प्रतीकात्मक तस्वीर
अक्सर जब भी हम ट्रेन में लम्बा सफ़र तय करते हैं, तो सबसे ज़्यादा तब दिक्कत आती है जब कभी शौचालय या हाथ धोने के नल में पानी आना बंद हो जाए। वैसे तो नियमानुसार, हर 300-400 किलोमीटर पर ट्रेन में पानी रिफिल किया जाता है। पर फिर भी पानी की कमी हो जाना रेलवे की आम समस्याओं में से एक है।
इस समस्या को ख़त्म करने के लिए रेलवे ने एक नया सिस्टम शुरू करने का फ़ैसला किया है। इसका बजट लगभग 300 करोड़ रूपये है। इस नए सिस्टम से केवल पांच मिनट में ट्रेन में पानी रिफिल हो जाया करेगा। पहले पानी भरने में लगभग 20 मिनट का समय लगता था।
रेलवे बोर्ड के सदस्य राजेश अग्रवाल ने बताया, "पहले ट्रेन में पानी भरने के लिए 4 इंच के पाइप का इस्तेमाल होता था। लेकिन अब 6 इंच के पाइप का इस्तेमाल होगा; साथ ही हाई-पावर मोटर का प्रयोग किया जायेगा। ट्रेन में पानी कंप्यूटराइज़्ड सिस्टम 'एससीएडीए' (सुपरवाइजरी कण्ट्रोल एंड डाटा एक्वीजीशन) द्वारा भरा जायेगा। इसे 'द रिसर्च डिजाईन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गेनाइज़ेशन' ने डिज़ाइन किया है।"
रेलवे ने यह कदम पानी की समस्या को लेकर आने वाली शिकायतों को ध्यान में रखते हुए उठाया है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस प्रोजेक्ट के बाद यात्रियों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा।
साथ ही, रेलवे मिनिस्ट्री हाई-पावर के पंप भी इनस्टॉल करने पर विचार कर रही है।
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