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88 वर्षीया मणि आंटी झड़ते बालों के लिए बनाती हैं हर्बल तेल, जिसने बनाया उन्हें बिज़नेसवुमन

60 की उम्र में शुरू किया बिज़नेस और 88 की उम्र में बेंगलुरु की नागमणि Roots & Shoots नाम से हर्बल ऑयल का बिज़नेस चला रही हैं। पढ़िए कैसे उनका बनाया तेल बना उनकी पहचान।

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कर्णाटक की नागमणि मात्र 24 साल की थीं, तब वह अपने झड़ते बालों से काफी परेशान थीं। उस समय मैसूर में रहनेवाली उनकी 60 वर्षीया दोस्त ने उन्हें हर्बल तेल का एक फॉर्मूला बताया था और भरोसा भी दिलाया कि यह झड़ते बालों की परेशानी का सबसे अच्छ इलाज है।  

नागणणि ने फॉर्मूले में बताई रेसिपी के अनुसार चीजें इकट्ठा कीं और एक हर्बल तेल बनाया। उन्हें यह देखकर काफी आश्चर्य हुआ की मात्र एक महीने में ही उनके बाल झड़ना कम हो गए और नए बाल उगने भी शुरू हो गए।  

नागमणि, जिन्हें आज लोग प्यार से मणि आंटी कहते हैं, द बेटर इंडिया से बात करते हुए वह बताती हैं कि यह  रेसिपी करीबन 150 साल पुरानी है। 

उस समय के बाद से वह इस तेल को बनाकर इस्तेमाल करती आ रही हैं। उन्होंने अपने कई दोस्तों और रिश्तेदारों को भी यह हर्बल तेल खुद बनाकर दिया है। अक्सर लोग उन्हें इस तेल का बिज़नेस शुरू करने को भी  कहते थे। लेकिन उस समय मणि आंटी अपने परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियों पर पूरा ध्यान देना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने कभी बिज़नेस के बारे में नहीं सोचा। 

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Mani Aunty

मौजूदै समय में अपनी बेटी के साथ उल्सूर में रह रहीं 88 वर्षीया मणि कहती हैं, “मेरे पति के निधन के तीन साल बाद, मैंने  Roots & Shoots नाम से अपना बिज़नेस शुरू किया। तब मेरी उम्र करीब 60 साल की थी। उस समय मेरे शुरुआती ग्राहक बेंगलुरु के कुछ सैलून वाले थे। हलासुर में अम्बारा नाम का बुटीक चलानेवाली मैरी ने मेरे ब्रांड को एक ‘A Hundred Hands' नाम के एक NGO के सामने पेश किया, जिसके बाद हमें अपने तेल को उनकी ओर से आयोजित एक प्रदर्शनी में हर साल भाग लेने का मौका मिलने लगा। उस प्रदर्शनी में मेरा हर्बल तेल हाथों-हाथ बिक जाता है।"

आज भी खुद हाथों से तैयार करती हैं हर्बल तेल

मणि आंटी कहती हैं कि यह हर्बल तेल बनाना एक लम्बी प्रक्रिया है। इसमें बेसिक सामग्री में नारियल का तेल इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ चार तरह के दूसरे तेलों का भी इस्तेमाल होता है। वह कहती हैं, “ इस तेल को बनाने में मैं मेथी के तेल का भी इस्तेमाल करती हूँ। इसके साथ ही दो बिल्कुल दुर्लभ जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल होता है, जो काफी महंगी होती हैं। इसे हम एक लोकल विक्रेता के ज़रिए,  हिमाचल से मंगवाते हैं।"

सभी सामग्रियों को नारियल के तेल में मिलाकर करीब छह हफ्तों तक  सूरज की रोशनी में रखना होता है।  यह लम्बी प्रक्रिया ही इस तेल को और खास भी बनाती है। मणि की बेटी अचला कहती हैं, “हम किसी भी तेल को गर्म नहीं करते। बल्कि सभी चीजें सूरज की रोशनी में पूरी तरह से हाथों से तैयार की जाती हैं। यह पूरी प्रक्रिया साल में तभी की जाती है, जब मौसम अच्छा रहे और धूप तेज़ हो। इसमें लगने वाली बाकी सामग्रियों को कूटने के लिए हमने दो लोगों को काम पर भी रखा है। इस तरह से यह तेल बिल्कुल हैंडमेड है।"

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मणि आंटी की निगरानी में होती है पूरी प्रक्रिया 

एक बार तेल बनने के बाद, इसे बोतल में भरा जाता है,  जिसे मणि आंटी खुद चेक करती हैं। अगर उन्हें किसी बोतल के तेल के रंग या सुगंध में कोई परेशानी दिखती है, तो वह उसे अलग कर देती हैं।

अचला ने बताया कि वे साल के 60 से 70 लीटर तेल बेचते हैं। वहीं उनके ज्यादातर ग्राहक बेंगलुरु से ही हैं। कुछ ग्राहक अपने परिवार और दोस्तों के लिए तेल विदेश भी भेजते हैं।  

A Hundred Hands की एक ट्रस्टी और रूट्स एंड शूट्स की नियमित ग्राहक माला धवन कहती हैं, “मुझे अचला के ज़रिए इस तेल के बारे में सबसे पहली बार पता चला था। तब वह हमारे NGO  के साथ भी जुड़े हुए थे। सालों से मैं इस प्रोडक्ट का इस्तेमाल कर रही हूँ,  क्योंकि सबसे अच्छी बात है कि यह होममेड है और इससे मेरे झड़ते बालों की समस्या काफी कम हो गई है। करीबन 10 साल से इसे इस्तेमाल करने के बाद, मैं इन्हें शुक्रिया कहना चाहती हूँ, क्योंकि उन्होंने सालों पुराने इस फॉर्मूले को संभाल कर रखा है।"

अपने तेल की रेसिपी को कई लोगों तक पहुंचाना चाहती हैं मणि आंटी

इस होममेड तेल की 300 मिलीग्राम की बोतल की कीमत 600 रुपये है। अचला ने बताया कि इसमें लगने वाली सामग्री और इसे बनाने की लंबी प्रक्रिया के कारण इसका दाम थोड़ा ज्यादा है। वह कहती हैं, “हाल में हम काफी छोटे  स्तर पर इसे बना रहे हैं, लेकिन अगर हम बड़े स्तर पर प्रोडक्शन करेंगे तो दाम कम हो सकता है। वहीं, हमारे ग्राहकों के लिए हम क्वालिटी में किसी तरह का कोई समझौता नहीं करेंगे। मेरी माँ ने इसे एक हॉबी की तरह शुरू किया था, क्योंकि वह चाहती थीं कि इस हर्बल तेल का फार्मूला सालों तक आने वाली पीढ़ियों के पास सुरक्षित रहे।"

इस बात को अपना समर्थन देते हुए मणि आंटी कहती हैं, “मैं अपनी उम्र के कारण इस बिज़नेस को आगे बढ़ाने के लिए तैयार नहीं हूँ। वहीं, मेरी बेटी अपने खुद के काम में बिजी रहती है। इसलिए इसे बड़े स्तर पर करना एक चुनौती वाला काम है। हाल में मेरा उदेश्य है कि किसी तरह यह रेसिपी आने वाली पीढ़ी को मिले, जो इसकी सही में कद्र कर सके।  इसके लिए अगर कोई सही टीम मिले, तो हम साथ में मिलकर यह कर सकते हैं।"

बड़े गर्व के साथ मणि आंटी बताती हैं कि बिना किसी मार्केटिंग के उनका तेल काफी डिमांड में रहता है। उनके पास लिमिटेड स्टॉक रहता है, लेकिन इसकी मांग हमेशा स्टॉक से ज्यादा ही होती है। 

इस उम्र में भी मणि आंटी अपने आप को कई तरह की एक्टिविटीज़ में बिजी रखती हैं। उन्हें म्यूजिक, क्रिकेट और खाना पकाने का भी बहुत शौक है। उन्होंने दो कन्नड़ एल्बम के लिए अपनी आवाज़ भी दी है। कोरोना के पहले तक वह बेंगलुरु के कई सोशल क्लब में भी जाया करती थीं, लेकिन हाल में वह अपनी बेटी के साथ रह रही हैं।  

हालांकि इस प्रतिभाशाली महिला के जीवन में कई चुनौतियाँ भी आईं। कुछ साल पहले उन्होंने अपनी बड़ी बेटी को खो दिया था। अचला ने बताया, “मेरी बड़ी बहन के निधन के बाद ही हमने बिज़नेस को शुरू करने का फैसला किया। ताकि मेरी माँ का ध्यान किसी दूसरी चीज़ में लगा रहे और उन्हें पुरानी बातें ज्यादा याद न आएं। लेकिन कुछ समय के बाद, उन्हें भी ट्यूमर हो गया था और उनकी कीमो थेरेपी भी कराई गई। लेकिन मेरी माँ एक सुपर स्टार हैं,  उन्होंने जिस तरह से अपने आप को संभाला वह कबीले तारीफ है।"

हाल में वे तेल के अगले स्टॉक को तैयार करने में लगे हैं। फ़िलहाल, रूट्स एंड शूट्स बैंगलुरू में अर्थ ऑर्गेनिक और अंबारा बुटीक में बेचा जा रहा है। वहीं, आप इसे उनके फेसबुक पेज के ज़रिए भी खरीद सकते हैं। लेकिन स्टॉक रहने पर ही तेल ग्राहकों को मिल पाता है। हाल में उनका स्टॉक ख़त्म हो गया है, लेकिन उन्होंने बताया कि अगर मौसम अच्छा रहा, तो अगस्त के पहले हफ्ते तक नया स्टॉक आ जाएगा। 

संपादन-अर्चना दुबे

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