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भारतीय भोजन में तोरई की सब्जी का इस्तेमाल आमतौर पर किया जाता है। इसमें विटामिन ‘ए’, ‘सी’, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर जैसे कई पोषक तत्व होते हैं। इस वजह से यह अस्थमा, अधिक वजन से लेकर आँखों की बीमारी तक में लाभदायक है।
इसकी खेती पूरे देश में होती है और इसे बड़े खेतों से लेकर छोटे-छोटे बगीचों में भी उगाया जाता है।
आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आप इसे अपने गमले में कैसे उगा सकते हैं और इस बहुगुणी सब्जी से अपनी सेहत कैसे बेहतर बना सकते हैं।
इस कड़ी में, उत्तर प्रदेश के लखनऊ में वर्षों से बागवानी कर रहे अंकित बाजपेई बताते हैं कि यह गर्मियों में होने वाली सब्जी है। इसके बीजों को लगाने का उपयुक्त समय, फरवरी तथा मार्च महीना है।
वह बताते हैं, “तोरई को सिर्फ बीजों से उगाया जा सकता है और बाजार में इसके बीज काफी आसानी से मिल जाते हैं। बीजों को खरीदते समय, सुनिश्चित कर लें कि यह मर/सड़ (एक्सपायर) तो नहीं चुका है, अन्यथा बीजों के उगने की संभावना काफी कम हो जाएगी।”
बीजों को खरीदने के बाद, इसे एक बर्तन में रखें और उसमें अच्छे से फफूँदनाशी (फंगीसाइड) मिला दें। इससे फफूंदी का कोई खतरा नहीं रहेगा और सफलता दर बढ़ जाएगी।
फिर, एक डिस्पोजल ग्लास (उपयोग करके फैंकने लायक ग्लास) में वर्मीकम्पोस्ट या गोबर की खाद भर कर, ग्लास में दो-दो बीज लगा दें और हल्का पानी दें। साथ ही, बेहतर सुरक्षा के लिए और बीजों को जल्दी अंकुरित होने के लिए इसे एक प्लास्टिक से ठीक से ढंक दें।
वह कहते हैं, “ग्लास में बीजों को लगाने के दौरान ध्यान रखें कि ये बीज ज्यादा अंदर न हों। इससे बीजों के अंकुरित न होने का खतरा रहता है। इसके अलावा, ग्लास को ऐसी जगह पर रखें, जहाँ सुबह और शाम की धूप आती हो, इसे हमेशा कड़ी धूप से बचाएं।”
इस तरह, चार-पाँच दिनों में आप देखेंगे कि ग्लास में तोरई के छोट-छोटे पौधे निकल रहे हैं।
फिर, ग्लास से प्लास्टिक हटा कर, पौधे को सीधे धूप में रख दें। 20 दिनों में पौधे, लताओं का रूप ले लेते है और आप इन्हें किसी गमलें में लगा सकते हैं।
कैसेतैयारकरेंमिट्टी
अंकित बताते हैं कि गमले में तोरई उगाने के लिए, गमला कम से कम 15 इंच का होना चाहिये।
वैसे तो, तोरई की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में हो सकती है। लेकिन, गमले में उगाने के लिए बगीचे की मिट्टी सबसे उपयुक्त है।
आप गमले में 50 फीसदी बगीचे की मिट्टी, 40 फीसदी गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट और 10 फीसदी सरसों की खली मिला सकते हैं। जिससे आपके पौधे को सभी आवश्यक पोषक तत्व मिल जाएंगे।
अंकित बताते हैं कि तोरई की लताओं को कीटों से ज्यादा खतरा नहीं होता है। यदि कीट लग रहे हैं तो हर 10 दिन में नीम के तेल का छिड़काव किया जा सकता है।
कितनासमयलगताहैफलनेमें
अंकित बताते हैं, “तोरई को फलने में 40-45 दिन का समय लगता है और एक बार पौधा तैयार हो जाने के बाद, यह तीन से चार महीने आसानी से उपयोगी बना रहता है।”
वह बताते हैं, “तोरई की लताओं में दो फूल आते हैं - नर और मादा। इसको पहचानने का तरीका यह है कि नर फूल, खिले हुए फूल के नीचे होता है और यह कभी खिलता नहीं और न ही इसमें कभी तोरई उगती है। इसलिए इसे हटा दें, जिससे पौधे को अतिरिक्त पोषण मिलेगा।”
फसलकोसहारादेना
अच्छी उपज के लिए तोरई को सहारा देना जरूरी है। इसके लिए आप रस्सी या लकड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ऐसा करने से सब्जियों को अच्छी हवा मिलती है और उनमें सड़न नहीं होती है। साथ ही, इससे सब्जियों को तोड़ना भी आसान हो जाता है।
क्याकरें
- बीजों को खरीदते समय एक्सपायरी डेट (समाप्ति तारीख) ध्यान से देख लें।
- मिट्टी के तौर पर, बगीचे की मिट्टी और गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट का इस्तेमाल करें।
- कीटों से बचाव के लिए हर 10 दिन में नीम के तेल का छिड़काव करें।
- गमला कम से कम 15 इंच का रखें।
- लताओं को पूरी धूप लगने दें।
क्यानकरें
- अधिक सिंचाई से बचें, इससे पौधा सूख जाएगा।
- शुरुआती चार-पांच दिनों तक पौधों में कड़ी धूप न लगने दें।
- रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से बचें।
वीडियो देखें।
संपादन – प्रीति महावर
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