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"परिवार सबसे पहले आता है!"

By निशा डागर

हमें हमेशा सिखाया गया कि परिवार सबसे पहले आता है। हमने अपने पिता को बहुत पहले खो दिया और हमारे भाई और भाभी ने हमें पाला। मैं 4 बहनों और दो भाइयों के साथ बड़ी हुई। अब हम सबके अपने परिवार हैं। लेकिन फिर भी हम ने हमेशा एक दुसरे के आस-पास ही रहने का फैसला किया।

ज़िंदगी की छोटी-छोटी खुशियाँ हमेशा ही बहुत ख़ास और ज़रूरी होती हैं!

By निशा डागर

ज़िंदगी की हर छोटी-बड़ी ख़ुशी बहुत मायने रखती है। आपको बस हर एक लम्हे को जीना आना चाहिए। यही कहना है मुंबई के एक शख्स का, जो ड्राईवर है और अपनी ज़िंदगी में खुश है।

एक दक्षिण अफ्रीकी पायलट और युवा जेआरडी टाटा की सोच का परिणाम है भारत का एयरलाइन सेक्टर!

JRD Tata उद्योगपति जेआरडी टाटा और दक्षिण अफ्रीकी पायलट नेविल विंसेंट द्वारा साल 1932 में शुरू की गई टाटा एयर सर्विसेज. indian airline

जानिये किसने बनायी थी ऑल इंडिया रेडियो की ऐतिहासिक धुन, जिससे होती थी आपके सुबह की मीठी शुरुआत!

हर साल 13 फरवरी को विश्व रेडियो दिवस मनाया जाता है और इस दिन को खास बनाती है, AIR की यादों को एक ही धागे में पिरोती है वह धुन, जो सुबह की पहली किरण के साथ रेडियो पर बजती थी। इस धुन को किसी भारतीय ने नहीं, बल्कि एक चेक यहूदी शरणार्थी, वाल्टर कॉफ़मैन ने इज़ाद किया था।

अनुभव : दूसरों के व्यवहार से कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि अच्छाई तुमसे शुरू होती है!

By निशा डागर

अनुभव में पढ़िए मुंबई के एक ऑटो ड्राईवर की कहानी। humans of Bombay को उन्होंने बताया कि कैसे एक बुजूर्ग अंकल की बात ने उनके जीवन पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ा और अब जब भी उसे लगता है कि लोग अच्छाई भूल रहे हैं तो वह उन्हें याद करता है।

ठाणे नहीं, रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली थी देश की पहली ट्रेन!

By निशा डागर

इतिहास के मुताबिक, भारत में सबसे पहली ट्रेन साल 1853 में मुंबई(तब बॉम्बे) से ठाणे के बीच चलाई गयी थी। लेकिन इतिहास के इस दावे को IIT रुड़की ने चुनौती दी। संस्थान में रखी हुई एक किताब के मुताबिक साल 1851 में चलने वाली पहली रेल एक मालगाड़ी थी जो रुड़की-पिरान कलियर के बीच चली।

"मैं और मेरी दादी सबसे अच्छे दोस्त हैं"!

By निशा डागर

एक दादी और पोते के अनमोल रिश्ते की कहानी। मुंबई में रहने वाले ये दादी-पोते एक दुसरे के सबसे अच्छे दोस्त है। एक का बचपन अभी गया ही नहीं और एक अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर फिर से बचपन को जी रहीं हैं।

मुंबई: दिन-रात मेहनत कर यह युवा कर रहा है अपने पापा के सपनों को पूरा!

By निशा डागर

मुंबई के भिवांडी में एक पैपरफ्राई फैक्ट्री में काम करने वाला एक सेवा अधिकारी अपने पिता के सपनों को हर हाल में पूरा कर रहा है। नौकरी के साथ-साथ पढाई करना और अपने घर को चलाने में मदद करने वाले इस युवा के हौंसले को सलाम!