"इस काम में, मैं सब तरह के लोगों से मिलता हूँ- कोई बहुत रुखा व्यवहार करता है तो कोई बहुत ही प्यार से बात करता है, कोई खूब बातूनी होता है तो कोई सबसे अलग। कुछ देर बाद हम इन लोगों को भूल जाते हैं, लेकिन कुछ साल पहले मैं एक यात्री से मिला जिसे मैं आज तक नहीं भुला पाया हूँ- वो एक बुजूर्ग अंकल थे, शायद 80 साल के होंगे। मैं सड़क के दूसरी तरफ खड़ा था और मैंने देखा कि कई ऑटो वालों ने उनको ले जाने से मना कर दिया। उन्होंने 10 मिनट तक ट्राई किया और मैंने देखा कि वे बार-बार थक जा रहे थे, इसलिए मैंने सड़क पार की और उनके पास पहुंचकर कहा कि मैं उन्हें छोड़ दूंगा। उन्होंने बताया कि वे उस जगह से कुछ मिनट की दुरी पर ही रहते हैं इसलिए कोई भी उन्हें ले जाने के लिए तैयार नहीं था। उन्होंने मुझे बताया कि वे घर का कुछ सामान लेने के लिए आये थे, पर वे घर वापिस चलकर नहीं जा पायेंगें।
वे मेरे इतने आभारी थे कि उन्होंने मुझे घर के अंदर बुलाया और चाय भी पिलाई। पहले मैंने मना किया पर उन्होंने कई बार कहा तो मैं मान गया- हमारी अच्छी बन गयी थी, वे बहुत इंटेलीजेंट थे और उन्होंने मुझे जीवन के बारे में कई सलाह दीं। वे अपनी पत्नी के साथ अकेले रहते थे और उन्होंने कहा कि मैंने उन्हें उनके बेटे की याद दिला दी जो अमेरिका में काम करता है। उन्होंने मुझसे कहा कि तुम्हारे अंदर जो अच्छाई है उसे कभी मत खोना और उन्हें मुझ पर गर्व है कि मैंने उस दिन पैसे से पहले अच्छाई को रखा। उस दिन के बाद मैं फिर कभी उन अंकल से नहीं मिला, लेकिन आज भी, कभी मुझे लगता है कि दुनिया से अच्छाई खत्म हो रही है, तो मैं उस दिन को याद कर लेता हूँ और खुद को समझाता हूँ कि दूसरों के व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि अच्छाई तुमसे शुरू होती है।"
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