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100 तरह के अचार बनाकर देशभर में हुईं मशहूर, होम शेफ बन गयीं सफल बिज़नेस वुमन

Pickle Business Herbsnspices

आम, नींबू, गोभी, गाजर के अचार तो लगभग सभी ने खाये होंगे। लेकिन क्या आपने कभी चिकन, मटन, प्रॉन का अचार खाया है? जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा। नॉन-वेज खाने वालों के लिए भी शायद यह नयी बात हो तो वेज वालों को तो भूल ही जाइए। अब सवाल होगा कि ये अचार कहां मिलेंगे और कौन बनाता है इन्हें? इन अचारों को तैयार किया है मुंबई में रहने वाली होम-शेफ इंदरप्रीत नागपाल ने, जिन्हें लोग ‘रमी’ के नाम से भी जानते हैं। इंदरप्रीत अपने ब्रांड नाम, ‘Herbs n Spices’ के माध्यम से लोगों को न सिर्फ अलग-अलग व्यंजन, बल्कि 100 से ज्यादा तरह के अचार, जैम और सॉस भी खिला रही हैं। 

दिलचस्प बात यह है कि वह लगभग 21 सालों से बतौर होम शेफ काम कर रही हैं। हालांकि, अचार का बिज़नेस उन्होंने कुछ साल पहले ही शुरू किया और इसके बाद उन्होंने अपने बिज़नेस की ब्रांडिंग की। द बेटर इंडिया से बात करते हुए 49 वर्षीया इंदरप्रीत ने बताया कि कैसे अमृतसर में पली-बढ़ी एक साधारण-सी लड़की पुणे, हैदराबाद और मुंबई जैसे शहरों में अपने हाथ के स्वाद की छाप छोड़ चुकी हैं। पिछले 21 सालों में इंदरप्रीत कई अलग-अलग शहरों में रहीं, लेकिन उन्होंने अपना काम कभी नहीं छोड़ा। क्योंकि खाना बनाना और लोगों को खिलाना उनके लिए पैसे कमाने से भी ज्यादा अपने पैशन को जीने का जरिया है। 

अमृतसर के सामान्य परिवार में पली-बढ़ी इंदरप्रीत ने बचपन से ही, अपने घर में तरह-तरह का अचार बनते हुए देखा था। उनकी माँ और दादी जिन पारंपरिक तरीकों से अचार या चटनी या अन्य कोई डिश बनाती हैं, वह आज भी उनके जहन में एकदम ताजा है। इसके अलावा समय के साथ अलग-अलग जगहों के व्यंजनों से प्रेरित होकर उन्होंने भी अपनी कुछ नयी रेसिपीज तैयार की हैं।

वह बताती हैं, “मुझे बचपन से ही खाना बनाने का बहुत शौक रहा और शायद इसलिए ही, मैंने होम साइंस में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की। कॉलेज की पढ़ाई के बाद मेरी शादी हो गयी और अपने पति के साथ मैं पुणे आ गयी थी।”

कुकिंग क्लासेज से शुरू हुआ उद्यमशीलता का सफर

द शेफ

इंदरप्रीत ने कभी भी बिज़नेस या स्टार्टअप जैसी चीजों के बारे में नहीं सोचा था। वह पुणे में भी वही करती रहीं, जो उन्होंने बचपन से देखा था। घर पर ही तरह-तरह के अचार बना लेना या खास आयोजनों पर झटपट तरह-तरह के व्यंजन तैयार कर देना। उनका बनाया खाना या अचार जो एक बार खाता, उनकी तारीफ करता नहीं थकता था। उनके आस-पड़ोस के लोग अपने घरों के लिए उनसे अचार बनवाने लगे और उनकी बहुत सी सहेलियों ने कहा कि वह उनकी बेटियों को खाना बनाना सिखा दें। 

“पहले तो मैं बिना कोई पैसे लिए ही अचार या कोई दूसरा व्यंजन बनाकर अपने पड़ोसियों के यहां पहुंचा देती थी। लेकिन फिर उन्हें बहुत अजीब लगता था कि मैं कोई पैसे नहीं लेती हूं। बहुत से लोगों ने मुझसे कहा कि मुझे इस काम के थोड़े-बहुत पैसे लेने चाहिए। यह कोई साल 1998 की बात होगी, जब मैंने घर पर ही ‘Rummy’s Kitchen‘ शुरू कर दी और लड़कियों को कुकिंग क्लासेस देना शुरू किया। इनमें ज्यादातर बच्चियां ऐसी आती थी, जिन्हें या तो खाना बनाने का शौक था या फिर किसी को पढ़ने के लिए बाहर जाना है तो खुद खाना बनाना पड़ेगा,” उन्होंने बताया। 

कुकिंग क्लासेज के बैच तो चल ही रहे थे कि उन्हें लोगों से खाना बनाने का ऑर्डर भी मिलने लगा। इंदरप्रीत कहती हैं कि उन्होंने वीकेंड पर बतौर होम शेफ काम शुरू किया। पहले-पहले उन्हें अपने घर के आसपास से ही ऑर्डर मिलते थे। लेकिन फिर उन्होंने खुद अपने हाथ से छोटे-छोटे पोस्टर बनाए और इनके ज़ेरॉक्स निकलवाकर थोड़ी-बहुत जगह लगा दिया। कई बार अखबार बांटने वाले भैया को दे दिए कि वह अख़बार के साथ घर-घर पहुंचा देंगे। वह कहती हैं, “उस समय कोई सोशल मीडिया नहीं था और न ही मोबाइल फ़ोन का कोई चलन था। इसलिए अगर किसी को ऑर्डर देना होता था तो पहले से लैंडलाइन पर या खुद आकर मुझे बता देते थे कि उन्हें किस दिन, क्या-क्या व्यंजन, कितनी मात्रा में चाहिए और मैं बनाकर पहुंचा देती थी या वे खुद आकर ले जाते थे।”

शहर बदले पर भी नहीं रुका उनका काम

घर की रसोई से ही करती हैं पूरा काम

इंदरप्रीत कहती हैं कि पुणे में कुछ साल रहने के बाद वह परिवार के साथ बेंगलुरू शिफ्ट हो गयी। लेकिन यहां आकर भी उन्होंने फिर से अपना काम शुरू कर दिया। “जब आपको किसी चीज का शौक और पैशन होता है तो आप कहीं भी रहें, आप अपनी राह बना ही लेते हैं। किसी भी नयी जगह पर जाने के बाद आपको दो या तीन महीने लगते हैं सेटल होने में। इसके बाद आपकी जान-पहचान लोगों से बढ़ने लगती है। लोग आपको जानने लगते हैं तो आप अपना काम आसानी से शुरू कर सकते हैं। मैंने भी यही किया, अपने कुछ पोस्टर बनाए और आसपास की जगहों पर लगवा दिए,” वह कहती हैं। 

शुरुआत एक-दो ऑर्डर से हुई और जिसने उनका खाना खाया, सबने तारीफ ही की और दूसरों को उनके बारे में बताया। इंदरप्रीत बताती हैं कि इन सबके दौरान उन्होंने सीखना कभी नहीं छोड़ा। बल्कि अपने बच्चों को उन्होंने मोंटेसरी स्कूल में दाखिला दिलाया, जहां उन्हें टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम का पता चला। उन्हें लगा कि उन्हें यह कोर्स करना चाहिए और उन्होंने वह कोर्स कर लिया। कोर्स को पूरा करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक उसी मोंटेसरी स्कूल में नौकरी भी की। इस नौकरी के साथ-साथ वीकेंड पर वह अपने खाने का बिज़नेस भी चलाती रहीं।

वह कहती हैं, “आपको हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहना चाहिए। नयी-नयी चीजें करनी चाहिए और किसी भी चीज को आजमाने से पीछे नहीं हटना चाहिए। बहुत से लोगों को लगता था कि मैं घर, नौकरी और अपना छोटा-सा बिज़नेस कैसे मैनेज कर लेती हूं? लेकिन मुझे इसमें मजा आता था क्योंकि मैं यह सब अपनी ख़ुशी से कर रही थी। साथ ही, आर्थिक रूप से भी खुद को आत्मनिर्भर रख पा रही थी। मेरे इस काम में परिवार का पूरा साथ मिला है।”

कमाल का है टाइम-मैनेजमेंट  

लगभग 15 साल पहले इंदरप्रीत और उनका परिवार मुंबई में आकर बस गया था। मुंबई में भी उन्होंने कुछ समय तक एक मोंटेसरी स्कूल में इंचार्ज के पद पर काम किया। लेकिन फिर उनका खाने का बिज़नेस बढ़ने लगा, तो उन्होंने पूरी तरह से इसी पर फोकस किया। उन्होंने बताया कि होम शेफ के साथ-साथ उन्होंने छोटे-बड़े आयोजनों के लिए कैटरिंग का काम भी शुरू कर दिया था। पिछले कुछ सालों में इंटरनेट, मोबाइल, सोशल मीडिया के आने से उनका काम भी काफी बढ़ गया और उनका नाम मुंबई से बाहर भी जाना जाने लगा। 

अलग-अलग जगहों पर करती हैं पार्टिसिपेट

अपने रूटीन के बारे में बात करते हुए वह बताती हैं, “मैं सुबह पांच-साढ़े पांच बजे अपने लंच के ऑर्डर्स की तैयारी शुरू कर देती हूं। आठ बजे तक यह काम चलता है। फिर आठ बजे से घर के कामों पर ध्यान देती हूं। बच्चों का कॉलेज, किसी का ऑफिस, घर का काम, यह सब करते-करते साढ़े दस-ग्यारह बज जाते हैं। इसके बाद, मैं फिर से सभी ऑर्डर्स तैयार करने में जुट जाती हूं और टाइम से डिलीवरी कर देती हूं। दिन में मैं थोड़ा आराम भी जरूर करती हूं और फिर चार बजे से डिनर के ऑर्डर्स पर काम शुरू हो जाता है, जो मैं साढ़े छह बजे तक ग्राहकों तक पहुंचा देती हूं। इसके बाद मेरा पूरा समय अपने परिवार के लिए रहता है।”

अपने टाइम-मैनेजमेंट के साथ-साथ इंदरप्रीत ग्राहकों के साथ भी पूरी तरह से ईमानदार रहती हैं। साथ ही, वह कभी भी ग्राहकों को निराश नहीं लौटाती हैं। मान लीजिये कि उन्होंने किसी दिन के लिए अपना मेनू फिक्स कर लिया है। पर किसी ने उनसे दूसरी डिश की रिक्वेस्ट की है तो वह उन्हें मना करने की बजाय, उनके लिए डिश बनाने की कोशिश करती हैं। इसलिए उनके आधे से ज्यादा ग्राहक अब नियमित हैं, जो हफ्ते में एक या दो बार तो जरूर आर्डर करते हैं। हर हफ्ते उन्हें खाने के लगभग 70 ऑर्डर मिल जाते हैं। 

इसके अलावा, उन्हें छोटे-बड़े कैटरिंग के ऑर्डर भी मिलते रहते हैं। अपने काम में मदद के लिए उन्होंने एक महिला रखी हुई हैं, जो सब्जियां काटने या अन्य कोई तैयारी करने में उनकी मदद करती हैं। उन्होंने बताया कि वह सप्ताह में सोमवार और मंगलवार को ऑफ रखती हैं क्योंकि इन दो दिन वह अपने अचार, जैम और सॉस का काम करती हैं। 

बनाती हैं 100 से ज्यादा तरह के अचार

फल-सब्जियों के साथ नॉन वेज अचार भी बनाती हैं इंदरप्रीत

इंदरप्रीत कहती हैं कि फिलहाल उनके खाने का बिज़नेस सिर्फ मुंबई में ही सिमित है। लेकिन दूसरी जगहों से भी लोग अचार के बारे में पूछते हैं और इसलिए कुछ साल पहले उन्होंने अपने अचार का बिज़नेस शुरू करने का फैसला किया। ताकि पूरे देश में अपने हाथ के स्वाद को फैला सकें। उन्होंने बताया कि कुछ सामान्य और सीजनल अचार बनाने के साथ-साथ उन्होंने कुछ अलग और एकदम नए अचारों की रेसिपी भी तैयार की। आज वह 100 से ज्यादा तरह के अचार ग्राहकों को उपलब्ध करा रही हैं। इनमें से कुछ साल भर चलने वाले अचार हैं तो कुछ सिर्फ मौसम के हिसाब से बनते हैं। वहीं, कुछ अचार वह सिर्फ ऑर्डर पर बनाती हैं। 

आम, नींबू के अलावा वह गोभी, गाजर, करेला, भिंडी, मूली, बैंगन, आलू, अमरुद, कटहल, कचालू जैसी चीजों का अचार भी बनाती हैं। नॉन वेज अचार में चिकन, मछली, मटन, प्रॉन आदि का अचार वह लोगों तक पहुंचाती हैं। अचार के अलावा वह कई तरह के जैम, सेजवान सॉस भी बना रही हैं। इंदरप्रीत कहती हैं कि उन्हें देश के अलग-अलग कोनों से ऑर्डर मिलते हैं। उन्होंने अपने काम की शुरुआत बहुत ही कम लागत से की थी और फिर जो कमाती गयी, उसी में बिज़नेस में लगाती रहीं। अब वह अपने इस बिजनेस से सालाना 10 लाख रुपये तक कमा लेती हैं। 

उनसे कई तरह के अचार खरीदने वाले तुषार कहते हैं कि उन्होंने उनसे चिकन, मटन, प्रॉन, गार्लिक जैसे अचार ऑर्डर किये थे और सभी अचार एक से बढ़कर एक थे। उनके बनाए अचार को आप जितना खाएंगे, उतना ही और खाने का मन करेगा। इसलिए तुषार अब सबको उनसे ही अचार ऑर्डर करने की सलाह देते हैं। वहीं, उनके एक और ग्राहक देवब्रत कहते हैं कि उन्होंने इससे पहले इतना अच्छा मछली का अचार कभी नहीं खाया था। उन्होंने कहा, “इंदरप्रीत के बनाये अचार की बात ही अलग है। सबसे अच्छी बात है कि इंदरप्रीत अपने अचारों में किसी भी तरह के कोई प्रिजर्वेटिव नहीं डालती हैं और न ही कोई दूसरे एडिटिव।” 

और भी हैं उपलब्धियां 

परिवार है सबसे बड़ा सपोर्ट सिस्टम

वह कहती हैं कि उन्होंने हमेशा से यही सीखा है कि खाना एकदम शुद्ध हो और अच्छा बनाना चाहिए ताकि खाने वाला आपको दुआ दें। इसलिए वह अपने काम में पूरी ईमानदारी रखती हैं। साथ ही, समय के हिसाब से खुद को अपग्रेड भी कर रही हैं। उन्होंने अपनी बेटियों से नए जमाने की तकनीकें सीखीं हैं और अब इंस्टाग्राम और फेसबुक के माध्यम से अपने ग्राहकों से जुड़ी रहती हैं। अपने बिज़नेस के अलावा, इंदरप्रीत ने कुक शोज में भी भाग लिया है। उनकी बनाई अनोखी रेसिपीज को कई बार अच्छी जगहों पर फीचर किया गया है। 

उन्होंने बताया, “मैं कुकिंग शो ‘द खान सिस्टर्स’ के एक एपिसोड में आयी थी। इसके अलावा, मैंने संजीव कपूर जी के शो में भाग लिया और कुक शो को जीता भी था। वह मेरे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि थी। मुझे Home Chef and Baker’s award 2020 भी मिला है।” इतनी उपलब्धियों के बावजूद इंदरप्रीत के लिए आज भी उनके ग्राहकों से बढ़कर कोई नहीं हैं। उनका कहना है कि वह लोगों को सच्चाई से अच्छे से अच्छा खाना खिलाना चाहती हैं। अगर आप उनकी बनाई डिशेज के बारे में अधिक जानना चाहते हैं या अचार ऑर्डर करना चाहते हैं तो इंस्टाग्राम पर फॉलो कर सकते हैं। 

संपादन- जी एन झा

तस्वीर साभार: इंदरप्रीत नागपाल

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