्कूल में नौकरी करते थे। उन्होंने बताया, “मैंने ग्रैजुएशन पूरी की और सिविल परीक्षा की तैयारी की। हालांकि, इसमें सफलता नहीं मिली तो मैंने एमबीए में दाखिला ले लिया। एमबीए की डिग्री भी मैंने अच्छे नंबरों से पास की। लेकिन जितनी एक युवा को उम्मीद होती है पढ़ाई के दौरान,  शुरुआत में वैसी नौकरी नहीं मिल पाई। कुछ समय बाद मुझे ह्वेल्स इलेक्ट्रिक में अच्छी नौकरी मिल गयी और 2018 तक मैं उस कंपनी से जुड़ा रहा।”

Pradeep Sheoran

उन्होंने कहा कि नौकरी में उनका कई बार प्रमोशन हुआ और सैलरी भी ठीक थी। लेकिन जितनी ज्यादा सैलरी थी, उतनी ही ज्यादा सिरदर्दी भी थी। उन्हें मेहनत करने से कोई परेशानी नहीं थी, लेकिन दिन-रात की मेहनत के बाद भी उन्हें संतुष्टि नहीं मिल पा रही थी। वह बताते हैं कि उनके छोटे भाई, धर्मेंद्र गांव में खेती-बाड़ी संभालते हैं। अक्सर उनके साथ प्रदीप की चर्चा होती रहती थी कि कैसे आजकल किसानों को उनके हिस्से की सफलता नहीं मिल पा रही है। उनका परिवार खेती-किसानी से जुड़ा कौनसा व्यवसाय कर सकता है? 

वह कहते हैं, “मैंने और भाई ने बातों-बातों में ही मन बना लिया कि हमें अपना बिज़नेस करना है। इसके लिए मैंने तय कर लिया कि अपनी नौकरी छोड़कर किसी बिज़नेस की शुरुआत करूंगा। मेरे पास अपनी कुछ सेविंग्स थी और कुछ घरवालों का सपोर्ट भी मिल गया। घरवालों के मन में चिंता तो थी कि कैसे करेंगे, क्या करेंगे, लेकिन मैं मन बना चुका था। 2018 में मैंने नौकरी छोड़ दी और इसके बाद लगभग 24 राज्यों में अलग-अलग किसानों, व्यवसायियों के यहां दौरा किया। क्योंकि बिज़नेस तो करना था, लेकिन कुछ ऐसा बिज़नेस जिसकी मार्किट में मांग हो और जो चलने वाला हो।”

नौकरी छोड़कर मिल्क पार्लर की शुरुआत 

प्रदीप ने बताया कि अपने सभी दौरों से उन्हें एक बात समझ में आई कि किसान तीन तरह के बिज़नेस कर सकते हैं- पहला अनाज, दलहन आदि से, दूसरा दूध से और तीसरा अंडे आदि का। “हमने दूध में आगे बढ़ने के बारे में सोचा। रोहतक में दो बड़े पार्क हैं, जहां सुबह-शाम काफी भीड़ रहती है। मैंने इन्हीं पार्कों के बाहर अपना ‘बागड़ी मिल्क पार्लर’ लगाना शुरू किया। दिसंबर 2018 में हमने शुरुआत की तो सर्दियों के मौसम में गर्म दूध मिट्टी के कुल्हड़ में देते थे। हमने सोचा कि लोग चाय पीते हैं तो हो सकता है दूध भी पी लें। हमारा आईडिया काम कर गया।”

पार्क में सुबह-शाम स्टॉल लगाने के साथ-साथ उन्होंने हरियाणा और दिल्ली में आयोजित होने वाले कृषि मेलों में भी अपना स्टॉल लगाया। मेलों में भी लोगों से काफी अच्छा रिस्पांस मिला। वह जितना स्टॉक लेकर गए थे, उससे कहीं ज्यादा की मांग थी। सर्दियों के बाद, गर्मियों में उन्होंने ठंडे बादाम दूध, लस्सी के साथ प्रयोग किया। गर्मियों में भी उन्हें सही रिस्पांस मिला। लगभग छह-सात महीने के ट्रायल के बाद, प्रदीप ने रोहतक में एक सही जगह देखकर अपना आउटलेट शुरू किया। 

Bagri Milk Parlour

“मैंने फ़ूड बिज़नेस से जुड़े सभी सर्टिफिकेट भी बनवा लिए थे ताकि बाद में कोई परेशानी न हो। खासकर कि FSSAI सर्टिफिकेट होने से ग्राहकों का भी विश्वास आप पर बनता है। साथ ही, हम अपने ग्राहकों के साथ पूरी पारदर्शिता के साथ काम करते हैं। हम जिन भी किसानों से दूध लेते हैं या दूसरे उत्पाद लेते हैं, उन सभी से ग्राहक अगर चाहें तो बात कर सकते हैं। हम किसानों को अपने यहां बुलाते भी रहते हैं ताकि उनका भी हौसला बढ़े,” उन्होंने बताया। 

लॉकडाउन में मुश्किल को बनाया मौका

साल 2019 में उन्होंने अपना आउटलेट शुरू किया था और 2020 की शुरुआत में  लॉकडाउन लग गया। वह कहते हैं कि उस समय उनके साथ सात कर्मचारी जुड़े हुए थे। उनका आउटलेट भले ही बंद था लेकिन उन्होंने सभी कर्मचारियों के रहने-खाने की व्यवस्था की और सभी को उनकी 75% सैलरी भी दी। इसके बाद, जिन किसानों से वह दूध ले रहे थे, उनसे उन्होंने कहा कि वे इस दूध का घी बनाकर रखें ताकि लॉकडाउन खुलने पर इसे काम में लिया जा सके। इससे किसानों की आय पर भी फर्क नहीं पड़ा। 

“पहले लॉकडाउन में हम तैयार नहीं थे इसलिए नुक़सान तो हुआ। लेकिन हम हार मानने वाले नहीं थे। इसलिए जैसे ही लॉकडाउन खुला तो हमने किसानों द्वारा तैयार घी का इस्तेमाल करके जलेबी बनाना शुरू कर दिया। पहले लॉकडाउन के बाद अक्टूबर 2020 तक आते-आते बिज़नेस ने रफ्तार पकड़ी। हमने इस मुश्किल को मौके की तरह लिया। जलेबियों के बाद हमने सर्दियां आने पर मावा बर्फी, लड्डू जैसी मिठाइयां बनाना भी शुरू कर दिया। हमारी मिठाइयों की गुणवत्ता और स्वाद दोनों ही ग्राहकों को पसंद आया तो अच्छी प्रतिक्रिया मिली,” वह कहते हैं। 

Various food products of Bagri Milk Parlour

लॉकडाउन में उन्हें नुकसान तो हुआ लेकिन प्रदीप कहते हैं कि उनके उत्पादों की गुणवत्ता के कारण उन्होंने जल्द ही ग्राहकों के दिल में अपनी जगह बना ली। आज आप ‘बागड़ी मिल्क पार्लर’ से बादाम मिल्क, ठंडी लस्सी के साथ-साथ तंदूरी चाय, तंदूरी पराठे, पनीर पकौड़े, गुलाब जामुन, काजू कतली आदि भी खरीद सकते हैं। 

इसके अलावा, वह देशी गाय और भैंस का परंपरागत बिलौना विधि द्वारा तैयार घी, शुद्ध शहद और जैविक सरसों का तेल भी बेच रहे हैं। उनकी एक ग्राहक प्रीती सिंह कहती हैं, “ बागड़ी मिल्क पार्लर’ के दूध का स्वाद बिल्कुल वैसा है जैसे कभी उनके माता-पिता के जमाने में हुआ करता था। उनके यहां दूध के अलावा, दूध से बने अन्य प्रोडक्ट भी बहुत ही अच्छे हैं।” 

किसान और कुम्हारों की हो रही मदद 

अपने बिज़नेस की शुरुआत से ही प्रदीप का उद्देश्य स्पष्ट था कि उन्हें न सिर्फ खुद आगे बढ़ना है बल्कि किसानों को भी उनकी आय बढ़ाने में मदद करना है। उन्होंने रोहतक के आसपास के गांवों से 23 किसानों के अलग-अलग समूह बनाए हुए हैं। जिनमें से कुछ से वह दूध लेते हैं तो कुछ उन्हें घी, शहद और सरसों का तेल आदि देते हैं। वह बताते हैं कि किसानों को उनके दूध की गुणवत्ता के हिसाब से अन्य जगहों से ज्यादा दाम दिया जाता है। साथ ही, समय-समय पर वह किसानों की ट्रेनिंग भी करवाते हैं। 

“हर कोई चाहता है कि उनके मवेशी ज्यादा से ज्यादा और पौष्टिक दूध दें। लेकिन इसके लिए किसानों को ही मेहनत करनी होगी। उनके अपने मवेशियों का पालन-पोषण और देखभाल सही तरीकों से करना चाहिए। जिसके लिए हम किसानों को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालयों के एक्सपर्ट्स से ट्रेनिंग दिलाने में मदद करते हैं। इससे किसान का भी फायदा है और हमारा भी क्योंकि हमें भी अच्छी गुणवत्ता का दूध ही चाहिए,” उन्होंने बताया। 

Staff of Bagri Milk Parlour

किसानों के अलावा, उन्होंने चार कुम्हारों को भी लगातार रोजगार दिया हुआ है। क्योंकि उनके यहां मिट्टी के बने कुल्हड़ों में ही चाय-दूध दिया जाता है। उन्हें पिछले तीन सालों से कुल्हड़ सप्लाई करने वाले सुरेश बताते हैं, “प्रदीप जी हमसे लगातार जुड़े हुए हैं और इस कारण हमें नियमित काम मिल रहा है। जैसे-जैसे उनके ऑर्डर बढ़ते हैं तो हम और दो कारीगरों को काम दे पाते हैं।” 

वहीं, उनके यहां दूध पहुंचाने वाले किसान संदीप का कहना है कि ‘बागड़ी मिल्क पार्लर’ से जुड़कर उन्हें भी आगे बढ़ने का मौका मिला है। पहले से उनकी आय में बढ़ोतरी हुई है क्योंकि अब उन्हें और कहीं जाने की जरूरत नहीं पड़ती है। इसके अलावा, प्रदीप की मदद से उन्हें कृषि वैज्ञानिकों से सीखने का भी मौका मिला है। 

फ़िलहाल, उनके आउटलेट में 11 लोग काम करते हैं। प्रदीप कहते हैं कि उनका सालाना टर्नओवर 25 लाख रूपये तक रहा है। अगर कोरोना महामारी न होती और लॉकडाउन न लगते तो उन्हें इससे कहीं ज्यादा टर्नओवर की उम्मीद थी। लेकिन प्रदीप का कहना है कि अब वह लोगों के बीच विश्वास बना चुके हैं। इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद है कि आने वाले समय में ‘बागड़ी मिल्क पार्लर’ का मॉडल जगह-जगह जाना जायेगा। 

आज के युवाओं के लिए वह सिर्फ यही संदेश देते हैं कि इधर-उधर की बातों पर ध्यान देने की बजाय जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है। अपने नए आइडियाज सोचिये और उन पर मेहनत कीजिये, सफलता जरूर मिलेगी। 

संपादन- जी एन झा

तस्वीर साभार: प्रदीप

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