आज द बेटर इंडिया पर पढ़िए Humans of Bombay से अनुवादित पोस्ट। मुंबई की इस आम-सी महिला की कहानी, जो अपने पति के देहांत के बाद हर सम्भव तरीके से अपनी बेटियों को पाल रही है। वह नहीं चाहती कि उसकी बेटियों को कभी भी यह लगे कि लड़कियाँ कुछ नहीं कर सकतीं।
पढ़िये राजस्थान की सांस्कृतिक धरती से आने वाले इस संगीतकार का अनुभव, जिन्होंने अपने बचपन को संगीत-साधना में बीता दिया और आज भी इनके लिए संगीत से बढ़कर कुछ नहीं!
पढ़िए मुंबई में रहने वाले इस मोची के बारे में, जिन्हें अपने काम से पूरी संतुष्टि है और उन्हें कोई डर नहीं कि कोई उन्हें काम से निकाल देगा। वे अब खुद अपने बॉस हैं।
ह्युमंस ऑफ़ बॉम्बे (मुंबई) ने एक बुजुर्ग महिला का अनुभव साझा किया है। ये प्यारी-सी दादी पूरे 100 की उम्र पार करने वाली हैं। उन्होंने ज़िन्दगी में बहुत कुछ देखा है और अपने इसी अनुभव से वो सबको कहती हैं कि कुछ भी हो, हमें बस आगे बढ़ते रहना चाहिए, क्योंकि ज़िंदगी कभी नहीं रूकती।
बिहार के इस प्राथमिक टीचर ने अपने एक गरीब छात्र की स्कूल पढ़ाई का पूरा खर्च उठाया। आज उनका वह छात्र एक डॉक्टर है और आज भी वह अपनी व्यस्त ज़िंदगी में से वक़्त निकाल कर अपने गुरु से मिलने गाँव जरुर आता है।
Humans of Bombay (मुंबई) पोस्ट में एक गुजराती आंटी ने बताया कि कैसे अब तक उन्होंने अपनी ज़िंदगी को पूरे दिल से जिया है। उनका अनुभव हमें सिखाता है कि मुश्किलें जीवन का हिस्सा हैं पर ज़िंदगी चलती रहनी चाहिए। ताकि अगर आप किसी पल मर भी जाएँ तो भी आपको कोई पछतावा न रहे।
अनुभव में पढ़िए मुंबई के एक ऑटो ड्राईवर की कहानी। humans of Bombay को उन्होंने बताया कि कैसे एक बुजूर्ग अंकल की बात ने उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा और अब जब भी उसे लगता है कि लोग अच्छाई भूल रहे हैं तो वह उन्हें याद करता है।