प्राचीन काल से गणित और वास्तुकला में क्या संबंध रहा है? अगर इसका जवाब जानना चाहते हैं, तो कुछ पुराने स्मारकों को गहराई से जानें। चाहे वो ताजमहल हो या कोणार्क के सूर्य मंदिर की धूपघड़ी या फिर चारमिनार, इन सभी स्मारकों की संरचनाओं को डिजाइन करने में गणित (Math in Indian Monuments) के कई उपखंडों का इस्तेमाल किया गया है, जैसे अलजेब्रा, फ्रेक्टल ज्योमेट्री और त्रिकोणमिति। ये सभी स्मारक देश की समृद्ध सामाजिक व सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हैं।
तो चलिए आज उन स्मारकों को फिर से एक बार जानने की कोशिश करते हैं, जिन्हें आप पहले कई बार देख चुके होंगे। लेकिन इस बार नजरिया थोड़ा बदला हुआ होगा। आज हम इन स्मारकों को गणित और विज्ञान के बेजोड़ तालमेल के साथ देखेंगे। वास्तुशिल्प में इनका किस तरह से बेहतरीन इस्तेमाल किया गया है, आप यह जानकर हैरान रह जाएंगे।
1. कंदरिया महादेव मंदिर
मध्य प्रदेश के खजुराहो में स्थित, कंदरिया महादेव मंदिर शहर के पश्चिमी मंदिरों के समूह में सबसे बड़ा, सबसे ऊंचा और सबसे अलंकृत है। इसे सन् 950 और 1050 के बीच चंदेला शासकों ने बनवाया था। भगवान शिव को समर्पित, यह मंदिर भारत में मध्यकाल के सबसे अच्छे संरक्षित मंदिरों में से एक माना जाता है।
शानदार तरीके से तराशी गई मूर्तियों और ऊंचे दुर्ग, इस मंदिर की पहचान हैं। दुर्ग के निर्माण में प्रभावशाली ज्यामिती (Math in Indian Monuments) का इस्तेमाल किया गया है, जिसकी वजह से इसका आकार पहाड़नुमा चोटी सा दिखता है।
2. चारमीनार
कुतुब शाही राजवंश के पांचवें सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुब शाह ने सन् 1591 में हैदराबाद में इसका निर्माण कराया था। चारमीनार को एक स्मारक के साथ-साथ एक मस्जिद भी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि उस समय फैली प्लेग की महामारी के खत्म हो जाने की याद के तौर पर इसे बनाया गया था।
चारमीनार, एक चौकोर संरचना पर बना है और इसके प्रत्येक कोने पर चार भव्य मेहराब और चार मीनारें हैं, जो मुख्य संरचना में बनी हैं। यह जानना दिलचस्प होगा कि संरचना के डिजाइन में कम से कम 22 जगहों पर संख्या ‘चार’ और इसके गुणकों (Math in Indian Monuments) को देखा जा सकता है।
3. रणकपुर जैन मंदिर
राजस्थान के पाली जिले में रणकपुर जैन मंदिर अपनी उत्कृष्ट वास्तुकला के लिए काफी लोकप्रिय है। ऐसा माना जाता है कि इसका निर्माण 15वीं शताब्दी में धरना शाह नामक एक जैन व्यापारी ने कराया था।
यह देश के सबसे बड़े जैन मंदिरों में से एक है, जो जैन धर्म के पहले तीर्थंकर आदिनाथ को समर्पित है। इसे इसके 1,444 नक्काशीदार स्तंभों के लिए भी जाना जाता है। मंदिर को कुछ इस तरह से डिजाइन (Math in Indian Monuments) किया गया है कि ढेर सारे स्तंभों के बावजूद, परिसर में विराजमान आदिनाथ की मूर्ति को सभी दिशाओ से स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
4. मोढेरा सूर्य मंदिर
सूर्य को समर्पित, मोढेरा सूर्य मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित है। इसे सन् 1026 में सोलंकी वंश के राजा भीमदेव ने पुष्पावती नदी के तट पर बनवाया था। मंदिर के सभामंडप में 52 नक्काशीदार स्तंभ हैं, जो साल के सप्ताहों को दर्शाते हैं। सप्ताह के सात दिनों के लिए एक मंडप को सात खंडों में विभाजित किया गया है। मंदिर के फलक पर बने 365 हाथी, एक साल के दिनों की संख्या को दर्शाते हैं।
5. सम्राट यंत्र
दुनिया का सबसे बड़ा 73 फीट ऊंचा सम्राट यंत्र राजस्थान के जयपुर में जंतर मंतर पर स्थित है। इसका निर्माण राजपूत राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने कराया था। उन्होंने 19 संरचनाओं का निर्माण किया था, जो तारों और ग्रहों की दशा की गणना और भविष्यवाणी करते थे। उन्हीं में से एक है सम्राट यंत्र, जोकि एक तरह की सबसे बड़ी सूर्यघड़ी है।
सम्राट यंत्र, समय मापने में अपनी सटीकता के लिए जाना जाता है। यह सूरज की रोशनी का इस्तेमाल करके स्थानीय समय को 2 सेकंड की सटीकता के साथ बताता है।
6. विरुपाक्ष मंदिर
कर्नाटक के बागलकोट जिले में हिंदू और जैन मंदिरों के परिसर में, विरुपाक्ष मंदिर सबसे बड़ा है। यह मंदिर, हम्पी के ऐतिहासिक स्मारकों, खासकर पट्टडकल में स्थित स्मारकों के समूह का एक मुख्य हिस्सा है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में, रानी लोक महादेवी ने पल्लवों पर अपने पति विक्रमादित्य द्वितीय की जीत के बाद कराया था। यह अपने त्रिकोणीय गुंबद और वर्गाकार विन्यास के लिए जाना जाता है। इससे फ्रैक्टल पैटर्न तैयार होते हैं और इसमें प्राकृतिक ज्यामिति (Math in Indian Monuments) की झलक भी मिलती है।
7. कोणार्क सूर्य मंदिर में धूपघड़ी
पुरी, ओडिशा में कोणार्क सूर्य मंदिर 24 पहियों पर टिका है, जिन्हें खूबसूरती से तराशा गया है। उसके ये पहिये धूपघड़ी हैं जिनका इस्तेमाल दिन और रात समेत, समय की सटीक गणना 9Math in Indian Monuments), एक मिनट में करने के लिए किया जाता है। यहां मौजूद सनडायल अद्वितीय है, क्योंकि यह घड़ी की विपरीत दिशा में समय दिखाता है। इसमें आठ प्रमुख तीलियां हैं, जो 24 घंटे को आठ बराबर भागों में विभाजित करती हैं। दो प्रमुख तीलियों के बीच का समय तीन घंटे का होता है।
8. ताजमहल
दुनिया के सात अजूबों में से एक, ताजमहल को भारत में वास्तुकला की बेहतरीन कृतियों में से एक माना जाता है। इसे मुगल सम्राट शाहजहां ने 1632 में अपनी पत्नी मुमताज की प्यार भरी याद में बनवाया था। माना जाता है कि यह 1653 में बनकर तैयार हुआ था।
इस स्मारक में शाहजहां और मुमताज दोनों की कब्रें सफेद संगमरमर से बनी हैं। उनकी कब्रें आधार के केंद्र में स्थित हैं और यहां की सभी खिड़कियां एक दूसरे से समान दूरी पर हैं। इस संरचना की एक और हैरत में डालने वाली बात यह है कि रास्ते की टाइल्स को स्कवेयर और हेक्सागोन (Math in Indian Monuments) तरीके से कुछ इस तरह से लगाया गया है कि वे अष्टकोण बनाती नज़र आती हैं।
मूल लेखः अंजलि कृष्णन
संपादनः अर्चना दुबे
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