85 वर्षीय रिटायर टीचर का घर है एक पक्षी अभ्यारण्य, पति-पत्नी रोज मिलकर भरते हैं 1500 परिंदों का पेट

सीहोर (गुजरात) के रामटेकरी इलाके में सीताराम नाम से मशहूर रिटायर टीचर रामजीभाई मकवाना पिछले 40 सालों से अपनी पत्नी के साथ मिलकर पक्षियों की सेवा कर रहे हैं। उनका बनाया पक्षी तीर्थ किसी अभ्यारण्य से कम नहीं।

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बचपन में रामजीभाई मकवाना ने एक कहानी सुनी थी, जिसमें कहा गया था कि पक्षियों को दाना देने से परमात्मा खुश होते हैं। आज 85 साल की उम्र में भी रामजीभाई न उस कहानी को भूले हैं और न उससे मिली सीख को।  

सरकारी स्कूल से रिटायर होने के बाद रामजीभाई ने सीहोर (गुजरात) के रामटेकरी इलाके में एक छोटा सा आश्रम बनाया है, जिसका नाम ‘पक्षी-तीर्थ आश्रम’ है। यहां रहकर वह जरूरतमंद लोगों और पक्षियों की सेवा करते हैं। पिछले 40 साल से वह यहाँ अपनी पत्नी के साथ मिलकर पक्षियों को दाना-पानी देने का काम भी कर रहे हैं।

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रामजीभाई

उनका यह आश्रम किसी अभ्यारण्य से कम नहीं है। उन्होंने खुद के जुगाड़ से अलग-अलग पक्षियों के लिए अलग-अलग किस्म की व्यवस्थाएं की हैं। हर रोज तक़रीबन 1500 से ज्यादा पक्षी खाने की तलाश में उनके आश्रम में आते हैं। 

Birds at pakshi tirth

85 की उम्र में भी, वह एक दिन की भी छुट्टी नहीं लेते। वह कहते हैं, "मैं आराम करूंगा तो मेरे पक्षी क्या खाएंगे।"

तड़के सुबह से ही उनका काम शुरू हो जाता है। पक्षियों के लिए उन्होंने जो खाने के डिब्बे लटकाएं हैं, उसमें दाना भरना, पानी के लिए प्यालियां भरकर रखना, ये सभी काम दोनों मिलकर करते हैं। उनकी पत्नी हिरा बेन आश्रम में आने वाले पशुओं के लिए रोटियां भी बनाती हैं।

पशु-पक्षी ही नहीं, बल्कि कोई जरूरतमंद व्यक्ति भी उनके आश्रम से खाली हाथ नहीं जाता। रामजी भाई गांव के गरीबों की भी खूब मदद करते हैं। उन्होंने सालों पहले, अपनी पेंशन के पैसों से ही यह काम करना शुरू किया था। लेकिन आज रामटेकरी के कई लोग उनकी मदद करते हैं।
रामटेकरी में ‘सीताराम’ नाम से मशहूर रामजीभाई कहते हैं, "अच्छा काम करनेवालों की मदद हर कोई करता है। मेरे आश्रम में कई लोग दान देने आते हैं। यही कारण है कि पिछले 40 साल से हम सब मिलकर पक्षियों की सेवा कर रहे हैं।"

Ramjibhai, a bird lover personality at his home

उन्होंने आश्रम में कई फलों के पेड़ भी लगाएं हैं, ताकि पक्षी उनसे फल खा सकें। रामजीभाई का पूरा परिवार भी उनकी मदद करता है। हालांकि, आश्रम में वे दोनों अकेले ही रहते हैं, लेकिन समय-समय पर परिवार के अन्य सदस्य उनकी मदद के लिए आते रहते हैं।  

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रामजीभाई हर सुबह गांव में एक प्रभात फेरी भी निकालते हैं। वह पूरे सीहोर में घूमकर टूटी-फूटी चीजें, खाली डिब्बे आदि इकट्ठा करके आश्रम में लाते हैं, जिन्हें अभ्यारण्य में इस्तेमाल किया जाता है। अब तो लोग उनकी प्रभात फेरी की राह देखते हैं और अपनी-अपनी इच्छा से पक्षियों के लिए कुछ-न-कुछ भोजन भेज देते हैं।  

रामजीभाई का इतना प्यार देखकर, पक्षियों की संख्या भी हर साल बढ़ रही है। रामटेकरी में हर दिन मोर, बुलबुल, ढेल, मैना, कबूतर, तोता, चिड़िया, लैला जैसे कई पक्षी दाना चुगते नज़र आते हैं। यह सुन्दर नज़ारा देखने, यहां हर दिन कई पर्यटक भी पहुचंते हैं।

रामजीभाई की इस निस्वार्थ सेवा और बेजुबानों के प्रति उनके प्यार को द बेटर इंडिया का सलाम!

संपादन- जी एन झा

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